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Ek villain

#walkalone हमारे वेदों में दो मार्ग महत्वपूर्ण बताए गए हैं उत्तरायण दक्षिणायन #Society

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पूर्व अनुष्ठान भारत की प्राचीन उज्जवल संस्कृति के आधारस्तंभ है हमारे मनीषियों ने इन त्योहारों को विशेष रूप से उर्जा एवं दिव्यता का संचार करने वाला बताएं हमारे शास्त्रों में सूर्य के उत्तरायण और दक्षिणायन 2 मार्गों का विशेष रूप से उल्लेख मिलता है कि रानी मार्ग को सकारात्मक और अध्यात्मिक ज्ञान रूपी प्रकाश का प्रतीक माना गया है तथा दक्षिणी मार्ग को नकारात्मक का प्रतीक माना गया है

©Ek villain #walkalone हमारे वेदों में दो मार्ग महत्वपूर्ण बताए गए हैं उत्तरायण दक्षिणायन

lalitha sai

अयन का अर्थ होता है परिवर्तन। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एक वर्ष में दो अयन होते हैं। साल में दो बार सूर्य की स्थिति में परिवर्तन होता है। सू

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ॐ मित्राय नमः।
ॐ रवये नमः।
ॐ सूर्याय नमः।
ॐ भानवे नमः।
ॐ खगाय नमः।
ॐ पूष्णे नमः।
ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।
ॐ मरीचये नमः।
ॐ आदित्याय नमः।
ॐ सवित्रे नमः।
ॐ अर्काय नमः।
ॐ भास्कराय नमः। अयन का अर्थ होता है परिवर्तन। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एक वर्ष में दो अयन होते हैं। साल में दो बार सूर्य की स्थिति में परिवर्तन होता है। सू

AK__Alfaaz..

भारतीय संस्कृति में सूर्य का दक्षिणायन से उत्तरायण होना बहुत महत्व रखता है... इस समय को बहुत पवित्र भी माना जाता है.. कहा जाता है कि भीष्म प #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqquotes #bestyqhindiquotes

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आज दिल के घाट पर,
​प्रेम का मेला लगा था,
​मौनी अमावस्या का...संगम स्नान जो था,
​नैनों की नदियों का जल,
​छलक रहा था...भीगोने को तन प्रीत का,
​आज सभी इकठ्ठा थें,
​पर...सभी मौन थें,
​और.....
​एक दूसरे को देखकर...​
​अपने-अपने,
पश्चाताप के ​नैनों की नदी से,
​निकलने वाले पवित्र जल मे,
​मौन हो स्नान कर रहें थें...
​आज अहंकार का मैल...मन से छूटकर,
​आत्मा को साफ कर रहा था...
​क्योंकि...इस काली अमावस्या के बाद,
​खुशियों का सूरज... दुःख के दक्षिणायन से,
​सुख के उत्तरायण मे जो आने वाला था...।।
​ भारतीय संस्कृति में सूर्य का दक्षिणायन से उत्तरायण होना बहुत महत्व रखता है... इस समय को बहुत पवित्र भी माना जाता है.. कहा जाता है कि भीष्म प

Vishw Shanti Sanatan Seva Trust

पूरे देश में आज मकर संक्रांति का पर्व मनाया जा रहा है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब मकर #Lohri #पौराणिककथा

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पूरे देश में आज मकर संक्रांति का पर्व मनाया जा रहा है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब मकर संक्रांति मनाई जाती है. खगोलशास्त्र के मुताबिक देखें तो सूर्य जब दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं, या पृथ्वी का उत्तरी गोलार्ध सूर्य की ओर मुड़ जाता है उस दिन मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है. संक्रांति हर वर्ष 14 या 15 जनवरी को पड़ती है. 


दक्षिणायण देवताओं की रात, उत्तरायण दिन होता है
शास्त्रों के अनुसार सूर्य जब दक्षिणायन में रहते हैं तो उस अवधि को देवताओं की रात्रि व उत्तरायण के छह माह को दिन कहा जाता है. दक्षिणायन को नकारात्मकता और अंधकार का प्रतीक तथा उत्तरायण को सकारात्मकता एवं प्रकाश का प्रतीक माना गया है. ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन यज्ञ में दिए द्रव्य को ग्रहण करने के लिए देवता धरती पर अवतरित होते हैं एवं इसी मार्ग से पुण्यात्माएं शरीर छोड़कर स्वर्ग आदि लोकों में प्रवेश करती हैं.

सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उनके घर जाते हैं
सनातन मान्यताओं के मुताबिक मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उनके घर जाते हैं. चूंकि शनि देव मकर राशि के स्वामी हैं, उनके घर में सूर्य के प्रवेश मात्र से शनि का प्रभाव क्षीण हो जाता है. क्योंकि सूर्य के प्रकाश के सामने कोई नकारात्मकता नहीं टिक सकती है. मान्यता है कि मकर संक्रांति पर सूर्य की साधना और इनसे संबंधित दान करने से सारे शनि जनित दोष दूर हो जाते हैं.

