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Kusum Tiwari

हर तरफ कुहरा है छाया #कविता

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Rajnish Kumar Verma

मत कहो आकाश में कुहरा घना है। #waiting

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Devansh Pandey

#दुष्यंत विशेष "मत कहो आकाश में कुहरा घना है।"

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indu mitra

कुहरा जिंदगी का Jay Sean Gill Girish Abhikash Sayer Bhavana Pandey VⅈKASℍ ARYA 🌠

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कोहरा इक कोहरा सा छाया है जिंदगी में
वो जबसे गए,
खामोशी ओढ़ ली है मैंने 
जैसे कुहरे की धुंध में 
कुछ न आ रहा नजर,
उजाले की आस है आज भी
कि उनके लौट आने से
शायद छंट जाए ये 
कुहरा भी
इसी आस में
बैठी कर रही इंतजार उनका। कुहरा जिंदगी का Jay Sean Gill Girish Abhikash Sayer Bhavana Pandey VⅈKASℍ ARYA  🌠

Bharat Bhushan pathak

#Path कुहरा ऐसा छा रहा,चाहे जैसे जंग। शीतल हो या तपिश जब,बदले है यह रंग।। #Poetry

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Bharat Bhushan pathak

#Dhund सघन यहाँ जब कुहरा छाता। तब तब मन ये खूब भरमाता।। जीवन पथ पे जब हम बढ़ते #Poetry

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Bharat Bhushan pathak

#outofsight कुहरा है घना छाया, काँप रहे सब काया, सूरज ने छुट्टी ले ली, काम पे लगाइए। ठंड हुई है प्रचंड, खूब भरा है घमंड, #Poetry

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Adbhut Alfaz

#fog तेरी यादें दिसम्बर में यूँ कुहरा बन के छाई है.. नहीं दिखता सिवा तेरे फ़िज़ा में तू समाई है.. खिलेगी गुनगुनी सी धूप बस तू मुस्कुरा देना, #शायरी

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तेरी यादें दिसम्बर में यूँ कुहरा बन के छाई है..
नहीं दिखता सिवा तेरे फ़िज़ा में तू समाई है..
खिलेगी गुनगुनी सी धूप बस तू मुस्कुरा देना,
उदासी इन घटाओं में तेरे कारण ही आई है..
~चीनू शर्मा 'अद्भुत' #fog 
तेरी यादें दिसम्बर में यूँ कुहरा बन के छाई है..
नहीं दिखता सिवा तेरे फ़िज़ा में तू समाई है..
खिलेगी गुनगुनी सी धूप बस तू मुस्कुरा देना,

Bharat Bhushan pathak

#सँभल मन साफ सदा रखें, कभी किसी को न ठगें, वैर भाव पाले नहीं, प्रेम अपनाइए। बिखरे असंख्य रंग, दया बिन बदरंग, #Poetry

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मन साफ सदा रखें,
कभी किसी को न ठगें,
वैर भाव पाले नहीं,
प्रेम  अपनाइए।

बिखरे असंख्य रंग,
दया बिन बदरंग,
विश्वास सभी पे करें,
अब समझाइए।

दुनिया का लगा मेला,
खूब भागे यहाँ रैला,
भलाई जो कर रहे,
उसे ना सताइए।

पाप-पुण्य,मोह-माया,
काम-क्रोध यहाँ आया,
ईर्ष्या का घना कुहरा,
खुद को बचाइए।

©Bharat Bhushan pathak #सँभल 
मन साफ सदा रखें,
कभी किसी को न ठगें,
वैर भाव पाले नहीं,
प्रेम  अपनाइए।

बिखरे असंख्य रंग,
दया बिन बदरंग,

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

बेटा किसको कर रहा , चुम्बन क्या मालूम । चूम तनय को सुन प्रथम , मातु रही है घूम ।।१ ऋतुओं में हेमंत को , करते सभी पसंद । भोर किरण प्यारी लग #कविता

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बेटा किसको कर रहा , चुम्बन क्या मालूम ।
चूम तनय को सुन प्रथम , मातु रही है घूम ।।१

ऋतुओं में हेमंत को ,  करते सभी पसंद ।
भोर किरण प्यारी लगे , चले पवन भी मन्द ।।२

ठिठुरन ऐसी हो रही , हुए बृद्ध लाचार ।
अग्नि जलाकर चार जन , बैठे है वह द्वार ।।३

कुहरा ने ढाया कहर , दिखे नही कुछ और ।
तिलहन की डूबी फसल , नहीं आम में बौर ।।४

सुबह-सुबह अखबार को ,  पढ़कर हैं हैरान ।
बापू कहते नित्य हैं , ले लो तुम संज्ञान ।।५

गर्म चाय का भी मजा , आ जाए फिर खूब ।
आज तुम्हारी मातु का , बिस्कुट जाए डूब ।।६

आ जाएँ जो श्रीमती ,  आज हमारे संग ।
चाय पकौड़ी साथ में , देखें जीवन  रंग ।।७

२४/११/२०२२     -       महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR बेटा किसको कर रहा , चुम्बन क्या मालूम ।
चूम तनय को सुन प्रथम , मातु रही है घूम ।।१

ऋतुओं में हेमंत को ,  करते सभी पसंद ।
भोर किरण प्यारी लग
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