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SURAJ आफताबी

जब लगाये वो आँखों में काजल
"आफताब" भी स्याह हो जाये
गहन कान्तार में स्फुटित मँजरी सी उसकी कोमलता
कोई मिलिन्द सिर्फ़ निगाह भर देखे तो गुनाह हो जाये !

बेशकीमती  सा  वो  इक  नजर का टुकड़ा
जिससे सम्पूर्ण जीवन मेरा निर्वाह हो जाये
जूड़े में बँधी है उसके इक मुकम्मल दुनिया
जो खोल भर दे तो "आफताबी" को भी सुरमई पनाह हो जाये !! कान्तार- जंगल
#mohabbat #love #poetry #yqbaba #yqdidi #life #lovequotes #surajaaftabi

कान्तार- जंगल #mohabbat love poetry #yqbaba #yqdidi life #lovequotes #surajaaftabi

0 Love

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Bhawna Kukreti

मैं आउंगी- कान्ता डंगवाल घिल्डियाल

मैं आउंगी- कान्ता डंगवाल घिल्डियाल

126 Views

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kanta kumawat

बचपन और नए कपड़े 
अपनी कलम 
उस कहानी का ताज न पूछों। 
उस खुशी  का राज न पूछों।
बहुत महंगे थे वो कपङे 
सकुन भरा था हर पल में 
अब उस बचपन की बात ना पूछों।
कान्ता कुमावत

©kanta kumawat कान्ता कुमावत 
अपनी कलम 
#bachpan

कान्ता कुमावत अपनी कलम #bachpan

24 Love

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kanta kumawat

किताबें हम से शुरू हुई थी
पर कविताएँ तुम से।
आँखे हम से मिली थी पर 
पर दिल लगा सिर्फ़ तुम से।

©kanta kumawat किताबें हम से शुरू हुई थी
पर कविताएँ तुम से।
आँखे हम से मिली थी पर 
पर दिल लगा सिर्फ़ तुम से।
कान्ता कुमावत

किताबें हम से शुरू हुई थी पर कविताएँ तुम से। आँखे हम से मिली थी पर पर दिल लगा सिर्फ़ तुम से। कान्ता कुमावत #शायरी

46 Love

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kanta kumawat

अपनी कलम 
एक परिपूर्ण नारी को हमेशा 
सहयोग की जरूरत होती है सहायता की नहीं । कान्ता कुमावत 
अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं 
8 मार्च 
kanta kumawat

©kanta kumawat
  #Colors अपनी कलम एक परिपूर्ण नारी को हमेशा सहयोग की जरूरत होती है सहायता की नहीं । कान्ता कुमावत अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं 8

#Colors अपनी कलम एक परिपूर्ण नारी को हमेशा सहयोग की जरूरत होती है सहायता की नहीं । कान्ता कुमावत अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं 8 #विचार

2,399 Views

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kanta kumawat

कभी - कभी आपका चुना गया बेहतर
इसलिए छीन लिया जाता हैं क्योंकि ईश्वर 
आपको और अधिक बेहतरीन 
देने की ठान लेता हैं।

©kanta kumawat कभी - कभी आपका चुना गया बेहतर
इसलिए छीन लिया जाता हैं क्योंकि ईश्वर 
आपको और अधिक बेहतरीन 
देने की ठान लेता हैं।
कान्ता कुमावत 
#findyoursel

कभी - कभी आपका चुना गया बेहतर इसलिए छीन लिया जाता हैं क्योंकि ईश्वर आपको और अधिक बेहतरीन देने की ठान लेता हैं। कान्ता कुमावत findyoursel #findyourself

36 Love

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kanta kumawat

काश ये सब झूठ होता, आशिकों के दिलों में ज़रा इन्सानियत का
गहरा अहसास होता। 
कोई नहीं रोता प्यार के नाम पर दहलिज़ पकङकर
काश ये सब झूठ होता।

©kanta kumawat आशिकों के दिलों में ज़रा इन्सानियत का
गहरा अहसास होता। 
कोई नहीं रोता प्यार के नाम पर दहलिज़ पकङकर
काश ये सब झूठ होता।
कान्ता कुमावत 

#Alas

आशिकों के दिलों में ज़रा इन्सानियत का गहरा अहसास होता। कोई नहीं रोता प्यार के नाम पर दहलिज़ पकङकर काश ये सब झूठ होता। कान्ता कुमावत #Alas

37 Love

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kanta kumawat

गुजरे कुछ पल आँधियों के संग अब ठण्डी हवाओं की बारी है। बादल न इतना शोर ना कर मेरे अन्न की कोठरी अभी खाली है। कान्ता कुमावत

©kanta kumawat गुजरे कुछ पल आँधियों के संग अब ठण्डी हवाओं की बारी है। बादल न इतना शोर ना कर मेरे अन्न की कोठरी अभी खाली है। 
कान्ता कुमावत

गुजरे कुछ पल आँधियों के संग अब ठण्डी हवाओं की बारी है। बादल न इतना शोर ना कर मेरे अन्न की कोठरी अभी खाली है। कान्ता कुमावत #विचार

