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Ek villain
आजकल विवेक रंजन अग्निहोत्री की फिल्म द कश्मीर पाइल्स को लेकर जैसे ही चर्चा छिड़ जाती है वैसे ही भारतीय सिनेमा के इतिहास में पहले कभी देखने सुनने को नहीं मिला इस फिल्म की कहानी का होगा जिस पर है कि 1989 और 90 में कई लाखों हिंदुओं को कश्मीर के गांव कस्बों और शहरों से क्यों इस तरह के नहीं निकाल दिया गया फिल्म के समर्थक विवेक रंजन अग्निहोत्री पर इस कारण फिदा है कि 32 साल बाद यह सही उन्होंने सच्ची घटनाओं को आधार बनाकर कश्मीर की सर्च को उसके लगन रूप में पेश करने की हिम्मत दिखाई दूसरी ओर बिरादरी है जो कथित पंथनिरपेक्षता की और यह आरोप लगाया जा रहा है कि इस फिल्म में कश्मीर पंडितों के खिलाफ जिस तरह की छवि खराब होगी और देश में हिंदू मुस्लिम होंगे लेकिन सवाल यह है कि अगर आप पापा से सोचने की सीमा में दिखाने अंजाम देने वाली आतंकी राजनीति ने इस पाप में भागीदारी कश्मीर पंडितों के पड़ोसियों के इस कानून के तहत माफ किया जा सकता है कश्मीर में हिंसा और जुल्म की कहानी 14 शताब्दी से चला रही है मगर आधुनिक इतिहास में इसकी शुरुआत 1931 में हुई जब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पढ़ कर एक शख्स अब्दुल ने कश्मीर घाटी में परंपरागत इस्लामी नेतृत्व अपने हाथ में लेने के लिए नए पैंतरे चले शेख अब्दुल जम्मू कश्मीर के महाराजा हरि सिंह के सन गोहत्या पर पाबंदी हटाने की मांग रखी जिसका होना तय था उसके बाद शेख अब्दुल ने 1931 में ही पूरी रियासत के ग्रामीण इलाकों से कर्फ्यू हिंदू तत्व को पाक बनाने का अभियान शुरू किया ©Ek villain #बहुत पुराना है कश्मीर में अत्याचारों का इतिहास #Hope
Neha Pant Nupur
जब, स्वयं अन्याय मे हो शामिल 'महा'राजा । तब क्यों न निश्चित करें प्रजा, कि क्या हो सजा। #Justiceforssr #PowerofPeople #NoPowerPoliticsPaisa -neha'nupur' #JusticeforSSR🌱 #dirtypolitics #commonman #powerofpeople #Truth #justice अत्याचारों का अँत होगा, बस हम सबको बोलते रहना होगा 💪
Vibhor VashishthaVs
Meri Diary #Vs❤❤ भारत के स्वाधीनता संग्राम के इतिहास में चौरी-चौरा जनाक्रोश एक महत्वपूर्ण घटना है जिसने ब्रिटिश हुकूमत के अत्याचारों का विरोध कर रहे देशवासियों के संघर्ष को नई दिशा दी।चौरी-चौरा कांड की वर्षगांठ पर अपने प्राणों का बलिदान देने वाले स्वतंत्रता संग्रामियों को कोटि-कोटि नमन...। 🙏🏵🙏🏵🙏🏵🙏🏵🙏🏵🙏 ✍️Vibhor vashishtha vs— % & Meri Diary #Vs❤❤ भारत के स्वाधीनता संग्राम के इतिहास में चौरी-चौरा जनाक्रोश एक महत्वपूर्ण घटना है जिसने ब्रिटिश हुकूमत के अत्याचारों का विरो
Anita Saini
स्त्री पीड़ा! उसके दुःख संताप उस पर होने वाले हिंसक अत्याचारों का मार्मिक चित्रण और विश्लेषणकर्ता लेखक विश्लेषक कवि और शायर का भी ध्यान स्त्री के भौगोलिक क्षेत्र पर ही केंद्रित रहता है स्त्री के लिए इससे अधिक कष्टप्रद कुछ नहीं हो सकता.! स्त्री पीड़ा! उसके दुःख संताप उस पर होने वाले हिंसक अत्याचारों का मार्मिक चित्रण और विश्लेषणकर्ता लेखक विश्लेषक कवि और शायर का भी ध्यान स्त्र
✍️ लिकेश ठाकुर
देखो!!महान हिमालय रो रहा हैं, मंद-मंद बहती आँसुओं की धार। जब लूटती आबरू मासूमों की, तब उसके सीने में होती प्रहार। कोई बचालो या आओ गिरधर, भू पर बढ़ता अत्याचारों का भार। कोई राहें और रात ऐसी तो होगी, जिस पथ न डगमगाये बेटी के पांव।। ©✍️ लिकेश ठाकुर देखो!!महान हिमालय रो रहा हैं, मंद-मंद बहती आँसुओं की धार। जब लूटती आबरू मासूमों की, तब उसके सीने में होती प्रहार। कोई बचालो या आओ गिरधर, भू
