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Kamal bhansali
वक्त की बहती ऐ हवाओं जरा मेरे दिल को समझाओ वो किसी के प्यार में कहां तक जायेगा प्यार नहीं आखरी मंजिल जिंदगी की अब भी है वक्त लौट आओ किसने पूर्ण प्यार का पाया जो वो हुआ इतना दीवाना पता नहीं उसे बिन मंजिल कौन सा रिश्ता हुआ अपना अपरिभाषित प्यार नहीं तेरा लौट आ मीत, आगे अंधेरा ही अंधेरा वक्त की बहती हवाये
payal kuwar
रिम-झिम बरसात में सजाए थे कुछ ख्वाब तुम्हारी चाहतों की सांसे टूट गयी आया जभी उनका जवाब, गम को बह जाने दो इसी बरसात में कहीं राह देखते न रह जाओ तुम तुम आओंगे अभी-अभी, अभी इसी इंतज़ार में... ©payal kuwar # अरमानों की बहती नदियां
ꜱʜɪᴠʀᴀᴍ ꜱɪᴍᴩʟᴇ ʙᴏy
हम वो नही है, जो वक्त को काटने के बारे सोचे, हम वो है जो वक्त को बदलने का हिम्मत रखते है। ©ꜱʜɪᴠʀᴀᴍ ꜱɪᴍᴩʟᴇ ʙᴏy जिन्दगी की नाक में दम #SuperBloodMoon
ꜱʜɪᴠʀᴀᴍ ꜱɪᴍᴩʟᴇ ʙᴏy
हौसलो के तरकश मे कोशिश का वो तीर जिन्दा रखो हार जओ जिन्दगी मे सब कुछ , मगर जितने की उम्मीद जिन्दा रखो। ©ꜱʜɪᴠʀᴀᴍ ꜱɪᴍᴩʟᴇ ʙᴏy जिन्दगी की नाक में दम #changetheworld
Ajay Kumar Dwivedi
शीर्षक - नाक सुप्नखा की कटती है। मद में रहती है चूर सदा, पर पुरूषों को भरमाती है। सीता माँ सी नारी को, एक चूड़ैल आँख दिखाती हैं।। खुद को सती सावित्री कहती, और माया भी खूब रचाती है। पतिव्रता एक नारी पर वह, लांक्षन भी खूब लगाती है।। रूप सुप्नखा कभी-कभी, रानी का धर लेती है। राम की दुल्हन बनने का, मन में बिचार कर लेती है।। मगर भूल जाती है अक्सर, श्री राम नहीं ललचाते हैं। नारी के सौंदर्य के सम्मुख, लक्ष्मण ना शीश झुकाते हैं।। माना कि परीक्षा सीता को, पग-पग पर देनी पड़ती है। पर नाक सदा से भारत में, बस सुप्नखा की कटती है।। अजय कुमार द्विवेदी ''अजय'' ©Ajay Kumar Dwivedi शीर्षक - नाक सुप्नखा की कटती है।
RajeshKumar
####बच्चों की कविता#### 💐💐💐💐💐💐💐💐💐 💐10 जुलाई2018💐 सेब,संतरा,केला,अनार,और आम। ये हैं पाँच मीठे - मीठे फलों के नाम।। गेंदा,गुलाब,जूही,चम्पा और बेला। इन .पाँच फूलों से बनती है माला।।. बैल, भैंस, बकरी, गाय और घोड़ा। जानवरों के नाम याद कर लो थोड़ा। मोर, तोता,कबूतर,कौआ और बाज। पॉच पक्षियों के नाम याद करो आज।। गंगा,यमुना,.सरस्वती,कृष्णा और कावेरी। ये पाँच नादियों के नाम याद कर लो जरुरी।। शिशम , सखूआ, आम, नीम और बबूल। ये पाँच वृक्षो के नाम हैं तुम कर लो कुबूल।। लाल, हरा, नीला, काला और रंग हैं पीला। इन रंगों के कपड़ो में लगतें हैं रंग - रंगिला।। आलू, गोभी ,लौकी,करैलाऔर मूली। इनसे बनाकर सब्जी खा रही है जूली।। चना, मूंग ,अरहर, मटर और मसूर । ये सभी दालें हैं इसे लोग खाते जरूर ।। ज्वार ,बाजरा. मक्का ,गेहूं और धान । यह पांच अनाज है इसे लो तुम जान।। गाय, भैंस, बकरी, भेड़ और ऊंट । इनके दूधों को हम कर लेते हैं लुट ।। #Tr-Rajesh kumar# Mob - 9801974027 बच्चों की कविता