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riaa tiwari dewaria India

राधे राधे राधे राधे राधे

©riaa tiwari dewaria India
  वृछ का फल

वृछ का फल #समाज

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safaritefaqka

Love in sex :- इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) 
Image :- Self Created
 #paidstory  #pc1 #safaritefaqka #yqaestheticthoughts #yqrestzone #yqhindi #eroti

इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) Image :- Self Created #paidstory #pc1 #safaritefaqka #yqaestheticthoughts #yqrestzone #yqhindi eroti #Sex #erotica

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Rajnish Sharma

बुजुर्ग बाप से  देखा  ना गया,इकलौते  र् ईस बेटे का दुख
बहु नाराज  हुई,खुद ही  वृदाआश्रम उठ के चल दिया  वृद

वृद

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Rakesh Sir

वृत का परिधि

वृत का परिधि #जानकारी

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जगदीश निराला

तेरे नाम का व्रत मैं तेरा चांद तू मेरी चांदनी.
मैं तेरी जान तू मेरी ज़िन्दगी।

तू मेरा वृत है.मैं तेरा उपवास.
मैं तेरा सम्मान्ः तू ही मेरी ख़ास।

स्वस्थ रहे प्रसन्नता से मेरा साथ निभाये.
सातों जन्मों तक तुझे .कोइ कष्ट भी छू ना पाये।

तेरे नाम का वृती हूं मैं.मेरी सांसे तुझको अर्पण.
इक दूजे को देखे जी भर.ये बीच मेंं काहे का दर्पण।

जगदीश निरालाःमांगरोल तेरे नाम का वृत

तेरे नाम का वृत

29 Love

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Shambhu Nath Pankaj

पंडित वृज नारायण 'चकबस्त'
हिंदी और उर्दू के प्रसिद्ध शायर और कवि थे
उन्होंने श्री कृष्ण के 'लट' यानी बालों के घुमावदार सौंदर्य पर कुछ पत्तियां लिखी थीं जो मैं यहां उद्धृत कर रहा हूं
'लाम'(यानी उर्दू के अक्षर लाम की तरह)
के मानिंद हैं 'गेसू' (यानी बाल) 
मेरे घनश्याम के, लोग वो 'काफिर'
(यानी अनास्थावान) हैं जो ' कायल'
नहीं इस 'लाम' के .....
********

©Shambhu Nath Pankaj #पंडित वृज नारायण के प्रति

#पंडित वृज नारायण के प्रति #शायरी

0 Love

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Rajeev namdeo "Rana lidhori"

ज़मीं से फ़लक तक, ज़मीं से फलक तक, 
ढूंढने पर एक भी ऐसी 
औरत नहीं मिली 
जो एक दिन भी चुप (मौन) रहती हो।
वो नौ दिन तक बिना खाये रह सकती है।
बिना पानी के भी दिनभर रह सकती है लेकिन दो घंटे भी मौन नहीं रह सकती।
&&&
@राजीव नामदेव "राना लिधौरी"
टीकमगढ़ (म.प्र.) #औरत #वृत #उपवास #राजीव_नामदेव #राना_लिधौरी
#हास्य
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Niranjan k Pandey

रवीन्द्रनाथ ठाकुर
जीवन-वृत :
इंद्रनाथ चौधुरी
भाग:१ 
आवाज: निरंजन पांडेय

रवीन्द्रनाथ ठाकुर जीवन-वृत : इंद्रनाथ चौधुरी भाग:१ आवाज: निरंजन पांडेय

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Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma

सभी को राम राम और सभी भाई बहनों को दशा माता वृत कि हार्दिक शुभकामनाएं

#MusicalMemories

सभी को राम राम और सभी भाई बहनों को दशा माता वृत कि हार्दिक शुभकामनाएं #MusicalMemories #समाज

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RJ Ankesh

ना किसी से दोस्ती ना किसी से प्यार, वृत की परिधि = 2πr नोट- 2πr को "टू पाई आर" पढ़ते हैं।

ना किसी से दोस्ती ना किसी से प्यार, वृत की परिधि = 2πr नोट- 2πr को "टू पाई आर" पढ़ते हैं।

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KP EDUCATION HD

KP TECHNOLOGY HD video editing apps for 555

©KP STUDY HD साथ ही सावन में द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने का भी विशेष महत्व है। क्योंकि शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव के ये सभी ज्योतिर्लिंग प्राणिय

साथ ही सावन में द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने का भी विशेष महत्व है। क्योंकि शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव के ये सभी ज्योतिर्लिंग प्राणिय #News

12 Love

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ashish gupta

मां अगर घनी वृष तो घनी छांव है पापा
जिस की छांव में सुरक्षित हर कोई  है रहता
हम बच्चों की इच्छा पूरी करते हैं वह
ईश्वर रूप में वरदान है हमारे मम्मी पापा

