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राहुल अग्निहोत्री
सस्यमिव मतर्या: पच्यते सस्यामिवाजायते पुनः। अर्थात मरणधर्मा मनुष्य अनाज की तरह है जो जराजीर्ण होकर मर जाता है और फिर पुनः जन्म लेता है। कठोपनिषद लोक्ति #nojoto #poem
Devashree R
गणेश गायत्री एकदंताय विद्महे, वक्रतुंडाय धीमहि। तन्नो दंती प्रचोदयात्।। ©Devashree R प्रातः स्मरण के लिए आसान श्लोक।
Vivek
श्लोक से पढ़ जाती हो मेरी आंखों में देखकर क्या तुम भी करती हो प्रार्थनाएँ फिर हमसे मिलने की...!!! ©Vivek # श्लोक
Surendra Kumar Kahar
श्लोक ----------- मुकंकरोति वाचालं पंगुंलङ्घयेतगृं। यतिकृपातहंवन्दे परमानन्द माधवं।। ©Surendra Kumar Kahar श्लोक