34 Love

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kanta kumawat

#shayarana गुजरे कुछ पल आँधियों के संग अब ठण्डी हवाओं की बारी है। बादल न इतना शोर ना कर मेरे अन्न की कोठरी अभी खाली है। कान्ता कुमावत

#shayarana गुजरे कुछ पल आँधियों के संग अब ठण्डी हवाओं की बारी है। बादल न इतना शोर ना कर मेरे अन्न की कोठरी अभी खाली है। कान्ता कुमावत #विचार

3,409 Views

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kanta kumawat

समय बीत जानें के बाद सिर्फ़ महफ़िलो की मार मिलती हैं।
वक्त तो गुजरता है यूँ ही दिन-रात 
परन्तु अंधेरे से डरने वाले को सिर्फ़ हार मिलती है।
कान्ता कुमावत

©kanta kumawat समय बीत जानें के बाद सिर्फ़ महफ़िलो की मार मिलती हैं।
वक्त तो गुजरता है यूँ ही दिन-रात 
परन्तु अंधेरे से डरने वाले को सिर्फ़ हार मिलती है।
कान

समय बीत जानें के बाद सिर्फ़ महफ़िलो की मार मिलती हैं। वक्त तो गुजरता है यूँ ही दिन-रात परन्तु अंधेरे से डरने वाले को सिर्फ़ हार मिलती है। कान #शायरी

34 Love

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kanta kumawat

अपनी कलम गुलज़ार है सुकून में 
दिल बिना मोहब्बत के इजहार सा दिखता है। प्यार तो सिर्फ खुबसूरती का नाम है 
यह दिल तो सिर्फ सुकून के पाठ लिखता है। कान्ता कुमावत

©kanta kumawat
  #dhundh अपनी कलम गुलज़ार है सुकून में 
दिल बिना मोहब्बत के इजहार सा दिखता है। प्यार तो सिर्फ खुबसूरती का नाम है 
यह दिल तो सिर्फ सुकून के पाठ

#dhundh अपनी कलम गुलज़ार है सुकून में दिल बिना मोहब्बत के इजहार सा दिखता है। प्यार तो सिर्फ खुबसूरती का नाम है यह दिल तो सिर्फ सुकून के पाठ #शायरी

5,450 Views

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kanta kumawat

बचपन और नए कपड़े 

उस कहानी का ताज न पूछों ।
उस खुशी का राज न पूछों । 
सकुन भरा था हर पल में
अब उस बचपन की बात ना पूछों । कान्ता कुमावत बहुत

बचपन और नए कपड़े उस कहानी का ताज न पूछों । उस खुशी का राज न पूछों । सकुन भरा था हर पल में अब उस बचपन की बात ना पूछों । कान्ता कुमावत बहुत #कविता

1,558 Views

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kanta kumawat

kanta Kumawat

©kanta kumawat दोस्ती को कोहिनूर कहाँ से पायेगा। जब तक मतलबी बन कर रिश्ते निभायेंगा। जब तू दया धर्म और इन्सानियत का पहरा लगायेगा तब जाकर तू अच्छा हसींन दोस

दोस्ती को कोहिनूर कहाँ से पायेगा। जब तक मतलबी बन कर रिश्ते निभायेंगा। जब तू दया धर्म और इन्सानियत का पहरा लगायेगा तब जाकर तू अच्छा हसींन दोस #Dosti #ज़िन्दगी

53 Love

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kanta kumawat

मेरी माँ के बराबर कोई नहीं।
बचपन के कुछ किस्से सुनों ज़रा 
में सो गया था सुकून से 
पर मेरी माँ रात भर सोई नहीं।
क्योंकि मेरी माँ बराबर कोई नहीं।
तुम भी माँ कीमत पता करों ज़रा 
आँचल के पल्लू में ढककर 
कभी धूप-छाँव में रोई नहीं। 
क्योंकि मेरी माँ बराबर कोई नहीं।
देखकर अपने बच्चों को खाना 
में अभी भुखी हूँ 
कभी यह बात बताई नहीं।
क्योंकि मेरी माँ बराबर कोई नहीं।
आज भी सुकून मिलता घर में 
कोई एसा दिन नहीं जब 
माँ बोलकर खुशी पायी नहीं।
क्योंकि मेरी माँ बराबर कोई नहीं।
कान्ता कुमावत

©kanta kumawat मेरी माँ के बराबर कोई नहीं।
बचपन के कुछ किस्से सुनों ज़रा 
में सो गया था सुकून से 
पर मेरी माँ रात भर सोई नहीं।
क्योंकि मेरी माँ बराबर कोई न

मेरी माँ के बराबर कोई नहीं। बचपन के कुछ किस्से सुनों ज़रा में सो गया था सुकून से पर मेरी माँ रात भर सोई नहीं। क्योंकि मेरी माँ बराबर कोई न #motherlove