सदैव बनकर रहना मम्मी पापा के दास
यही है सबसे अनमोल और खास
मेरे लिए और उसे थोड़े है प्यारे

बड़े नाजों से पाले हैं ईश्वर  बन
अच्छे संस्कारों को सिखलाते वह प्रतिफल
प्रेम और अपनेपन की छांव से
अच्छे बुरे का ज्ञान देते हैं हरदम

माता पिता के ज्ञान को
रखता हूं मैं सदैव मान
मेरे आदर्श स्वाभिमान है वह
हर एक जीत में मैं करता हूं उनका ही गुणगान

ईश्वर से मांगू यही वरदान
हर जन्म में बंधन की ही संतान
आपकी आशीर्वाद की छांव से
सदा महकता रहे मेरा जहान

©ashish gupta
  #maaPapa 

मां अगर घनी वृष तो घनी छांव है पापा
जिस की छांव में सुरक्षित हर कोई  है रहता
हम बच्चों की इच्छा पूरी करते हैं वह
ईश्वर रूप में वर

#maaPapa मां अगर घनी वृष तो घनी छांव है पापा जिस की छांव में सुरक्षित हर कोई है रहता हम बच्चों की इच्छा पूरी करते हैं वह ईश्वर रूप में वर #films

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Sunita D Prasad


#चाहते हुए भी.......

चाहते हुए भी मैं नहीं समझा पाई तुम्हें
मोह और प्रेम के मध्य का अंतर
या फिर तुम मानना ही नहीं चाहते  
कि लालसाओं की ललक उनके अप्राप्य तक ही रही उत्कट


आकाश को न छू पाने की पर्वतों की हताशा
हरे रहकर भी फलहीन वृक्षों का दुःख 
दिन-ब-दिन गहराता गया
और मैं चाहते हुए भी  नहीं लिख पाई इनकी व्यथा!


मैं नहीं भेद पाती हूँ
तुम्हारे चुम्बनों का अदृश्य वृत!
मेरी भाषा हर बार लौटकर
तुम्हारी पीठ से आ सटती है
और  प्रेम से अधिक कुछ  
लिख ही नहीं पाती!


अच्छा होता यदि सूरज 
हर साँझ अस्त हो गया होता
तो रातें शायद इतनी नहीं तपतीं
अब भलीभाँति समझ पाती हूँ
कि कैसे लिख पाए होंगे 
भाषाविहीन होने पर भी कवि
ऐसे लंबे-लंबे ग्रंथ?
--सुनीता डी प्रसाद💐💐







 
#चाहते हुए भी.......

चाहते हुए भी मैं नहीं समझा पाई तुम्हें
मोह और प्रेम के मध्य का अंतर
या फिर तुम मानना ही नहीं चाहते  
कि लालसाओं की लल

#चाहते हुए भी....... चाहते हुए भी मैं नहीं समझा पाई तुम्हें मोह और प्रेम के मध्य का अंतर या फिर तुम मानना ही नहीं चाहते कि लालसाओं की लल #yqbaba #yqdidi #yqpowrimo

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Harshita Dawar

Written by Harshita Dawar ✍️✍️
#Jazzbaat#
मकानों के जंगल में मंगल नहीं सब दंगल है ।
मकानों के जंगल में दिल नहीं दिमाग है।
मकानों के जंगल में हम लोग नहीं जानवर बन गए है।
मकानों के जंगल में हम संस्कार नहीं बलात्कार हो रहे है।
मकानों के जंगल में बड़ों की इज्जत नहीं, घरों में नहीं वृद आश्रम में तब्दील हो रहे है।
मकानों के जंगल में सुख शांति नहीं बेचैनी रहने लगी है।
मकानों के जंगल में सुख नहीं कलह में तब्दील होते जा रहे है।
मकानों के जंगल में औरत के सम्मान को समझने वाले ज़ख्म देने वाले बढ़ते जा रहे है।
मकानों के जंगल में जहां औरत की इज्जत नहीं वहां कभी बरकत नहीं  हो सकती। बुजुरगो का आशीर्वाद नहीं वो मकान कभी घर नहीं बन सकता। #मकानोंकेजंगल #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
Written by Harshita Dawar ✍️✍️
#Jazzbaat#
मकानों के जंगल

मकानोंकेजंगल collab yqdidi YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi Written by Harshita Dawar ✍️✍️ Jazzbaat# मकानों के जंगल

0 Love

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Pakhi Mitra

 #International_Womans_Day__Special_❤

"हवस" और "हैवानियत" से उपर उठ कर सोंचिये ,
       "जन्म" देने से लेकर "साथ" देने तक 
             एक "

International_Womans_Day__Special_❤ "हवस" और "हैवानियत" से उपर उठ कर सोंचिये , "जन्म" देने से लेकर "साथ" देने तक एक " #RESPECTWOMEN #nojotophoto #savetree #PakhiMitra

