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Shwe V.
इसीलिए... सुनो... हो पाए तो थोड़ा रुक के जाना, वरना ये साँसें तो जाने को तैयार बैठी ही हैं.. हाँ, बस तुम यूँ ही चले जाने की बात करोगे तो ये ज़रा जल्दी रूठ जाएंगी.... सरकती रफ़्तार.....
sayrana zindagi
छुपाए मेरे अरमानों में एक आग सी लग जाती है चांद जो चरम पर होता है जैसे-जैसे रात सरकती जाती है धुधंली सी तस्वीर जो बीतें लम्हें साथ तेरे सब आँखों के सामनें एक -एक ले आती है चांद जो चरम पर होता है जैसे-जैसे रात सरकती जाती है ना कभी तुम आतें हो एक प्यास सी जगा जाते हो जानें किस उधेड़ बुन में ध्यान तुम्हारा रहता है बाहों में तुझें भरनें को मेरी रुह तड़पती रहती है चांद जो चरम पर होता है जैसे-जैसे रात सरकती जाती है। रात सरकती जाती है
Dr. Satyendra Sharma #कलमसत्यकी
💕 पटेल साहब 💕
Sitaron Ke Khwab dekhne Waalo Humne Chand Ko Kareeb se dekha hai faiz patel... #NojotoQuote बंद मुट्ठी से सरकती रेत की तरह.. भुला दिया उन्होने मुझे थोड़ा थोड़ा करके. फैज....
Ghazi Lhp
सामने मंज़िल थी और, पीछे उस की आवाज़ , रुकता तो सफर जाता ,चलता तो बिछड़ जाता ,मयखाना भी उसी का था ,महफ़िल भी उस की ,अगर पीता तो ईमान जाता ,न पीता तो सनम जाता ,सजा ऐसी मिली मुझ को ,ज़ख़्म ऐसे लगे दिल पर ,छुपाता तो जिगर जाता ,सुनाता तो बिखर जाता जिंदगी वक्त के धारे में बही जाती है बंद मुट्ठी में सरकती हुई बालू की तरह
vibrant.writer
~ त्रिवेणी ~ © Vibrant_writer जैसे हाथों से धीरे धीरे रेत सरकती है, वैसे ही मेरी जिंदगी से तुम सरक रहे हो, वक्त और हालात भी मेरे हक में नहीं है। #rishtey ~ #त्रिवेणी ~ © Vibrant_writer जैसे हाथों से धीरे धीरे रेत सरकती है, वैसे ही मेरी जिंदगी से तुम सरक रहे हो, वक्त और हालात भी मेरे
smriti srivastava
इतना आसान नहीं दुनिया मे भी रहो और उल्टा भी चलो यादें क़ैद होती हैं लम्हे पकड़ में नहीं आते... वक़्त मुट्ठी से यूँ फिसल जाता है जैसे रेत सरकती हो हाथों से... तुझको भूल पाना नामुमकिन तो नहीं, मगर....याद रखूं ऐसे भी हालात नहीं..💞 smriti #NojotoQuote इतना आसान नहीं दुनिया मे भी रहो और उल्टा भी चलो यादें क़ैद होती हैं लम्हे पकड़ में नहीं आते...
Sandeep Kothar
मुट्ठी से रेत फिसलती जा रही है... मंज़िल की चाहत में उम्र गुजरती जा रही है... ये मुसाफ़िर.. पलट कर देख गुजरते हुए वक्त को, तेरी जिंदगी तेरे हथेली से सरकती जा रही है... ©Sandeep Kothar मुट्ठी से रेत फिसलती जा रही है मंज़िल की चाहत में उम्र गुजरती जा रही है... ये मुसाफ़िर.. पलट कर देख गुजरते हुए वक्त को, तेरी जिंदगी तेरे हथे
Sandeep Kothar