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Divuu.writes
तुझे भूल चुका हूं झूठ मैं ये दुनिया को बताता रहता हूं मेरी मां जब आँखें पढ़ती है तो नज़र चुराता रहता हूं ©Divuu.writes #selflove नजर चुराता #maa
Vipin Lakhera "अलंकार"
ये हवाएं न जाने किस गली ले जा रही हैं ये हवाएं, अनमनी सी, अनसुनी से ये हवाएं। अंधेरे रास्ते भटकाव के शागिर्द ही हैं, अंधेरे रास्ते मे ही भटकती ये हवाएं।। इस शहर में उस सहर से ही न जाने, क्यों भटकती जा रही हैं ये हवाएं। शहर दर डूबती तन्हाई में हैं गूंजती सी, कसक आँसू में भीगी सी भरी सी ये हवाएं। सफर में फैलती रुसवाइयों से लड़ झगड़कर, सफर पूरा हां करने अनमनी सी ये हवाएं। न जाने कब जरा हो इस सफर की इन्तेहाँ हो, इन्तेहाँ से दूर जाती ये हवाएं।।......(हवाएं-मन) #Isolated ये हवाएं, हवाएं-मन, मन जो भटकता है, टकराता है तन्हाई ये घबराता है...अनवरत चलता जाता है
Ashish Panwar
क्यों जिंदगी इम्तिहान लेती है शायद इसलिए कि इंसान मजबूत हो जाए निडर हो जाएं अपने आप काम के प्रति अपने सपनों के प्रति अपनी भावनाओं के प्रति इंसान की भावनाएं ही इंसान का सपना सच होगा या नहीं तय करती इंसान जितना चाहे अपनी भावनाओं से कभी ऊपर नहीं उठ पाता है भावनाएं जो इंसान को कमजोर बनाती है जो इंसान को दुखी करती है जो इंसान को हंसाती है जो इंसान को रुलाती है भावनाएं धारणाओं से बनती है जो भी धारणा इंसान किसी भी वस्तु किसी भी परिस्थिति किसी भी इंसान के प्रति बनाता है वही उसकी भावनाएं हो जाती है इंसान अपनी भावनाएं अपने हिसाब से नहीं बनाते हैं दूसरों को देखते हैं दूसरे क्या की क्या भावनाएं हैं इंसान अपने आप को कभी नहीं देखता इंसान अपने आपको दूसरों से कमजोर मानता है और महसूस भी करता है वह अपने आप को समझ ही नहीं पाता है कि वह वो सेर हैं जो जंगल का राजा है और वह हर मैं सपना सच कर सकता है जो उसने अपने लिए दिखा हे मन कभी घबराता है मन कभी इतराता है मन कभी कुछ लिख जाता है आशीष पवार
संदीप एडवोकेट
#NationalYouthDay वो सब रातें अपना कर्ज चुकाती हैं जिनकी नींदें किताबों में खो जाती है। ब्यूटी
Prem Nirala
कुंठित मन बार बार अपने लक्ष्य से घबराता हैं, जैसे वन में पथिक पत्थर से बार बार टकराता हैं! __प्रेम__निराला__ कुंठित मन बार बार अपने लक्ष्य से घबराता हैं, जैसे वन में पथिक पत्थर से बार बार टकराता हैं! __प्रेम__निराला__
Gita
Beauty in 7 Words तन के सुंदर होए सब मन के सुंदर ना होए सब तन तो होए मिट्टी का गागर , भरत जल पनघट पे फूट जाए मन के जो होय सुंदर आत्मा ईश्वर में तल्लीन हो जाए मन के जो होवे साचे मन को वहीं भावे @##ब्यूटी@##
Gopal Lal Bunker
~ बेचैनी के झरोखे से जब झांकता है दर्द, पता लग जाता है, कौन है हमदर्द कौन है खुदगर्ज ~ दर्द पहचान कराता है
The Half Mask Writer
मारा गया मोहब्बत में, नफ़रत के बाशिंदों से अब चौराहे पर लटकता ज़िस्म देखकर रूह भी उसकी रोती होगी #चौराहा