10 Love

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Anupama Jha

समीकरण

(कविता अनुशीर्षक में) #समीकरण

प्रेम में पड़ी लडक़ी
नहीं देखना चाहती जीवन में
किसी तरह की विषमता।
ज़िन्दगी को जीना चाहती है
कविताओं के समीकरण से।
भागती हैं दूर गणित

#समीकरण प्रेम में पड़ी लडक़ी नहीं देखना चाहती जीवन में किसी तरह की विषमता। ज़िन्दगी को जीना चाहती है कविताओं के समीकरण से। भागती हैं दूर गणित #yqdidi #yqhindi #yqpoem

0 Love

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Shailendra Rajpoot

आप सभी प्रियजनों को, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की अनंत बधाइयाँ...!!
प्रभु श्रीकृष्ण आप सभी के जीवन को असीम खुशियों से परिपूर्ण करें। जन्माष्टमी के पावन-पुनीत पर्व पर भक्तवत्सल भगवान श्रीकृष्ण जी के चरण-कमलों में सादर समर्पित मेरी हृदयतल स्पर्शी पुष्पांजलि भावनाएँ आप सबके समक्ष प्रस्तुत हैं।भगवान श्रीकृष्ण सबका कल्याण करें!! राधे! राधे!

"हे! नंदलाला"

शोभित सुंदर नयन विशाला, 
हे! नंदलाला हे! नंदलाला।
मुरली राजत अधर रसाला,
ये बंसीवाला, ये मुरली वाला,
हे! नंदलाला हे! नंदलाला।

मुरली मधुर बजावत है,
सबके मन हर्षावत है,
पशु-पक्षी हो, या बृजबाला,
ये बंसीवाला, ये मुरली वाला,
हे! नंदलाला हे! नंदलाला।

सिर पर मुकुट विराजत है,
पंख मयूर का राजत है,
लगे बड़ा प्यारा, वृज गोपाला,
ये बंसीवाला, ये मुरली वाला,
हे! नंदलाला हे! नंदलाला।

माखन चुरावत है, 
सबको सतावत है,
करती शिकायत इसकी,
बृज की हर बाला,
ये बंसीवाला, ये मुरली वाला,
हे! नंदलाला हे! नंदलाला।

हे! भक्तवत्सल, जन्मदिवस पर, 
शीश नवाता मैं,  मेरे प्रभुवर,
दर्शन पाकर, अति भाव-विह्वल,
बछिया-बछड़ा, गाय और ग्वाला,
ये बंसीवाला, ये मुरली वाला,
हे! नंदलाला हे! नंदलाला।
            ©शैलेन्द्र राजपूत
               11.08.200 आप सभी प्रियजनों को, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की अनंत बधाइयाँ...!!
प्रभु श्रीकृष्ण आप सभी के जीवन को असीम खुशियों से परिपूर्ण करें। जन्माष्टमी क

आप सभी प्रियजनों को, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की अनंत बधाइयाँ...!! प्रभु श्रीकृष्ण आप सभी के जीवन को असीम खुशियों से परिपूर्ण करें। जन्माष्टमी क #Krishna #कविता

8 Love

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Sunita D Prasad

#शब्दों का कौमार्य.....


यह शब्दों का सौंदर्य रहा
कि हर नए वाक्य पर 
उनका कौमार्य 
यथावत रहा।

इधर मैं 
कविता की वे अंतिम पंक्तियाँ रही 
जिन्होंने उसके प्रारब्ध के संग 
पूर्ण निर्वाहन किया। 

मैंने इच्छाओं की 
उर्वरक भू पर  
पाँव  जमाते हुए 
स्नेह की दृंढ़ता को
थामना चाह
पर इच्छाएँ वजनी निकलीं।

मेरे मुखमंडल पर 
विग्रह वेदना का प्रतिबिंब ठहरता
इससे पूर्व
एक समृद्ध संतुष्टि का आवरण 
स्वेच्छा से ओढ़ लिया
दुःख की तुलना में 
सुख अकिंचन  रहे
पर अस्तित्वहीन  नहीं 

जीवन में प्रेम 
तब उद्धृत हुआ 
जब वह  लगभग 
परिभाषा विहीन हो चुका 
प्रतीक्षित अनुभूतियाँ 
भाषा के अभाव में
अनर्थ  सिद्ध  हुईं

पूरे नाट्यक्रम में
अपने संवादों को कंठस्थ कर
नेपथ्य में
प्रविष्टि की प्रतीक्षा करती रही 
परंतु हम सभी
अस्थाई  दृश्यों के 
अस्पष्ट पात्र ही साबित हुए। 

जीवन अपनी गति में चला
दृश्यों संग पात्र बदलते गए
पर  कुछ प्रतीक्षाएँ
कभी समाप्त नहीं हुईं

जहाँ  दुनिया वृताकार रही 
वहीं प्रेम सरल रेखा समान
संभवतः तभी
वृत की गोलाई
कभी नाप ही नहीं पाई!! #शब्दों का कौमार्य.....