मकर संक्रांति से जुड़ी पौराणिक मान्यताएं क्या हैं? 
शास्त्रों के अनुसार मकर संक्रान्ति के दिन ही भगवान विष्णु के अंगूठे से निकली देवी गंगाजी भागीरथ के पीछे.पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं और भगीरथ के पूर्वज महाराज सगर के पुत्रों को मुक्ति प्रदान हुआ था. इसीलिए इस दिन बंगाल के गंगासागर में कपिल मुनि के आश्रम पर एक विशाल मेला लगता है.

बंगाल के गंगासागर में स्न्नान करने का बहुत महत्व है
मकर संक्रांति के दिन गंगासागर में स्न्नान करने का बहुत महत्व है. एक अन्य पौराणिक प्रसंग के अनुसार भीष्म पितामह महाभारत युद्ध की समाप्ति के बाद सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा करते रहे. उन्होंने मकर संक्रान्ति पर पही अपने प्राण त्यागे थे. यह भी मान्यता है कि इस दिन मां यशोदा ने श्रीकृष्ण को प्राप्त करने के लिए व्रत किया था.


मकर संक्रांति के दिन नदी स्नान व दान का बेहद महत्व 
पदम पुराण के मुताबिक सूर्य के उत्तरायण होने के दिन यानी मकर संक्रांति के दिन दान पुण्य का बहुत महत्व होता है. मकर संक्रांति के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करना चाहिए. ऐसा करने से दस हजार गौदान का फल प्राप्त होता है. इस दिन ऊनी कपड़े, कम्बल, तिल और गुड़ से बने व्यंजन व खिचड़ी दान करने से भगवान सूर्य एवं शनि देव की कृपा प्राप्त होती है. वैसे तो सूर्य के उत्तरायण होने वाले माह में किसी भी तीर्थ, नदी एवं समुद्र में स्नान कर दान .पुण्य करके कष्टों से मुक्ति पाया सकता है, लेकिन प्रयागराज संगम में स्नान का फल मोक्ष देने वाला होता है. 

मकर संक्रांति के पर्व को विभिन्न राज्यों में अलग. अलग नामों से जाना व मनाया जाता है...
उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति को खिचड़ी पर्व कहा जाता है. इस दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है. चावल और दाल की खिचड़ी खाई और दान की जाती है. तिल और गुण के दान की परंपरा भी है.

गुजरात और राजस्थान में मकर संक्रांति को उत्तरायण पर्व के रूप में मनाया जाता है. इस दिन दोनों ही राज्यों में बड़े धूम से पतंग उत्सव का आयोजन किया जाता है.

आंध्रप्रदेश में संक्रांति नाम से तीन दिन का पर्व मनाया जाता है. वहीं तमिलनाडु में खेती किसानी के प्रमुख पर्व के रूप में संक्रांति को पोंगल के नाम से मनाया जाता है. इस दिन घी में दालण्चावल की खिचड़ी पकाई और खिलाई जाती है.

महाराष्ट्र में भी इसे मकर संक्रांति या संक्रांति के नाम से मनाया जाता है. यहां लोग गजक और तिल के लड्डू खाते एवं दान करते हैं. एक दूसरे को भेंट देकर शुभकामनाएं देते हैं.

पश्चिम बंगाल में मकर संक्रांति के दिन हुगली नदी पर गंगा सागर मेले का आयोजन किया जाता है.तो असम में इसे भोगली बिहू के नाम से मनाया जाता है.

©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust पूरे देश में आज मकर संक्रांति का पर्व मनाया जा रहा है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब मकर

Sunita D Prasad

#यदि दुःख कहने भर के होते..... कुछ समय से प्रकृति के थोड़ा और करीब आई हूँ अब दक्षिणायन होते सूर्य को अपनी काया पर महसूस कर पाती हूँ #yqbaba #yqdidi #yqpowrimo

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#यदि दुःख कहने भर के होते.....

कुछ समय से 
प्रकृति के थोड़ा और करीब आई हूँ
अब दक्षिणायन होते सूर्य को
अपनी काया पर महसूस कर पाती हूँ

उत्तर के समाधिस्थ पर्वत
धरा का सारा शीत ओढ़े हैं
मेरी त्वचा के रोएँ
शीत से जड़ हो आई उसकी देह को
अब महसूस कर पाते हैं

विशाल जलनिधियाँ समजलवायु की हिमायती रहीं
पर फिर भी कहाँ बाँध पाईं वे किसी एक ऋतु को!

मैं नहीं समझ पाती हूँ
प्रेम और दुःख के मध्य का संबंध!
जबकि प्रकृति का सानिध्य मुझे विवश करता है
प्रतिस्पर्श रूपी तुम्हारे चुम्बनों को फिर से अनुभूत करने के लिए
तब मैं अज्ञेय की क्लिन्न, सूनी, शिशिर भीगी रात को 
सीने से लगाए सोचती हूँ 
कि क्या दुःख केवल उतना ही है जितना दिखा या बताया गया....?
--सुनीता डी प्रसाद💐💐



 
#यदि दुःख कहने भर के होते.....

कुछ समय से 
प्रकृति के थोड़ा और करीब आई हूँ
अब दक्षिणायन होते सूर्य को
अपनी काया पर महसूस कर पाती हूँ

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KP NEWS for the रात्रि में चंद्रोदय होने पर चंद्र की पूजा कर, अर्घ्य दें और जल पीकर व्रत खोलें। गणेशजी की पूजा सर्वसिद्धिदायक होती है। आज रव #न्यूज़

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