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Ek villain
क्या लगभग डेढ़ सदी पर चिंतित माल में समाज सुधार संभव है यह सवाल बार बार उत्तर आए और कर्नाटक के हिजाब विवाद के चलते फिर से उठाएं मुस्लिम समाज का एक वर्ग महसूस कराता है कि ऐसा मुमकिन नहीं है ऐसा मानने वाले कुछ लोग इस्लाम छोड़ रहे हैं और खुद को एक्स मुसलमान घोषित कर रहे हैं ऐसे मुस्लिम भारत में भी है पिछले महीने की इस्लाम छोड़ने वाले कुछ मुसलमानों ने केरल के पूर्व मुसलमान नामक एक संगठन बनाया है देश में सार्वजनिक तौर पर ऐसा पहली बार हुआ इस संगठन का उधर से अपने मैच त्यागने वाले मुस्लिमों को आर्थिक और 5217 देना है परिवर्तन एक सार्वभौमिक सतत प्रक्रिया है जिसमें किसी भी समाज में काल बनाए हो चुकी परंपराओं प्रार्थना को छोड़कर आगे बढ़ने का मानस होता है किसी भी समाज में सुधार की संभावना इस बात पर निर्भर करती है कि संबंधित दर्शन महज आत्म सुधार तंत्र के प्रति कितना सहनशील है इस्लाम का जन्म हजरत मोहम्मद साहब को 1610 में देवी ज्ञान प्राप्त होने के बाद हुआ 632 में उनके न रहने के बाद उनके अनुसार ओं द्वारा इस ज्ञान को पवित्र क़ुरआन के रूप में कलम बंद किया गया जो कि यह कार्य अरब में हुआ इसमें मुस्लिम समाज के कई परंपरा वहां से भौगोलिक और तकनीक संस्कृति से प्रभावित है इस समय बीत जाने के बाद कुछ ऐसी क्रम पर है आधुनिक जीवनशैली और से मेल नहीं खाती ©Ek villain #इस्लामी जगत में सुधार का सवाल #hugday
Moinudeen
सुन्नी दावते इस्लामी का माहाना 14वाँ सुन्नी इज्तिमा बतारीख़: 8-10-2019 बरोज़ मंगल बमक़ाम:दारूल उलूम फैज़ाने ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ कायङ मिनजानिब: सुन्नी दावते इस्लामी एजुकेशन एण्ड वेलफैर ट्रस्ट कायङ अजमेर शरीफ सदर: उसमान अली जी भुट्टा ,सेक्रेट्री:मुहम्मद मुईनुद्दीन रज़वी निगरां सुन्नी दावते इस्लामी अजमेर शरीफ मुहम्मद मुईनुद्दीन रज़वी निगरां सुन्नी दावते इस्लामी अजमेर शरीफ
Purshottam Kulkarni
बातें तो मैं तुमसे भी कर लूंगा, मगर तुम मेरी सुनते कहा हो आजकल - पुरुषोत्तम कुलकर्णी 😅 #gif #बातें #बातें
Brijesh Yadav
वो कहती हैं कि ताउम्र तुम्हारा साथ निभाऊंगी में, और आलम ये है कि अपनों कि भीड़ में उसे मेरी याद तक नहीं आती... अल्फ़ाज़ कुछ अनकहे से... बातें बातें और सिर्फ बातें...
@aliwriters_
रदीतू बिल्लाहि रब्बा व-बिल इस्लामी दीना। वबी मुहम्मादिन सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम्, नबियाँ व-रसूला।। میں نے اللہ کو اپنا رب اور اسلام کو اپنی طرز زندگی کے طور پر قبول کیا ہے। اور میںنے محمد ﷺ کو اللہ کے نبی اور رسول کی حیثیت سے قبول کیا ہے। । I've Accepted Allah as my Lord and Islam as my way of life। And I've Accepted Muhammed SAW. as Allah's prophet and messenger।। ~Foundation of Rekhta रदीतू बिल्लाहि रब्बा व-बिल इस्लामी दीना। वबी मुहम्मादिन सल्लल्लाहु अलैहि व-सल्लम्, नबियाँ व-रसूला।।
Bazirao Ashish
कभी कभी तुम ख़ामोश सी हो जाती हो, न जाने क्यों तब मेरी साँसें भी खामोशी के उफ़ान पर पहुँच जाती है? तुम ही बताओ, कुछ तो बोलो तुम मुझसे ऐसा मज़ाक क्यों करती हो? #गहरी बातें,#प्यारी बातें
Kumar Vaibhav
कुछ खामोशियाँ, कुछ तन्हाइयां तो कुछ उसकी यादें करती हैं वो तो नहीं करती मग़र उसकी बातें अब मुझसे बातें करती हैं 🙄 #बातें,बातें करती हैं
Chittaranjan sandil
मंजिलें उन्ही को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है सिर्फ पंखों से कुछ नहीं होता दोस्तों हौसलों से उड़ान होती है। ©Chittaranjan sandil अच्छी बातें सच्ची बातें