यह शब्दों का सौंदर्य रहा
कि हर नए वाक्य पर 
उनका कौमार्य 
यथावत रहा।

#शब्दों का कौमार्य..... यह शब्दों का सौंदर्य रहा कि हर नए वाक्य पर उनका कौमार्य यथावत रहा। #yqbaba #yqdidi #yqpowrimo

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Bhaskar Anand

धागे जब सज कर प्रेम का रंग लेती तो स्वरूप कुछ जज्बातों सा सवंर जाती आहिस्ता आहिस्ता उस धागों का स्वरूप जब रिश्तों के कलाईयों पर अपना उपस्थित

धागे जब सज कर प्रेम का रंग लेती तो स्वरूप कुछ जज्बातों सा सवंर जाती आहिस्ता आहिस्ता उस धागों का स्वरूप जब रिश्तों के कलाईयों पर अपना उपस्थित

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Vikas Sharma Shivaaya'

एक पौराणिक कथा के अनुसार पानी का जन्म भगवान विष्णु के पैरों से हुआ है. पानी को "नीर" या "नर" भी कहा जाता है. भगवान विष्णु जल में ही निवास करते हैं. इसलिए "नर" शब्द से उनका "नारायण"नाम पड़ा है...,

पुराणों में भगवान विष्णु के दो रूप बताए गए हैं. एक रूप में तो उन्हें बहुत शांत, प्रसन्न और कोमल बताया गया है और दूसरे रूप में प्रभु को बहुत भयानक बताया गया है...,

जहां श्रीहरि काल स्वरूप शेषनाग पर आरामदायक मुद्रा में बैठे हैं. लेकिन प्रभु का रूप कोई भी हो, उनका ह्रदय तो कोमल है और तभी तो उन्हें कमलाकांत और भक्तवत्सल कहा जाता है...,

कहा जाता है कि भगवान विष्णु का शांत चेहरा कठिन परिस्थितियों में व्यक्ति को शांत रहने की प्रेरणा देता है. समस्याओं का समाधान शांत रहकर ही सफलतापूर्वक ढूंढा जा सकता है...,
शास्त्रों में भगवान विष्णु के बारे में लिखा है:-
"शान्ताकारं भुजगशयनं"। पद्मनाभं सुरेशं ।
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् ।
इसका अर्थ है भगवान विष्णु शांत भाव से शेषनाग पर आराम कर रहे हैं. भगवान विष्णु के इस रूप को देखकर मन में ये प्रश्न उठता है कि सर्पों के राजा पर बैठ कर कोई इतना शांत कैसे रह सकता है? लेकिन वो तो भगवान हैं और उनके लिए सब कुछ संभव है...,

भगवान विष्णु को "हरि" नाम से भी बुलाया जाता है. हरि की उत्पत्ति हर से हुई है. 
ऐसा कहा जाता है कि "हरि हरति पापानि" जिसका अर्थ है- हरि भगवान हमारे जीवन में आने वाली सभी समस्याओं और पापों को दूर करते हैं...,
इसीलिए भगवान विष्णु को हरि भी कहा जाता है, क्योंकि सच्चे मन से श्रीहरि का स्मरण करने वालों को कभी निऱाशा नहीं मिलती है. कष्ट और मुसीबत चाहें जितनी भी बड़ी हो श्रीहरि सब दुख हर लेते हैं...,

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 586 से 597 नाम

586 शुभांगः सुन्दर शरीर धारण करने वाले हैं
587 शान्तिदः शान्ति देने वाले हैं
588 स्रष्टा आरम्भ में सब भूतों को रचने वाले हैं
589 कुमुदः कु अर्थात पृथ्वी में मुदित होने वाले हैं
590 कुवलेशयः कु अर्थात पृथ्वी के वलन करने से जल कुवल कहलाता है उसमे शयन करने वाले हैं
591 गोहितः गौओं के हितकारी हैं
592 गोपतिः गो अर्थात भूमि के पति हैं
593 गोप्ता जगत के रक्षक हैं
594 वृषभाक्षः वृष अर्थात धर्म जिनकी दृष्टि है
595 वृषप्रियः जिन्हे वृष अर्थात धर्म प्रिय है
596 अनिवर्ती देवासुरसंग्राम से पीछे न हटने वाले हैं
597 निवृतात्मा जिनकी आत्मा स्वभाव से ही विषयों से निवृत्त है

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' एक पौराणिक कथा के अनुसार पानी का जन्म भगवान विष्णु के पैरों से हुआ है. पानी को "नीर" या "नर" भी कहा जाता है. भगवान विष्णु जल में ही निवास कर

एक पौराणिक कथा के अनुसार पानी का जन्म भगवान विष्णु के पैरों से हुआ है. पानी को "नीर" या "नर" भी कहा जाता है. भगवान विष्णु जल में ही निवास कर #समाज