50 Love

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kanta kumawat

मेरी माँ के बराबर कोई नहीं।
बचपन के कुछ किस्से सुनों ज़रा 
में सो गया था सुकून से 
पर मेरी माँ रात भर सोई नहीं।
क्योंकि मेरी माँ बराबर कोई न

मेरी माँ के बराबर कोई नहीं। बचपन के कुछ किस्से सुनों ज़रा में सो गया था सुकून से पर मेरी माँ रात भर सोई नहीं। क्योंकि मेरी माँ बराबर कोई न

54,476 Views

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kanta kumawat

जिस अंग से तूने जन्म लिया 
आज वहां पर तुझे मरते देखा।
जिस अंग से तू पाला गया 
आज उसी पर पिघलते देखां।
मासूम थी वो नन्ही सी परी
क्या उसमें भी

जिस अंग से तूने जन्म लिया आज वहां पर तुझे मरते देखा। जिस अंग से तू पाला गया आज उसी पर पिघलते देखां। मासूम थी वो नन्ही सी परी क्या उसमें भी #_justicefor

1,528 Views

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kanta kumawat

justice for kuchaman sister 
share and make your status

गलतियाँ दोनों हाथों को पहचानती है। 
पर मोत की सजा मोत ही मांगती है। 

जब दरिन्दे अप

justice for kuchaman sister share and make your status गलतियाँ दोनों हाथों को पहचानती है। पर मोत की सजा मोत ही मांगती है। जब दरिन्दे अप

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kanta kumawat

दहेज प्रथा एक आतंक सी कुप्रथा

तूम भी तो कुछ बदलने का प्रयास करों 
दुनियाँ में जो जहर फैला है।
यह दहेज प्रथा जैसा तकलीफ का संदेश 
हर एक गरीब ने मुस्कुराकर झेला है।

तूम तो पढें लिखें हो इस जमाने के 
या किताबों से सिर्फ़ खेल खेला है।
दया करों उन हाथों की  ठिठुरती अँगुलियों पे जिसनें अपनी फूल सी
 गुड़िया देखकर भी जमाने के नखरों को आसानी से झेला है।

वो आज दुनियाँ की भीङ में गरीब होकर अकेला है।
फिर भी दुनियाँ में उनकी मासूमियत को लूटने का मेला है।
त्याग करों इन जहरीली कुरीतियों का उन्हें भी
बचाओ जिसने अपना जीवन भूख प्यास में झेला है।

तुम भी तो कुछ बदलने का प्रयास करों
दुनियाँ में जो जहर फैला है।
यह दहेज प्रथा जैसा संदेश हर एक
गरीब ने मुस्कुराकर झेला है।

लेखक - कान्ता कुमावत 
दिनांक-23/12/2021

©kanta kumawat दहेज प्रथा एक आतंक सी कुप्रथा

तूम भी तो कुछ बदलने का प्रयास करों 
  दुनियाँ में जो जहर फैला है।
यह दहेज प्रथा जैसा तकलीफ का संदेश 
हर एक गर

दहेज प्रथा एक आतंक सी कुप्रथा तूम भी तो कुछ बदलने का प्रयास करों दुनियाँ में जो जहर फैला है। यह दहेज प्रथा जैसा तकलीफ का संदेश हर एक गर #DilKiAwaaz #विचार

41 Love

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kanta kumawat

किसान का जीवन 
में कहानी लिखूँ उस इन्सान की अन्नदाता और भगवान की 
में कहानी लिखूँ एक किसान की  
सवेरे परिंदो की आवाज से पहले उसकी नींद उड जाती है। 
सिंच कर जमीन का टुकड़ा जिसकी आँखे धुल जाती है।
ना गरीब की ना धनवान की मे कहानी लिखूँ एक किसान की।
बीजकर उम्मीद के बीज धूप छाव भूल जाते हैं।
मकान की तलाश नही जो 
भूमि की गोंद मे सो जाते हैं छत टपकती है उसके कच्चे मकान की 
में कहानी लिखूँ एक किसान की।
इस दुनिया में रोज रसीले पकवान बनाकर खाये जाते है
जहाँ कई बार किसान के बच्चे भूखे ही सो जाते हैं। 
जमाने को बोलो मेहनत तो देखो इस इन्सान की
में कहानी लिखूँ एक किसान की
नहीं पता कब सवेरा होगा नही पता कब शाम होगी
 खेत की हरियाली में भूल सारे दर्द जाता है।
टूट गई पैर की बिवाईयाँ फिर भी वो मुस्कुराता है। 
हिम्मत तो देखो उस इन्सान की
में कहानी लिखूँ एक किसान की।
लेखक-कान्ता कुमावत 
 Kanta kumawat

©kanta kumawat किसान का जीवन 
में कहानी लिखूँ उस इन्सान की अन्नदाता और भगवान की 
में कहानी लिखूँ एक किसान की  
सवेरे परिंदो की आवाज से पहले उसकी नींद उड जा

किसान का जीवन में कहानी लिखूँ उस इन्सान की अन्नदाता और भगवान की में कहानी लिखूँ एक किसान की सवेरे परिंदो की आवाज से पहले उसकी नींद उड जा #Dark #कविता

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