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Siddhi Rahate

आठवणींचे येणे

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VINIT TIWARY

घोटाला #कविता

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बिक रही सरकारी नौकरी, बिहार  सरकार मे।
परीक्षा से पहले आ जाता 
प्रश्न-उत्तर बाजार में।।
सभी जगह घोटाला,
पैसे से बहाली।
रोना आता है देखकर,
शिक्षा की बदहाली।। घोटाला

Sunil Kumar Maurya Bekhud

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R K Mishra " सूर्य "

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Supriya Yewale

#WinterEve माणसाच्या आयुष्यामध्ये त्या व्यक्तीचं येणं खूप गरजेचं असते त्या व्यक्तीच्या विचारामध्ये सुंदर हवे अशा व्यक्तीचे येणे गरजेचे असते #मराठीविचार

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Mahesh Lokhande

येरे येरे पावसा #poem

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येरे येरे पावसा

येरे येरे पावसा
रात्री वा दिवसा
लपलास कसा
रूसू नको असा

वाढली महागाई
वाट पाहे धरणीमाई
झाली लाही लाही
रडे धाही धाही

नको करू उशीर
वेळ खूप झाला
तुझ्यासाठी मातीचा
जीव वेडा झाला

बघ बळीराजाचे 
राजेपण गेले
कर्जाचे गळ्याशी
फास  आले

सोनेरी जीवन
मातीमोल झाले
तुझ्या अमृताने
मिळू दे दिलासा येरे येरे पावसा

SamEeR “Sam" KhAn

अच्छा तो होता तुम ना आते
पतझड़ जैसा आकर
कर जाते हो बेजान गुलों को
कांटे ही कांटे रह जाते हैं।
तुम्हारे जाने के बाद।

भरी दोपहरी
अपने को समेट कर
जान बचा रहीं पत्तियों को
तुमने कब देखा
कब देखा तुमने
मुरझा रहे तनों को

सींचना तुम्हे आता ही नहीं
खिलना तुम्हारा स्वभाव भी नहीं
महक भी छीन ले जाते हो
आखिर तुम भी
बसंत की ऊपज हो

सीख क्यों नहीं लेते सदाबहार रहना
जब भी आते हो
बस उजाड़ कर चले जाते हो।

©SamEeR “Sam" KhAn #मुरझा

'दीपक' अवस्थी

मुड़कर देखा उस फूल को,
गड्ढो से उड़ती धूल को।
खिला ही था कि मुरझा गया,
कैसा था वह बदनसीबी के तूल को।। #मुरझा

Komal Pardeshi

health tips झोप न येणे #मराठीसंस्कृति

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Anand Kumar Ashodhiya

घोटाला

पिछले कुच्छ दिनों से मेरा मन, बहुत मचल रहा है
लालच का महादानव मुझे उद्वेलित कर, आत्मा को कुचल रहा है

बेईमानी से कमाने की इच्छा, बलवती हो रही है
शिष्टाचार और सद्भावना, अन्दर ही अन्दर सती हो रही है

दिल करता है, भ्रष्ट आचार से, कोई घोटाला कर लूँ
अनीति और हराम की कमाई से, अपना घर भर लूँ

जनता की खून पसीने की कमाई, पल भर में डकार जाऊं
खुद पर लगे आरोपों को, पूरी बेशर्मी से नकार जाऊं

खाकर रकम गरीबों की, बेशर्म और नम्फ्ट हो जाऊं
सब इल्जामों पे मिट्टी डाल, कुम्भकर्णी नींद सो जाऊं

ये "थर्ड रेट" आन्दोलनकर्ता मेरा क्या कर लेंगे
अपने खिलाफ मुंह खोलने वाले, एक एक को धर लेंगे

हार, बेइज्जती और सजा के बावजूद भी, नहीं आऊंगा बाज़
करके झूठे वादे धोखे, पांच साल बाद, फिर पहनूंगा ताज़

घपले और घोटालों के फ़ेरहिस्त में, अपना नाम लिखवाऊंगा
करके कायम अराजकता, फिर धृतराष्ट्र हो जाऊँगा

रचयिता : आनन्द कवि आनन्द कॉपीराइ

©Anand Kumar Ashodhiya #घोटाला 

#MereKhayaal
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