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KP EDUCATION HD

KP EDUCATION HD कंवरपाल प्रजापति hai agar aapko video

©KP EDUCATION HD पीएम मोदी ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के निमंत्रण को भी स्वीकार कर लिया है. बताया जा रहा है कि पीएम मोदी राम लला की मूर्ति की

पीएम मोदी ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के निमंत्रण को भी स्वीकार कर लिया है. बताया जा रहा है कि पीएम मोदी राम लला की मूर्ति की #astrologynormal

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Raushan Kumar

story in caption भीखमंगा 

                 अरे भईया ये लोग बहुत हरामी होते हैं आपको पता नहीं, नय वाले ब्रिज के निचे रहते हैं मैं देखता हुं रोज रात को मस्त च

भीखमंगा अरे भईया ये लोग बहुत हरामी होते हैं आपको पता नहीं, नय वाले ब्रिज के निचे रहते हैं मैं देखता हुं रोज रात को मस्त च #विचार

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अशेष_शून्य

"वचन"
~© Anjali Rai— % & "वचन" स्वयं  एक ऐसा
वृत है जिसकी परिधि से
बंधी रहती हैं न जाने कितनी
इच्छाएं , अपेक्षाएं भय, 
और ना जाने कितने दायित्व....!

जिसके केंद्र मे

"वचन" स्वयं एक ऐसा वृत है जिसकी परिधि से बंधी रहती हैं न जाने कितनी इच्छाएं , अपेक्षाएं भय, और ना जाने कितने दायित्व....! जिसके केंद्र मे

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अशेष_शून्य

और तुम्हारी प्रेमिका 
तो "अवधूत" है
समय को भी रोक दे अपनी 
आंखो की पुतलियों
 के केंद्र में ;
फ़िर 
ये रेखाएं क्या चीज हैं
काल्पनिक ही तो हैं 
मिटा देंगे 
ये विभाजन की रेखाएं भी ।।
- Anjali Rai 
(शेष अनुशीर्षक में) तुम्हें पता है
जब भी इन
अक्षांशीय रेखाओं
को देखती हूं तो 
हथेलियों की रेखाओं सी 
लगती हैं;

मानो विभाजन के लिए

तुम्हें पता है जब भी इन अक्षांशीय रेखाओं को देखती हूं तो हथेलियों की रेखाओं सी लगती हैं; मानो विभाजन के लिए #hindipoetry #yqdidi #loveujindagi #yqaestheticthoughts #paidstory #travallingsoul #अशेष_शून्य

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Kulbhushan Arora

कुछ फुसफुसाहट,
कुछ शब्दों की आहट,
कुछ KK से
बांसुरी की गुगुनाहट


जो भी सुना बताता हूं
अनुशीर्षक में... मुझे दिन में कभी नींद नहीं आती वैसे रात में भी कम ही आती है😂
अभी थोड़ी देर पहले मेरा सिर अचानक से भारी हुआ, आंखें बन्द होने को बेबस हुई और ह

मुझे दिन में कभी नींद नहीं आती वैसे रात में भी कम ही आती है😂 अभी थोड़ी देर पहले मेरा सिर अचानक से भारी हुआ, आंखें बन्द होने को बेबस हुई और ह

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Vikas Sharma Shivaaya'

🙏सुंदरकांड🙏
लंका नगरी और उसके सुवर्ण कोट का वर्णन
अति उतंग जलनिधि चहु पासा।
कनक कोट कर परम प्रकासा॥6॥
पहले तो वह बहुत ऊँची है,फिर उसके चारो ओर समुद्र की खाई -उस पर भी सोने के परकोटे (चार दीवारी) का तेज प्रकाश कि जिससे नेत्र चकाचौंध हो जाए॥

                छन्द 1
लंका नगरी और उसके महाबली राक्षसों का वर्णन
कनक कोटि बिचित्र मनि कृत सुंदरायतना घना।
चउहट्ट हट्ट सुबट्ट बीथीं चारु पुर बहु बिधि बना॥
गज बाजि खच्चर निकर पदचर रथ बरूथन्हि को गनै।
बहुरूप निसिचर जूथ अतिबल सेन बरनत नहिं बनै॥
उस नगरी का रत्नों से जड़ा हुआ सुवर्ण का कोट,अतिव सुन्दर बना हुआ है-चौहटे, दुकाने व सुन्दर गलियों के बहार, उस सुन्दर नगरी के अन्दर बनी है-जहा हाथी, घोड़े, खच्चर, पैदल व रथो की गिनती कोई नहीं कर सकता और जहा महाबली, अद्भुत रूपवाले राक्षसो के सेना के झुंड इतने है कि जिसका वर्णन किया नहीं जा सकता॥

