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manoj kumar jha"Manu"
'अहं वृणे सुमतिं विश्ववाराम् '। "मुझे लोकहितकारी सुमति प्राप्त हो .."। (अथर्ववेदः) जीवन रचना में विचारों की प्रमुख एवं महत्वपूर्ण भूमिका है। स्वस्थ्य सकारात्मक और पवित्र विचार ही उत्कृष्ट-सृजन, दिव्य-जीवन निर्मिति और सफलता
SURAJ आफताबी
कच्ची - कच्ची है धानिया अभी तो बेशक ओलो की बौछार भी होगी झेल गई ये गर प्रतिकूल वृष्टियाँ बीज रोपित मृदा अवश्य कच्छार ही होगी! कभी तप्त पथरीली, कभी मरू की झाड़ डगरिया इन छालों की परिणित डाल इक दिन रसाल भी होगी अभी अपनों में बेगानी पहचान तलाशत है पागल कभी समूचे विश्व में "आफताबी" मिसाल भी होगी ! छोटी-छोटी असफलताएं जीवन में रोधक का नहीं उत्प्रेरक का कार्य करती है.... हो सकता है आपका भविष्य आपसे कुछ बड़ा माँग कर रहा हो ! धानिया- गेहूँ
i am Voiceofdehati
कभी भी किसी को बुरा या नीचा मत दिखाओ, हो सकता है तुम्हारी बातें उसके लिए उत्प्रेरक का काम कर दें और वो वह हासिल कर ले जिसके बारे में उसने कभी सोचा भी न हो। इस दुनिया में बहुत से लोग जीवन के प्रारम्भिक अवस्था में बिल्कुल से ग़लत दिशा में जा रहे होते हैं या नालायक जैसे होते हैं लेकिन उन्हें कोई ऐ
संतृप्त
मोहब्बत के कत्ल में कातिल की याद आती है मंझधार में अटके को भी साहिल की याद आती है जैसे मंझधार में फंसे हुए प्राणी को साहिल तक ले जाने वाली एक बेहद पतली डोर भी नई ऊर्जा और उम्मीद का एहसाह कराती है औऱ वह हौंसला और दृढ़ इच्छाश
JALAJ KUMAR RATHOUR
यार कॉमरेड, किताबों के बीच चिट्टियाँ रख कर ही तो शुरू हुई थी बातें हमारी। केमिस्ट्री के नोट्स के बहाने मैं तुम्हें रोज देखा करता था। मैं सोचता था कि काश हमारे बीच कोई अभिक्रिया हो। लेकिन मैं हमेशा उत्प्रेरक सा रहा। जो अनेक अभिक्रियाओ में भाग तो लेता है पर उसका हिस्सा नही बन पाता था। मुझे नही पता क्यूँ पर तुम जब भी मेरे सामने आती थी तो मेरा चेहरा लिटमस पेपर सा लाल हो जाता था। अगर आज वो चिट्ठियां मेरे पास होती तो शायद मैं प्रेम की दुनियाँ का सबसे अमीर प्रेमी हो सकता था। लेकिन हम तो फाड़ देते थे उन चिट्ठियों को, समाज के डर से, परिवार के डर से और उस हर डर से जिस से प्रेम की पहली सीढ़ी चढ़ने वाले प्रेमी डरते हैं फिसलने से।तुम अक्सर ही कहते थी कि "यार अगर चिठ्ठीयों पर लिखी बातें सही पते पर पहुंचती तो कभी कोई अपने पते से लापता ना होता।" काश मै लिख पाता तुम्हारे सही पते पर एक खत। .... #जलज कुमार राठौर #Mdh यार कॉमरेड, किताबों के बीच चिट्टियाँ रख कर ही तो शुरू हुई थी बातें हमारी। केमिस्ट्री के नोट्स के बहाने मैं तुम्हें रोज देखा करता था। म
Sumeet Pathak
आखिर जिंदगी कहां इतनी खूबसूरत थी आपके बिना जैसे बिन पानी मुरझाई सूरत सी ! भाग २ ( अनुशीर्षक में ... ) DQ : COUNTDOWN : 414.2 H ! ....हाँ yq का जाना मेरे लिए आसान नही होता , लेकिन मैं शुक्रगुज़ार हूँ ... उन सबका जिसने इसको संभव किया है ..! म
Ratan Singh Champawat
सत्य के साथ प्रयोग ✍️✍️✍️✍️✍️ शेष अनु शीर्षक में पढ़े ♦️♦️अनुभूति के आंगन से♦️♦️ 💓 कुछ स्पंदन 💓 जागा था भाव एक दिन मुझ में भी कि जीवन ऊर्जा का उपयोग करूं और मैं भी सत्य के साथ कुछ प्रयोग
Arsh
एक औरत झाड़ू-कटका करके यहाँ तक कि खुद को बेचकर भी अपने बच्चों को पाल लेगी एक मर्द ऐसा बिलकुल नहीं करेगा ❓My Out of Box Thinking शायद इसलिए भाषा विज्ञान ने सभी ममतामयी (Womenly Characteristics) संज्ञाओं (Nouns) को स्त्रीलिंग(Feminine Gender) मा
Author Munesh sharma 'Nirjhara'
पुरुष तुम... सृष्टि के आरम्भक हो.... कैप्शन में पढ़ें...🌈💞 पुरुष ... सृष्टि के आरम्भक हो तुम श्रृद्धा के संग सृष्टि रचयिता हो तुम मन:विकारों के उत्प्रेरक हो तुम उत्साह;जोश से प्रेरित हो तुम...! पुरु