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Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय"
मुबारकां बहिनी किट्टू •°•°•°•°•°•°☆•°•°•°•°•°•° चलो बड़ी कवयित्री को छोड़कर आज, अपनी नन्ही कवयित्री के ख़िदमत में कुछ पेश करतें हैं। इस बेज़र के पास कोई बेनज़ीर तोहफ़ा तो नहीं, पर मामूली-सी दो पंक्तियाँ बतौर-ए-ख़ास बज़्म में रखतें हैं। ****** छोटी-सी हो पर हमारी हर शरारतों में आपका बड़ा साथ होता है! हमारी हर कविता-कहानी में हमेशा आपका दो-चार अल्फ़ाज़ होता है। दीदी नें अगर हमेंशा ठोकर लगनें से पहले ही थांमा है हमें हृदय, तो हर फ़तह-मात में कंधे पर हृदयांश "किर्ति" आपका हाथ होता है। Happy B'day sweetheart Kittu! 🥂🍫🍰🎂🍬🍭🍨🍦🍸🍟 Don't be senti bro.....it's fake info buddy😜😂 नोट:- बेज़र=कंगाल ख़जालत=भाग्यवान पश्येम शरद: शतं जीवेम शरद: शतं श्रुणुयाम शरद: शतं प्रब्रवाम शरद: शतमदीना: स्याम शरद: शतं भूयश्च शरद: शतात् ॥ जन्मदिवसस्य शुभाशया: अनुजा॥
✍️ लिकेश ठाकुर
हरी घास की चादर ओढ़े, प्रकृति कर रही श्रृंगार। नीला अम्बर साफ स्वच्छ, नवसृजन का होगा यह साल। स्वतंत्रता महसूस कर रहे, यहाँ पँछी और समाज। धर्मभेद तो सत्ता खेल था, हम तो शतंरज की बिसात। ख्वाहिशें तो बस लड़ाने की, चुप्पी अब साध बैठे जनाब। खुदा का आलय बंद पड़ा, खुला मधुशाला का द्वार। छीन गए गरीबों के सपनें, लौट आए अब अपने गांव। गाँवों में मेरा भारत बसता हैं, कर्जयुक्त मरे अन्नदाता किसान। शुद्ध हवा करती अठखेलियाँ, पवन चले अब सरसराहट, बादलों का मार्ग न विचलित, हिमालय में दिखे किरणें अपार। अब सनातन संस्कृति लौट आयी, सतत उन्नति से विश्व कल्याण। हरी घास की चादर ओढ़े, प्रकृति कर रही श्रृंगार।। ✍️लिकेश ठाकुर हरी घास की चादर ओढ़े, प्रकृति कर रही श्रृंगार। नीला अम्बर साफ स्वच्छ, नवसृजन का होगा यह साल। स्वतंत्रता महसूस कर रहे, यहाँ पँछी और समाज। धर्
Madhav Jha
धर्मेण गमनमूर्ध्वं गमनधस्ताद्भवत्यधर्मेण । ज्ञानेन चापवर्गो विपर्य्यादिष्यते बंधः ।। 44 ।। It directly means : By virtue, ascent to higher planes, and by vice, descent to lower planes take place; by knowledge release is obtained while by the reverse of it (i.e. by ignorance) one gets bound. 【SEE CAPTION】 By following Virtue one attains to the Heaven and higher regions of Light etc. By vice, one goes to the nether regions such as bhutala etc*.
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" प्रिय शैलजा " ( अनुशीर्षक ) _________________________________________________ जन्मदिनमिदम् अयि प्रिय सखे । शं तनोतु ते सर्वदा मुदम् ॥ अर्थ – हे प्रिय मित्र, यह जन्मदि