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Death_Lover
जाने-न-जाने कहाँ जाता है ये अंश कोई रूह का, "राम" अब तुम ही बताओ कि जाए कहाँ ये पिंजड़े-सा शरीर॥ (मेरे राम) ©Himanshu Tomar #मेरे_राम #आत्मा #शरीर #आध्यात्म #विकृतियां #Drown
kavi manish mann
//दोहा विधा// विकृत सोंच सुधार नहीं,करें अनैतिक काम। काम,क्रोध अति लोभ से,छिड़े नित्य संग्राम। #मौर्यवंशी_मनीष_मन #collab #collabwithme #विकृति #सोंच #दोष
Alok Vishwakarma "आर्ष"
ध्यान हटाओ इस विकृत प्रेम से, और लगाओ अपने कार्य में जो तुम्हें करना है समय अनमोल सजा लो प्रेम से, न लगाओ तुम संसार में जहाँ केवल मरना है #प्रेम #विकृति #जीवनधारा #समय #हितैषी #संसार #मृत्यु #ज्ञान
अदनासा-
हे मानव ! सुन मैं प्रकृति हूं, मैं अपनी प्रत्येक आकृति को, पुनः निर्मित कर लूँगी। मानव तू स्वयं की कृति देख, एवं देख स्वयं की दुर्गति, तेरी आकृति विकृत हो रही है। ©अदनासा- #हिंदी #प्रकृति #कृति #धरती #विकृति #मानव #Pinterest #Instagram #Facebook #अदनासा
Ek villain
इससे शरीर के अंग तत्व में विकृतियां उत्पन्न होती हैं व्यक्ति बीमार होता है उसके शरीर का लचीलापन कम होता है चिकित्सकों के अनुसार शरीर की तंत्रिका प्रणाली में जितना लचीलापन होगा उतना ही शरीर प्राकृतिक ऊर्जा को ग्रहण सकेगा इसलिए बस ऋषि यों ने विनम्रता की प्रशंसा और अहंकार की निंदा की है लोगों को चाहिए कि वह देव पुरुषों की जीवन से प्रेरणा लेकर खुद समाज में सम्मानित बने तथा आसपास में सदाचरण की सुगंध विक्रेता की लंबे समय तक उनकी व्याख्याता रहे ©Ek villain #Marriage #इससे शरीर के अंग तत्व में विकृतियां उत्पन्न होती हैं
RAHUL VERMA
वासना मे कच्चे है पर दिल के हम अच्छे है…! #प्रेम #प्रकृति #वासना #विकृति #लफ़्फ़ाज़ #YourQuoteAndMine Collaborating with Anuup Kamal Agrawal Collaborating with Roli Abhilasha Collabora
Parul Sharma
तकनीकी कोई विकास नहीं एक विकृति है जो प्रकृति को रोंधकर और खरोंचकर जीवन को सरल और सुविधाजनक बनने का छलावा दिखाती है पारुल शर्मा तकनीकी कोई विकास नहीं मात्र एक विकृति है जो प्रकृति को रोंधकर और खरोंचकर जीवन को सरल और सुविधाजनक बनने का छलावा दिखाती है
Bhupendra Rawat
दुनिया के सभी बंधन से मुक्त होकर स्वयं को क़ैद करना चाहता है आधुनिक यंत्र की इस दुनिया में और जीत लेना चाहता है सम्पूर्ण विश्व को इन आधुनिक यंत्र से उसे खुद से अधिक विश्वास है खुद के बनाये गए यंत्र पर क्योंकि मनुष्य जो चाहता है वही करती है, वो मशीने लेकिन शायद भूल गया है हर एक मनुष्य कि वो बनता जा रहा है गुलाम धीरे धीरे खत्म करता जा रहा है खुद को,और बढ़ता जा रहा है एक नई दुनिया की ओर जो उसे ले जा रही है मानसिक विकृति की ओर वही मानसिक विकृति जिसका शिकार हो रहे है आप,मैं,और हम सब भूपेंद्र रावत 27।07।2020 दुनिया के सभी बंधन से मुक्त होकर स्वयं को क़ैद करना चाहता है आधुनिक यंत्र की इस दुनिया में और जीत लेना चाहता है सम्पूर्ण विश्व को इन आधुनिक