Krish Vj
।। कुछ छीन लिया गया, तो कुछ दे दिया गया गुलाब को खुशबु के लिए निचोड़ दिया गया ।। शेष रचना अनुशीर्षक मैं पढ़िए...!! ❣️🌹लेखन संगी 🌹❣️ //शक्ति रुपा स्त्री को श्रद्धासुमन// श्रद्धा है तू, शक्ति भी तू, सहनशीलता की सुंदर मूरत तू , होते हैं साक्षात्कार जहांँ ई
Divyanshu Pathak
सत्य और असत्य को अर्धनारीश्वर के सिद्धान्त के साथ समझा जा सकता है। नर भी आधा नारी है, और नारी भी आधी नारी है। जीवन व्यवहार में क्या नर को नारी के भाव में देखा जाता है। वह तो इस भाव में जीने को कायरता, अपमान सूचक मानता है। उसके अहंकार को तो इस सोच से ही ठेस लग जाती है। वह तो शत-प्रतिशत पुरूष रूप में जीना चाहता है। आक्रामकता, अहंकार और भुज बल के साथ। उसे कहां मालूम पड़ता है कि ये तो मूलत: पशु भाव है। अज्ञान के परिचायक भाव हैं। भीतर भी जो प्रेम-करूणा-माधुर्य की दौलत होनी चाहिए, वह अल्प मात्रा में रह गई है। #komal sharma #shweta mishra : अत: वह इसकी पूर्णता के लिए बाहर की नारी की ओर लपकता है। नारी सशक्तीकरण की शुरूआत तो यहां से होनी चाहिए। पुरूष
ujjwal pratap singh
ये संसार ही इतना गन्दा हो गया है,जैसे बलात्कार भी धंधा हो गया है ये दरिंदे कही बाहर से नही आते,इसी समाज का हिस्सा होते है आज इसकी कल उसकी जिंदगी का किस्सा होते है मौत आई है मुझे कई बार,एक बार नही सौ बार कभी मारा मुझे संसार ने,कभी उन्ही की रिवाज़ ने कभी मरी है दहेज के जहर से,कभी जली उसी की कहर से बाप ने कभी दुनिया दिखाकर मारा,कभी मारा माँ के कोख में आड़ ली कभी मौत की चादर में,तो छुपी कभी एकतरफा चाहत की चादर में ज़िंदा रहकर भी मरी थी,जब बनी थी किसी शिकार में मेरी ललकार फंसी थी जलाया गया कभी सती बनाकर,तो मौत आई कभी निर्भया बनाकर मरी उस पल भी थी जब हर लिया चीर मेरा मरी उस पल भी थी जब बाजार में बिक गया था शरीर मेरा न देखी भी मेरी उम्र उन्होंने,न देखा कोई मंदिर मुहर्त कौन कहता है राख होता है,मैंने तो ख्वाबो को मिटते देखा है पुजारी हो अहंकार के,उसे नोच खाने को उतारू है फिर भी वो कोठे पर बैठी औरत ही बाज़ारू है राह में चलते कभी ,तो कभी तन्हाई की उन झूलो से घर की दहलीज़ से कभी छुट्टी उन स्कूलों से वो आँगन की ललकार चुराई गई है वो तवायफ थी नही उसे तवायफ बनाई गई है मैं गुड्डे-गुड़ियों संग खेल रही,कब जीवन मेरा खेल हुआ संसार की नज़रों से कैसे बचू मेरे घर मे मुझ संग गंदा खेल हुआ।। "मैं महज दर्शक हूं साहब मुझे तालियों में बजता शोर कर दो मैं नारी हूँ साहब मुझे कमजोर कर दो ।" †*********************************************
Divyanshu Pathak
श्री कृष्ण भारतीय जीवनशैली का अद्भुद शिद्धान्त है। जन्म से लेकर मृत्यु तक जीवन की विषमताओं का सामना मुस्कुराकर करने का अनूठा उपाय है श्री कृष्ण। इसलिए उन्हें "परम्-पुरुष" कहते हैं। व्यापकता देखिए वह "विश्वरूप" में "विराटस्वरूप" प्रतिष्ठित हैं। मेरी ओर से आप सभी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं। आपके जीवन पथ संचलन में वह सारथी बनकर लक्ष्य तक पहुंचाने की कृपा करें। श्रीकृष्ण के स्वरूप को शब्दों में समेंटने का सामर्थ्य मुझमें नहीं है। मैं जब उनके बारे में सोचता हूँ तो मुग्ध हो जाता हूँ। उनका बचपन सबके मन
#कान्हाकहतेहैं