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Raj Mani Chaurasia
इंसान तो वही था जो एक होटल में एक वेटर को 100 रु ट्रीट दिया पर जाने क्यों वही इंसान एक ठेले वाले से मोल भाव करने लगा। इंसान तो वही है पर रंग उसके अनेक है। ©Raj Mani Chaurasia इंसान के बदलते रंग
Raj Mani Chaurasia
इंसान तो वही था जो एक होटल में एक वेटर को 100 रु ट्रीट दिया पर जाने क्यों वही इंसान एक ठेले वाले से मोल भाव करने लगा। इंसान तो वही है पर रंग उसके अनेक है। ©Raj Mani Chaurasia इंसान के बदलते रंग
tijori sing
कोई जख्म देता हे तो कोई सितम ढ़ाता हे ये बक्त का कहर हे जनाब यहाँ चंद पैसे पर इंसान भाव खाता हे ©tijori sing SI बदलते इंसान का रुख #OneSeason
Aryan Kumar
गिरगिट अपना रंग बदलना छोड़ दी क्योंकि लोग इंसान होते हुए अपना रंग बदल रहे हैं कड़वा है लेकिन सच है ©Aryan Kumar इंसान को रंग बदलते देखा है
Pushkar Sahu
किसी को हद से ज्यादा बेहद वक़्त ना देना क्यूंकि वक़्त तो पल पल बदलता हैं हम तो फिर भी इंसान हैं हम तो इंसान हैं बदलते रहते हैं
Dhananjay(dhanuj) Sankpal
_#कवी'धनूज. खुदगर्जी लोग और गरज़ कि बातें... हम सबकुछ और सब को समझते है फिर भी अनदेखा करते है क्या है ना की इंसान हूं इंसानियत का धर्म और फर्ज दोनों निभाता हूं देख हमें, उन जैसो को भी कभी खुद इंसान होने का एहसास तो हो जाये ©Dhananjay(dhanuj) Sankpal #इंसान #शायरी #धनूज
Heaven Writter
बदलते वक्त का मैं बदलता इंसान हूं, मुसीबतों से थका हरा मैं परेशान हूं। खुद को रोज समझता और समझाता मैं खुद से प्रेरित बदलता इंसान हूं । कल जो हुआ उसे याद कर कल की चिंतन में सबाबोर न होने वाला भविष्य को बेहतर बनाने के प्रयास में जुड़ा बदलता वक्त का मैं बदलता इंसान हूं। रास्ते की बिन प्रवाह किए मंजिल को पाने की जिद्द लिए मैं अडिग अचल एक पथ पकड़े चलता मैं बदलता इंसान हूं । तानो की गूंज, गालियों का मार खाता स्वार्थी निर्लज निठल्ला बस खुद का सोचता मैं बदलते वक्त का उदाहरण देता बदलता इंसान हूं। शायद पूरी होने वाली ख्वाबों का पिटारा लिए खुली आंखों से ख्वाब सजाता मैं ख्वाबों में खोया इंसान हूं । मैं बदलते वक्त का बदलता इंसान हूं। भावनाओं से बिन भयभीत हुए उसे भीतर दबाए इस्तेमाल करता मैं भावनामुक्त बदलता इंसान हूं । मिथ्य धैर्य किए धन की मानवकांक्षा लिए मैं लोभी प्रतीत होता बदलते वक्त का बदलता इंसान हूं । खुद को राज बनाएं गुमनामों की महफिल में शामिल औरों से बेहतर व पृथक साबित करता सबको जलाते बुझाते मैं बदलते वक्त का बदलता इंसान हूं । @heaven_writter संस्करण में सामिल एक और उलझी सुलझी कविता "बदलते वक्त का बदलता इंसान". आप सभी इस नई कविता को अपना स्नेह दे। बाकी सब राधे राधे 🙏 ©Satyam Kr Singh बदलते वक्त का मैं बदलता इंसान हूं । #dawnn
Nikhil Kaushik
नियत कब बिगड़ जाए ये किसी को मालूम नहीं इंसान थक ही जाता है अपनी जरूरतों को बदलते बदलते... ©Nikhil Kaushik Follow Me on Insta @niks_personal_diary #इंसान #जरूरत #बदलते #Neeyat
मेरे अल्फ़ाज़
वक़्त होता ही है बदलने के लिए, ठहरते तो बस लम्हे ही है..... -सूर्या सिंह #NojotoQuote मेरी अल्फ़ाज़ शायरी के साथ वक़्त के साथ इंसान को भी बदलते देखा है, #Nozoto #Nozotohindi #Shayari