                    छन्द 2

लंका के बाग-बगीचों का वर्णन
बन बाग उपबन बाटिका सर कूप बापीं सोहहीं।
नर नाग सुर गंधर्ब कन्या रूप मुनि मन मोहहीं॥
कहुँ माल देह बिसाल सैल समान अतिबल गर्जहीं।
नाना अखारेन्ह भिरहिं बहुबिधि एक एकन्ह तर्जहीं॥
जहा वन, बाग़, बागीचे, बावडिया, तालाब, कुएँ, बावलिया शोभायमान हो रही है।
जहां मनुष्य कन्या, नागकन्या, देवकन्या और गन्धर्वकन्याये विराजमान हो रही है – जिनका रूप देखकर, मुनि लोगोका मन मोहित हुआ जाता है॥कही पर्वत के समान बड़े विशाल देहवाले महाबलिष्ट, मल्ल गर्जना करते है और अनेक अखाड़ों में अनेक प्रकारसे भिड रहे है और एक एक को आपस में पटक पटक कर गर्जना कर रहे है॥

                छन्द 3

लंका के राक्षसों का बुरा आचरण
करि जतन भट कोटिन्ह बिकट तन नगर चहुँ दिसि रच्छहीं।
कहुँ महिष मानुष धेनु खर अज खल निसाचर भच्छहीं॥
एहि लागि तुलसीदास इन्ह की कथा कछु एक है कही।
रघुबीर सर तीरथ सरीरन्हि त्यागि गति पैहहिं सही॥
जहां कही विकट शरीर वाले करोडो भट,चारो तरफ से नगरकी रक्षा करते है और कही वे राक्षस लोग, भैंसे, मनुष्य, गौ, गधे,बकरे और पक्षीयों को खा रहे है॥राक्षस लोगो का आचरण बहुत बुरा है।इसीलिए तुलसीदासजी कहते है कि मैंने इनकी कथा बहुत संक्षेपसे कही है।ये महादुष्ट है, परन्तु रामचन्द्रजीके बानरूप पवित्र तीर्थ नदी के अन्दर अपना शरीर त्याग कर, गति अर्थात मोक्षको प्राप्त होंगे॥

...निरंतर मंगलवार को...,

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 100 से 110 नाम 🙏🌹

100 अच्युतः अपनी स्वरुप शक्ति से च्युत न होने वाले
101 वृषाकपिः वृष (धर्म) रूप और कपि (वराह) रूप
102 अमेयात्मा जिनके आत्मा का माप परिच्छेद न किया जा सके
103 सर्वयोगविनिसृतः सम्पूर्ण संबंधों से रहित
104 वसुः जो सब भूतों में बसते हैं और जिनमे सब भूत बसते हैं
105 वसुमनाः जिनका मन प्रशस्त (श्रेष्ठ) है
106 सत्यः सत्य स्वरुप
107 समात्मा जो राग द्वेषादि से दूर हैं
108 सम्मितः समस्त पदार्थों से परिच्छिन्न
109 समः सदा समस्त विकारों से रहित
110 अमोघः जो स्मरण किये जाने पर सदा फल देते हैं

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' 🙏सुंदरकांड🙏
लंका नगरी और उसके सुवर्ण कोट का वर्णन
अति उतंग जलनिधि चहु पासा।
कनक कोट कर परम प्रकासा॥6॥
पहले तो वह बहुत ऊँची है,फिर उसके चारो

🙏सुंदरकांड🙏 लंका नगरी और उसके सुवर्ण कोट का वर्णन अति उतंग जलनिधि चहु पासा। कनक कोट कर परम प्रकासा॥6॥ पहले तो वह बहुत ऊँची है,फिर उसके चारो #समाज

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N S Yadav GoldMine

हाथियों, घोड़ों, मनुष्यों और स्त्रियों के आर्तनाद से वह सारा युद्वस्थल गूंज रहा था पढ़िए महाभारत !! 🌅🌅
{Bolo Ji Radhey Radhey}
महाभारत: स्‍त्री पर्व 
षोडष अध्याय: श्लोक 1-21 
{Bolo Ji Radhey Radhey}
📜 वैशम्पायनजी कहते हैं- जनमेजय। ऐसा कहकर गान्धारी देवी ने वहीं खड़ी रहकर अपनी दिव्‍य दृष्टि से कौरवों का वह सारा विनाश स्थल देखा। गान्धारी बड़ी ही पतिव्रता, परम सौभाग्यवती, पति के समान वृत का पालन करने वाली, उग्र तपस्या से युक्त तथा सदा सत्य बोलने वाली थीं। पुण्यात्मा महर्षि व्यास के वरदान से वे दिव्य ज्ञान बल से सम्पन्न हो गयी थीं अतः रणभूमि का दृश्‍य देखकर अनेक प्रकार विलाप करने लगीं।

