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Dhan dhanauy
धन बहादुर ऐर ©Dhan dhanauy मेरो विचारमा तपाईंले मलाई दिनुभएको महिमा तिनीहरूले आफ्नो तरवार र नि शुल्क इंटरनेट को सुविधा हो #brothersday
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आफ्नै शब्द,सङ्गित र स्वरमा रचना गरिएको मेरो पहिलो गिति सङग्रह 🎶 कृपया सुनेर प्रतिक्रिया दिनु होला! ▶ 🔊 ──────── 00:04:12 🎵🎵 जित बहादुर राना मगर आफ्नै शब्द,सङ्गित र स्वरमा रचना गरिएको मेरो पहिलो गिति सङग्रह 😊😊😊 कृपया सुनेर प्रतिक्रिया दिनु होला!! ▶ 🔊 ──────── 00:04:12 🎵🎵
Yudi Shah
यहा कर्म मा बिश्वास गरु कि मर्म बाट गुज्रिएको ती भरमा कतिपय कुराहरु जिन्दगीमा न सोचे जस्ता हुन्छन् कहिले किरणको रंग जस्तै त कहिले उडिरहे झै पुतली का पंख जस्तै हुन्छन् हावाले जहाँ जहाँ डुलाइ दियो ताहा-ताहा अफ्नो लक्ष्य परिवर्तन बनाई लियो सायद कसै कसैको त समय र किसमत पनि एकै साथमा चल्छन् र कसै कसैको त भिन्न बिन्दुमा अल्झिएर मिटछ्न यहा दोषी जो पनि हुनसक्छन् आफ्नो अमुल्य समय कि त समयले नचाहेको पनि हुन सक्छन तर प्रयास निरन्तर दिनु पनि आफैमा एउटा ठुलो कुरा हो अगाडि बढनु यसको अर्थ जित नै हासिल हुन्छ जरुरी पनि छैन हारेरपनि हौसला न टुट्न दिनु पनि आफैंमा एउटा ठुलो जित हो... र अन्त्यमा यहि भन्न चाहन्छु कि गत वर्ष भन्दा पनि राम्रो दिन बितोस कहिले भुक्म्पले हानी गर्यो त कहिले मानवीय नकारात्मक सोचले पनि सायद हामी मनुष्य आफ्नो बिनाश तर्फ लागेका छौं र साथै यस पृथ्वीमा रहेका सम्पुर्ण जिवजन्तुहरुको पनि Words ©✍️ ¥ud! $h@h #HappyNew¥ear2078 ©Yudi Shah यहा कर्म मा बिश्वास गरु कि मर्म बाट गुज्रिएको ती भरमा कतिपय कुराहरु जिन्दगीमा न सोचे जस्ता हुन्छन् कहिले किरणको रंग जस्तै त कहिले उडिरहे
Swatantra Kumar Singh
हम वहिते कहि देबे एक दिन हम तुमका बहुतै चाहिति है ( In Caption ) Tried avadhi language for the 1st time... Please give honest reviews🤓 बस याक झलक की आशा मा हम गली मा तुम्हरे आइति है हम वहिते कहि देबे एक द
Anamika Nautiyal
भंडी दिनु बटी स्वीणों मा कुई मिथैं सताणु च, जख भी हेरदी आँखी मेरी मैं वै कु रुप दिखेणु च आछंरी जन वु छा कुई मन मेरु कखि हरी ली ग्यै, वै की छुयों कु मिठु गुमणाट सब जगह सुणेणु च। ऊँचा-ऊँचा डाँडो की ठंडी, ह्यूं की बंथौ सी वु मिं थै धर्मयाला आगाश मां घुघती जनु उडाणु च। खोजदी रणु वै सणि पर पता नी कख लुकि जान्दू, लोग पुछणा छन मिथैं , तेरु मन कख जाणु च। सुणा अब नी रै ग्यों मैं 'अनाम' वै कु नौ मिलीगे मैं मेरी जिकुडी मां बैठ्यूं वु बौल्या जनु मैं हँसाणु च। ट्राई मारनू च 😂 भंडी दिनु बटी स्वीणों मा कुई मिथैं सताणु च, जख भी हेरदी आँखी मेरी मैं वै कु रुप दिखेणु च बहुत दिनों से ख्यालों में कोई म
