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अशोक विशिष्ट
आज फिर आशा की एक नई प्रभात हो गई। अरसे बाद उससे मिलने की फिर बात हो गई। कहा था उसने जिस माैसम में मिलने को , आज उसी माैसम की पहली बरसात हो गई। #शायरी...21/6/2019
Kamal bhansali
2019 ke liye ek salaah धरोहर न समझे अपनी जिंदगी को ये किसी की और की अमानत खुशियों की हर बून्द हमारे लिए नहीं हर मंजिल पर हमारा नाम नहीं फिर फिक्र क्यों करे क्या पाया क्या नहीं पाया 💥 नये साल की नई सुबह आने का सन्देश दे रही शुभता से भरा खुशियों का कप आपके दिल की टेबल पर रख रही चुस्कियां का आनन्द लीजिये मुस्कराहटों से दूसरों के दिल का अभिवादन कीजिये ✍️कमल भंसाली #NojotoQuote 2019 की शुभयात्रा
Diamond city
लिखने से कुछ नहीं होता फिर भी लिखता हूँ तुम तो अब हो भी नहीं पता नहीं कहाँ हो पढ़ भी पाती होगी या नहीं। पर आदतें आज भी वैसी की वैसी है रोज सुबह सो के उठने के बाद आज भी व्हाट्सप्प ऑन करके देखता हूँ बस अब बात अलग हो गयी है कि उसमें तुम्हारा मेसेज नहीं रहता जो रोज मुझसे कहता था उठ जाओ देखो सुबह कितनी प्यारी है आँखें उसी उम्मीद में फोन खोलती हैं कुछ भी नहीं होता फिर भी दिल मान लेता है कि उठो सुबह बहुत प्यारी है। व्हाट्सएप्प चैटिंग का वो गुलाब वाला फूल का इमोजी मुझे लगता है आखिरी बार मैंने तुम्हें ही भेजा था अब नहीं मिलता कोई जिसे भेज सकूँ जब भी उसे देखता हूँ तुम्हारी वो बात याद आ जाती है तुमने जब पूछा था कि व्हाट्सएप्प में सबसे अच्छा क्या है मैंने कहा था मुझे नहीं पता तब तुमने ये🌹 गुलाब का फूल भेजा था तुम इसे रोज सवेरे मुझे भेजती भी थी। पता नहीं मेरी तुम्हारी यादें कैसी होती यदि ये व्हाट्सएप्प न होता तुमसे कॉल पर बात करना उतना अच्छा नहीं लगता था जितना तुमसे चैट करना। तब की तुम्हारी जिद आज भी याद आ जाती है कितनी बार नोट्स देने का बहाना करके बेकार की किताबें इधर उधर किया करते थे बस बहाना मिल जाता था एक दूसरे को घंटो बैठकर बात करने का। आज पता नहीं ये सब क्यूँ लिख रहा हूँ जबकि आज भी ऐसा कुछ नहीं है कोई तुम्हारी याद नहीं आयी कोई मेसेज नहीं आया। बस कलम उठाई थी कुछ लिखने को लगा तुमसे बातें कर लें कुछ तुम्हें बता दूं सब कुछ पहले जैसा है कुछ भी नहीं बदला आज भी देर रात में सोता हूँ लेकिन अब किसी को गुड नाइट कहने की फिक्र नहीं होती। तुम्हारे पसन्द के सारे डिस याद हैं सारी दुकान याद हैं पर अब मैं भी उस शहर नहीं जाता। तूमसे बिछड़े कई साल होने को है बात भी नहीं होती तुम कही और चली गई हो पर आज भी मुझमें तुम हो मेरी आदतों में मेरी बातों में मेरी कलम में मेरी ज़िन्दगी में। प्रकाश पटेल 2019 की बाते
Ajay kumar Singh
'2019 की आखिरी शाम' ठंड की ठिठुरती साल की ये आखिरी शाम कुछ मायुस सी लग रही है, उदास मौसम में पूरे साल की स्मृतियाँ आँखों के सामने यू चल रही हैं- जैसे कोई छायाचित्र! एकाएक याद आ गई समूचे साल की स्मृतियाँ इस ठिठुरती शाम में खट्टे-मीठे पलों को याद करके कभी उदास तो कभी खुश हो रहा है मन! भूली बिसरी यादें ताजा हो गई है एकबार फिर से जी रहा हूँ समूचे साल को क्या पाया, क्या खो दिया, क्या सहेज कर रख लिया इसी द्वंद्व से जूझ रहा है मन! इस साल छूट गया है इक रिश्ता अधूरा जिसके मुकम्मल होने की अब भी है आश इसी विश्वास के साथ आने वाले साल के स्वागत के लिए आश्वस्त हो रहा है मन कि जो पा न सका वो मुकाम अब हो जाए हाशिल। #2019 की आखिरी शाम
Kamal Gyas
इस कदर बिता 2019 हमारा l बन कर रह गया यादो का पिटारा l वो पेपरो मे साईकिल पर जाना l स्कूल से सबसे पीछे आना l वो एक पेकैट से कईओ नमकिन खाना l वो मैम का हमसे नाराज़ होना l वो farewell पे रोना l हमारी farewell का दोबारा होना l वो प्रधानाचार्य का हम पर विश्वास , वो स्कूल के लम्हे कुछ खास l पहले बहुत से धक्के खाना l फिर college मे प्रवेश पाना l फिर नए नए दोस्त बनाना l वो दिल की धडकन का बढजाना दोस्तों के संग फ़िल्म पे जाना ये यादे ज़िन्दगी भर ना भलाना 2019 की कुछ यादे
Dhruv Bali aka Darvesh Danish
नया साल आप सबको बहुत बहुत मुबारक हो बस यही दिल से आप सब के लिए अपनी दुआ है हर तरफ खुशियों के हसीन फूल बिखरे हों कुछ हवाएं भी नयी सी हैं कुछ माहौल भी नया है सारे ख्वाब आपके हों सच इस तरह जैसा पिछले कई सालों में नहीं हुआ है #gif नये साल 2019 की शुभकामनाएं
Ankit Paliwal
सुना है कागज के लिफाफे में, कुछ नए दिन पहुचाये है, एक ठरकी बूढ़े ने। पहले लिफाफा खोल कर ज़रा देख तो लूँ, पढ़ तो लूँ, गिन तो लूँ। इनमे से कितने दिन है मेरे हिस्से के, कितने मेरी हसीन कहानी के, कितने ग़मगीन किस्से के। तब कहूँगा नया साल मुबारक, वरना अपना पहले जैसा हाल मुबारक़। लेखक - अंकित पालीवाल नव वर्ष की शुभकामनाओं के साथ नव वर्ष 2019 की शुभकामनाये
Shilpa
ये शायरी है साहेब स्याही गम की न हो तो जायका नही आता 2019#shilpapandya