📜 बुद्धिमी गान्धारी ने नरवीरों के उस अदभूत एवं रोमान्चकारी समरांगण को दूर से ही उसी तरह देखा, जैसे निकट से देखा जाता है। वह रणक्षेत्र हडिडयों, केशों और चर्बियों से भरा था, रक्त प्रवाह से आप्लावित हो रहा था, कई हजार लाशें वहां चारों ओर बिखरी हुई थी। हाथी सवार, घुड़ सवार तथा रथी योद्धाओं के रक्त से मलिन हुए बिना सिर के अगणित धड़ और बिना धड़ के असंख्य मस्तक रणभूमि को ढंके हुए थे।

📜 हाथियों, घोड़ों, मनुष्यों और स्त्रियों के आर्तनाद से वह सारा युद्वस्थल गूंज रहा थ। सियार, बुगले, काले कौए, कक्क और काक उस भूमि का सेवन करते थे। वह स्थान नरभक्षी राक्षसों को आनन्द दे रहा थ। वहां सब ओर कुरर पक्षी छा रहे थे। अमगलमयी गीदडि़यां अपनी बोली बोल रही थीं, गीध सब ओर बैठे हुए थे। उस समय भगवान व्यास की आज्ञा पाकर राजा धृतराष्ट्र तथा युधिष्ठिर आदि समस्त पाण्डव रणभूमि की ओर चले।

📜 जिनके बन्धु-बान्धव मारे गये थे, उन राजा धृतराष्ट्र तथा भगवान श्रीकृष्ण को आगे करके कुरूकुल की स्त्रियों को साथ ले वे सब लोग युद्वस्थल में गये। कुरूक्षेत्र में पहुंचकर उन अनाथ स्त्रियों ने वहां मारे गये अपने पुत्रों, भाइयों, पिताओं तथा पतियों के शरीरों को देखा, जिन्हें मांस-भक्षी जीव-जन्तु, गीदड़ समूह, कौए, भूत, पिशाच, राक्षस और नाना प्रकार के निशाचर नोच-नोच कर खा रहे थे। 

📜 रूद्र की क्रीडास्थली के समान उस रणभूमि को देखकर वे स्त्रियां अपने बहूमूल्य रथों से क्रन्दन करती हुई नीचे गिर पड़ीं । जिसे कभी देखा नहीं था, उस अदभूत रणक्षेत्र को देख कर भरतकुल की कुछ स्त्रियां दु:ख से आतुर हो लाशों पर गिर पड़ीं और दूसरी बहुत सी स्त्रियां धरती पर गिर गयीं। उन थकी-मांदी और अनाथ हुई पान्चालों तथा कौरवों की स्त्रियों को वहां चेत नहीं रह गया था। 

📜 उन सबकी बड़ी दयनीय दशा हो गयी थी। दु:ख से व्याकुलचित हुई युवतियों के करूण-क्रन्दन से वह अत्यन्त भयंकर युद्वस्थल सब ओर से गूंज उठा। यह देखकर धर्म को जानने वाली सुबलपुत्री गान्धारी ने कमलनयन श्रीकृष्ण को सम्बोधित करके कौरवों के उस विनाश पर दृष्टिपात करते हुए कहा- कमलनयन माधव। मेरी इन विधवा पुत्र वधुओं की ओर देखो, जो केश बिखराये कुररी की भांति विलाप कर रही हैं।

📜 वे अपने पतियों के गुणों का स्मरण करती हुई उनकी लाशों के पास जा रही हैं और पतियों, भाईयों, पिताओं तथा पुत्रों के शरीरों की ओर पृथक- पृथक् दौड़ रही हैं । महाराज कहीं तो जिनके पुत्र मारे गये हैं उन वीर प्रसविनी माताओं से और कहीं जिनके पति वीरगति को प्राप्त हो गये हैं, उन वीरपत्नियों से यह युद्धस्थल घिर गया है। पुरुषसिंह कर्ण, भीष्म, अभिमन्यु, द्रोण, द्रुपद और शल्य जैसे वीरों से जो प्रज्वलित अग्नि के समान तेजस्वी थे, यह रणभूमि सुशोभित है।

©N S Yadav GoldMine
  #boat हाथियों, घोड़ों, मनुष्यों और स्त्रियों के आर्तनाद से वह सारा युद्वस्थल गूंज रहा था पढ़िए महाभारत !! 🌅🌅
{Bolo Ji Radhey Radhey}
महाभारत

#boat हाथियों, घोड़ों, मनुष्यों और स्त्रियों के आर्तनाद से वह सारा युद्वस्थल गूंज रहा था पढ़िए महाभारत !! 🌅🌅 {Bolo Ji Radhey Radhey} महाभारत #पौराणिककथा

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Vikas Sharma Shivaaya'

🙏सुंदरकांड🙏
लंका नगरी और उसके सुवर्ण कोट का वर्णन
अति उतंग जलनिधि चहु पासा।
कनक कोट कर परम प्रकासा॥6॥
पहले तो वह बहुत ऊँची है,फिर उसके चारो ओर समुद्र की खाई -उस पर भी सोने के परकोटे (चार दीवारी) का तेज प्रकाश कि जिससे नेत्र चकाचौंध हो जाए॥