Vikas Sharma Shivaaya'
🙏सुन्दरकांड 🙏 दोहा – 26 हनुमानजी फिर से माता सीता के पास आते है पूँछ बुझाइ खोइ श्रम धरि लघु रूप बहोरि। जनकसुता के आगें ठाढ़ भयउ कर जोरि॥26॥ अपनी पूंछ को बुझा कर, श्रम को मिटा कर (थकावट दूर करके),फिर से छोटा स्वरूप धारण कर के हनुमान जी हाथ जोड़ कर सीताजी के आगे आ खडे हुए ॥26॥ श्री राम, जय राम, जय जय राम माता सीता का प्रभु राम के लिए संदेशा सीताजी हनुमानजीको पहचान का चिन्ह देती है मातु मोहि दीजे कछु चीन्हा। जैसें रघुनायक मोहि दीन्हा॥ चूड़ामनि उतारि तब दयऊ। हरष समेत पवनसुत लयऊ॥1॥ और बोले कि हे माता!जैसे रामचन्द्रजी ने मुझको पहचान के लिये मुद्रिका का निशान दिया था,वैसे ही आप भी मुझको कुछ चिन्ह (पहचान) दो॥तब सीताजी ने अपने सिर से उतार कर चूडामणि दिया।हनुमानजी ने बड़े आनंद के साथ वह ले लिया॥ सीताजी श्री राम के लिए संदेशा देती है कहेहु तात अस मोर प्रनामा। सब प्रकार प्रभु पूरनकामा॥ दीन दयाल बिरिदु संभारी। हरहु नाथ मम संकट भारी॥2॥ सीताजी ने हनुमानजी से कहा कि हे पुत्र!मेरा प्रणाम कह कर प्रभु से ऐसे कहना कि हे प्रभु!यद्यपि आप सर्व प्रकारसे पूर्णकाम हो(आपको किसी प्रकार की कामना नहीं है)॥हे नाथ! आप दीनदयाल हो,दीनो (दुःखियो) पर दया करना आपका विरद है,(और मै दीन हूँ)अतः उस विरद को याद करके, मेरे इस महासंकट को दूर करो॥ माता सीता का श्रीराम को संदेशा तात सक्रसुत कथा सुनाएहु। बान प्रताप प्रभुहि समुझाएहु॥ मास दिवस महुँ नाथु न आवा। तौ पुनि मोहि जिअत नहिं पावा॥3॥ हे पुत्र । फिर इन्द्र के पुत्र जयंत की कथा सुना कर प्रभु कों बाणों का प्रताप समझाकर याद दिलाना और कहना कि हे नाथ जो आप एक महीने के अन्दर नहीं पधारोगे,तो फिर आप मुझको जीवित नहीं पाएँगे॥ सीताजी को हनुमानजी के जाने का दुःख कहु कपि केहि बिधि राखौं प्राना। तुम्हहू तात कहत अब जाना॥ तोहि देखि सीतलि भइ छाती। पुनि मो कहुँ सोइ दिनु सो राती॥4॥ हे तात! कहना, अब मैं अपने प्राणोंको किस प्रकार रखूँ?क्योंकि तुम भी अब जाने को कह रहे हो॥तुमको देखकर मेरी छाती ठंढी हुई थीपरंतु अब तो फिर मेरे लिए वही दिन हैं और वही रातें हैं॥ आगे शनिवार को ..., Affirmations:- 6.मैं खुला हुआ हूँ और बहुत कुछ पाने के लिए तैयार हूँ..., 7.हमारे अंदर जो उत्तर हैं वो आसानी से मुझे पता चल जाते हैं ..., 8.मैं अतीत को आसानी से पीछे छोड़ देता हूँ और जीवन की प्रक्रिया पर विश्वास करता हूँ ..., 9.मैं अपना व्यक्ति होने के लिए स्वतंत्र हूँ ..., 10. मैं उसी प्रकार से संपूर्ण हूँ जैसा मैं हूँ..., 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' 🙏सुन्दरकांड 🙏 दोहा – 26 हनुमानजी फिर से माता सीता के पास आते है पूँछ बुझाइ खोइ श्रम धरि लघु रूप बहोरि। जनकसुता के आगें ठाढ़ भयउ कर जोरि॥26॥ अ