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Aनुभा
मेरे बच्चों ध्यान रहे, पानी का तुमको मान रहे।अगर प्रदूषण फैलाया ,संकट मे सबकी जान रहे।वृक्ष लगाएँ बढ़े आक्सीजन अगली पीढ़ी को आराम रहे। धरती कहे पुकार के.....
Aनुभा
मेरे बच्चों ध्यान रहे, पानी का तुमको मान रहे।अगर प्रदूषण फैलाया ,संकट मे सबकी जान रहे।वृक्ष लगाएँ बढ़े आक्सीजन अगली पीढ़ी को आराम रहे। धरती कहे पुकार के.....
M.K.Gautam
"धरती कहे पुकार के " नमन करो इस देश की अपनी माटी को जिसने इतना प्यार दिया जाति को भेद किया ना कभी किसी के रूप का रंग चढ़ाया सभी को अपनी धूप ka ................. नमन करो इस देश की अपनी माटी को जिसने इतना प्यार दिया हर जाति को .......... हर मुस्किल में साथ सभी के होते हैं गले लगाया उनको जो रोते हैं हर देश से अपना नाता है प्यार का नहीं चुनेंगे रस्ता कभी तकरार का खोने नहीं हम देंगे इस ख्याति को नमन करो इस देश की अपनी माटी को ..... नमन करो इस देश की अपनी माटी को जिसने इतना प्यार दिया हर जाति को भेद किया ना कभी किसी के रूप का रंग चढ़ाया सभी को अपनी धूप का .......... जनम दिया हर माँ ने यहाँ वीरो को तोड़ के रख दें जो मुश्किल जंजीरों को दुश्मन को ना पास कभी वो आने दे तोड़ के रख दें दुश्मन की वो छाती को ......... नमन करो इस देश की अपनी माटी को जिसने इतना प्यार दिया हर जाति को जय हिंद.......जय भारत ------------------------------- ©M.K.Gautam # धरती कहे पुकार के........ ----------------------------
sarika thakur
धरती कहे पुकार के, आए दिन बहार के, हवा कहने लगी इतनी साफ मैं कभी न लगी, पेड़ पौधे खुशी के मारे लहरा उठे, पशु पक्षी चहचहा उठे धरती कहे पुकार के
Diwan G
मुझे प्लास्टिक मुक्त करो वरना एक दिन मैं पृथ्वी हूँ, मुझे प्लास्टिक मुक्त करो, वरना एक दिन मैं जहरीली हो जाऊँगी, और हर किसी की जिंदगी में घुल जाऊँगी। तुम प्लास्टिक का कहर देखो, इसे जलाओ तो हवा प्रदूषित, दफनाओ तो मिट्टी दूषित, बहाओ तो पानी दूषित। हवा,पानी और मिट्टी के बिना जीवन संभव नहीं, ये सब जहरीला हो जायेगा। और धरातल में रहना मुश्किल हो जाएगा। होने को ये लचीला है,मगर बेहद जहरीला है। FantasyWriter: ....Diwan G.... धरती कहे पुकार के। #पृथ्वी #धरा #धरती #प्लास्टिक #खतरा #जहरीला #nojoto
NARPAT SINGH
❄ विधा -गीत प्यासी धरती करे पुकार क्यों तरसाओं मेघ मल्हार सूखे नदी कूप तालाब कितना सहे और आफ़ताब काका सूरज होता बदनाम तरु अश्क बहाये सुबह शाम कली खिले ना ही कचनार प्यासी ......(1) हलधर होता चिंतित आज मौन मंडराये बादल राज झमाझम होगी कब बौछार जीव जंतु बेचारे सब लाचार पानी बिन मची है हाहाकार प्यासी......(2) मोर पपीहे व्याकुल दिन रात सूख गये तृण तृण और पात तेज ताप से जन- जन बेहाल छोड़ गऊयें बेसुध हुए गोपाल इन्द्र करो अब तुम उपकार प्यासी.....(3) ✍एन एस गोहिल गौरड़िया(बाड़मेर)राज #साहित्य_सागर प्यासी धरती करे पुकार
Sunita
धरती की पुकार अब लो तुम मुझे संवार कर ली बहुत मनमानी तुमने कब तक करोगे नादानी तुम्हारे ही बुजुर्गों ने दी थी मुझे इज्जत, किया था मेरा वंदन, मैं भी बहुत इतराई। पर आज द्रवित है मन मेरा, इतनी कुल्हाड़ी खाई, कि लगता है पृथ्वी से होगी मेरी जुदाई। संभल जा मानव मेरे सिवा न होगा तेरा कोई और तू भी होगा धरा साही, मुझसे बने हैं ये हवा, पानी, नभ के संचालन संभाल मुझे नही तो तेरी छवि धुंधलाई।। ©Sunita धरती की पुकार
Anamika
सूरज का आक्रोश है, बिलख रहे तालाब, कुओं, नदी ने छोड़ दी, अब अपनी आस, बन गया आतिश ये, तपे नगर और गांव, जीवन सभी अकुला उठे, ढूंढत रहे हैं छांव, कर सको इतना कर लो, वृक्ष न काटत कोय, धरा ,जल को बचावत लो, सपंदा हमार है ये होय। @@धरती की यही पुकार@@
@thewriterVDS
"कबीर" मलिन आवत देख के, कलियन कहे पुकार । फूले फूले चुन लिए, कलि हमारी बार । भावार्थ: मालिन को आते देखकर बगीचे की कलियाँ आपस में बातें करती हैं कि आज मालिन ने फूलों को तोड़ लिया और कल हमारी बारी आ जाएगी। भावार्थात आज आप जवान हैं कल आप भी बूढ़े हो जायेंगे और एक दिन मिटटी में मिल जाओगे। आज की कली, कल फूल बनेगी। . ©@thewriterVDS #मालिन #देख #के #कहे #पुकार #फूल #कलि #चुन #Wochaand