                छन्द 1
लंका नगरी और उसके महाबली राक्षसों का वर्णन
कनक कोटि बिचित्र मनि कृत सुंदरायतना घना।
चउहट्ट हट्ट सुबट्ट बीथीं चारु पुर बहु बिधि बना॥
गज बाजि खच्चर निकर पदचर रथ बरूथन्हि को गनै।
बहुरूप निसिचर जूथ अतिबल सेन बरनत नहिं बनै॥
उस नगरी का रत्नों से जड़ा हुआ सुवर्ण का कोट,अतिव सुन्दर बना हुआ है-चौहटे, दुकाने व सुन्दर गलियों के बहार, उस सुन्दर नगरी के अन्दर बनी है-जहा हाथी, घोड़े, खच्चर, पैदल व रथो की गिनती कोई नहीं कर सकता और जहा महाबली, अद्भुत रूपवाले राक्षसो के सेना के झुंड इतने है कि जिसका वर्णन किया नहीं जा सकता॥

                    छन्द 2

लंका के बाग-बगीचों का वर्णन
बन बाग उपबन बाटिका सर कूप बापीं सोहहीं।
नर नाग सुर गंधर्ब कन्या रूप मुनि मन मोहहीं॥
कहुँ माल देह बिसाल सैल समान अतिबल गर्जहीं।
नाना अखारेन्ह भिरहिं बहुबिधि एक एकन्ह तर्जहीं॥
जहा वन, बाग़, बागीचे, बावडिया, तालाब, कुएँ, बावलिया शोभायमान हो रही है।
जहां मनुष्य कन्या, नागकन्या, देवकन्या और गन्धर्वकन्याये विराजमान हो रही है – जिनका रूप देखकर, मुनि लोगोका मन मोहित हुआ जाता है॥कही पर्वत के समान बड़े विशाल देहवाले महाबलिष्ट, मल्ल गर्जना करते है और अनेक अखाड़ों में अनेक प्रकारसे भिड रहे है और एक एक को आपस में पटक पटक कर गर्जना कर रहे है॥

                छन्द 3

लंका के राक्षसों का बुरा आचरण
करि जतन भट कोटिन्ह बिकट तन नगर चहुँ दिसि रच्छहीं।
कहुँ महिष मानुष धेनु खर अज खल निसाचर भच्छहीं॥
एहि लागि तुलसीदास इन्ह की कथा कछु एक है कही।
रघुबीर सर तीरथ सरीरन्हि त्यागि गति पैहहिं सही॥
जहां कही विकट शरीर वाले करोडो भट,चारो तरफ से नगरकी रक्षा करते है और कही वे राक्षस लोग, भैंसे, मनुष्य, गौ, गधे,बकरे और पक्षीयों को खा रहे है॥राक्षस लोगो का आचरण बहुत बुरा है।इसीलिए तुलसीदासजी कहते है कि मैंने इनकी कथा बहुत संक्षेपसे कही है।ये महादुष्ट है, परन्तु रामचन्द्रजीके बानरूप पवित्र तीर्थ नदी के अन्दर अपना शरीर त्याग कर, गति अर्थात मोक्षको प्राप्त होंगे॥

...निरंतर मंगलवार को...,

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 100 से 110 नाम 🙏🌹

100 अच्युतः अपनी स्वरुप शक्ति से च्युत न होने वाले
101 वृषाकपिः वृष (धर्म) रूप और कपि (वराह) रूप
102 अमेयात्मा जिनके आत्मा का माप परिच्छेद न किया जा सके
103 सर्वयोगविनिसृतः सम्पूर्ण संबंधों से रहित
104 वसुः जो सब भूतों में बसते हैं और जिनमे सब भूत बसते हैं
105 वसुमनाः जिनका मन प्रशस्त (श्रेष्ठ) है
106 सत्यः सत्य स्वरुप
107 समात्मा जो राग द्वेषादि से दूर हैं
108 सम्मितः समस्त पदार्थों से परिच्छिन्न
109 समः सदा समस्त विकारों से रहित
110 अमोघः जो स्मरण किये जाने पर सदा फल देते हैं

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' 🙏सुंदरकांड🙏
लंका नगरी और उसके सुवर्ण कोट का वर्णन
अति उतंग जलनिधि चहु पासा।
कनक कोट कर परम प्रकासा॥6॥
पहले तो वह बहुत ऊँची है,फिर उसके चारो

🙏सुंदरकांड🙏 लंका नगरी और उसके सुवर्ण कोट का वर्णन अति उतंग जलनिधि चहु पासा। कनक कोट कर परम प्रकासा॥6॥ पहले तो वह बहुत ऊँची है,फिर उसके चारो #समाज

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