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Rahul Kumar Gautam

बाबला हूं मैं बावला

बाबला हूं मैं बावला #फ़िल्म

48 Views

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DR. LAVKESH GANDHI

बावली पक्षी 

उड़ने चली हूंँ मैं उड़ाने चली हूंँ मैं
 खुले आकाश में मैं तेरे संग घूमने चली हूँ मैं  
नहीं है कोई चिंता मुझे नहीं है कोई फिक्र मुझको
 तेरे संग में मैं तो सैर पर चली हूंँ
 ना घर-बार है मेरा ना चिंता मुझे किसी की
 तभी तो आज मैं खुले आसमान के नीचे खड़ी हूंँ
 बाहें न छोड़ देना मेरी कभी भी
 भले ही आज तेरी अपनी दुनिया उजड़ जाए
 यूंँ हीं मेरे साथ रहना हाथ में हाथ रख कर

©DR. LAVKESH GANDHI बावली पक्षी
#बावली हूँ मैं #
#अपनों से दूर बहुत खुश हूँ मैं #

#OneSeason

बावली पक्षी बावली हूँ मैं # अपनों से दूर बहुत खुश हूँ मैं # OneSeason

17 Love

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सागर मंथन

मेरी हार की ख़ुशी मनाने बालों
खुशखबरी ये है, मैं हारने बाला हूँ!

©sagar manthan
  #KhulaAasman #मैं हारने बाला हूँ..

#KhulaAasman #मैं हारने बाला हूँ..

668 Views

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पवन कश्यप

अजीब है आजकल व्यवहार मेरा जाने मैं किस स्वभाव में हूँ...।
शायद ज़िन्दगी के किसी उतार-चढ़ाव में हूँ...।
रही है हमेशा एक ख़लिश सी दिल में "पवन"...।
मगर लोंगों से सुना है मैं किसी तनाव में हूँ...। हाँ मैं थोड़ा तनाव में हूँ...।

हाँ मैं थोड़ा तनाव में हूँ...।

5 Love

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deepti

मैं भूलना चाहती हूं..
सब कुछ.. 
सिवाय तुम्हारे!
मैं जीना चाहती हूं..
सिर्फ प्रेम...
और प्रेम में...तुम्हें!
हां..
मैं सिर्फ..
याद रखना चाहती हूं!
तुम्हें....
तुम्हें....
और बस.....तुम्हें!

©deepti #कृष्णप्रेम .. कोई समझ ले मुझे बावली...तो
समझे.. 
हां...मैं हूं....तेरे प्रेम में....बावली!

#कृष्णप्रेम .. कोई समझ ले मुझे बावली...तो समझे.. हां...मैं हूं....तेरे प्रेम में....बावली!

62 Love

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Anurag Kairati

मैं यूँ गीतों में लिखता हूँ 
तुम्हारे प्यार का सागर 
कहीं भर देता हूँ 
नगमों में तेरे नाम से गागर 
अगर मिलकर बिछड़ने की 
कहानी याद है तुमको 
बुढापा आभी जाये तो 
जवानी याद हो तुमको

©Anurag Kairati मैं यूँ गीतों में लिखता हूँ 

#rain

मैं यूँ गीतों में लिखता हूँ #rain #शायरी

4 Love

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DR. LAVKESH GANDHI

तन्हा अकेली  हूँ

 बावली अकेली इस कदर हूँ मैं
 मुझे कुछ भी समझ आता नहीं है
  कर रही हूंँ कब से मैं इंतजार तेरा
 तुम भी हो कि आने का नाम नहीं ले रहे
 खुद की जिंदगी बोझ बनती जा रही है
 तुम्हारे इंतजार में मैं बावली हुए जा रही हूंँ
 अब सहन नहीं हो रहा इंतजार तेरा मुझसे
तेरा इंतजार बहुत लंबा होता जा रहा है

©DR. LAVKESH GANDHI
  #alonegirl #
# बावली हुए जा रही हूंँ मैं #

alonegirl # # बावली हुए जा रही हूंँ मैं #

495 Views

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Shakti

हाँ मैं पागल हूँ ।

हाँ मैं पागल हूँ । #Books

30 Views

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Pravesh Khare Akash

हाँ..पुरुष हूँ मैं

हाँ..पुरुष हूँ मैं

47 Views

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rakesh mehra

हाँ मैं डरता हूँ

हाँ मैं डरता हूँ #विचार

45 Views

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Aनुभा

दुनिया की राहों पर चलने को बेताब हूँ।हाँ मैं भी आजाद हूँ।नारी हूँ तो क्या, मन मे शोलों का सैलाब हूँ।हाँ मैं भी आजाद हूँ। हाँ मैं आजाद हूँ...

हाँ मैं आजाद हूँ... #शायरी

4 Love

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Abhishek Rajhans

हाँ, मरीज हूँ मैं
दवा ढूंढ़ने निकला हूँ
अजीब ही बीमारी लगी है 
ना नब्जों से पकड़ आती है
ना धड़कने कुछ बतला पाती है
सुकून तो अब नसीब ही नहीं होती
पता नहीं कैसी लाइलाज बीमारी है
दवाखाने में रोज भटकता था
की कहीं कोई दवा मिल जाये
नींद बस जाए आँखों मे
ख़्वाब दिखने बंद हो जाये
पर कमबख्त दिल है ना
ये तो बस मयखाने में ही सुकून पाता है
लडख़ड़ाते कदमों को देखकर
जमाना पागल कहने लगा है
उन्हें कैसे बताऊँ 
जिंदा था मैं
पर ज़िन्दगी पास नहीं थी
हाँ ,मैं मरीजे-इश्क़ था
जिसकी कोई दवा नहीं---


 #NojotoQuote हाँ, मरीज हूँ मैं

हाँ, मरीज हूँ मैं

5 Love

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Pravesh Khare Akash

हाँ...मैं वही हूँ

हाँ...मैं वही हूँ

33 Views

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Imroz Alam

हाँ मैं ग़द्दार हूँ!

हाँ मैं ग़द्दार हूँ!

76 Views

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शिखा जैन

हाँ, लापरवाह हूँ मैं !
अक्सर चींजे रख कर
खुद भूल जाती हूँ कि
कहाँ रखी थीं?
फिर उसे ढूंढने की
कोशिश में कर देती हूँ
सबकुछ अस्त-व्यस्त....

छोड़ देती हूँ कुछ चीजों को
बिखरा हुआ अक्सर 
समय पर नहीं करती कोई काम
नहीं रख पाती रुपए-पैसे का हिसाब
कितना भी जल्दी जाग जाऊँ
फिर भी अक्सर मिस कर देती हूँ स्कूल-बस 
तुम चिढ़ते हो मेरी इन आदतों से 
मन में कुछ बुदबुदाते
गुस्से में झटकते हो जब सर 
मैं मुस्करा देती हूँ 
तुम्हें नहीं पता ....
मेरे इस बिखरेपन ने
इस अस्त-व्यस्त दिनचर्या ने ही तो
समेटा हुआ है हमारे रिश्ते को
बना रहता है हमारे मध्य
संवादों का सिलसिला 
इन शिकायतों और 
मनुहारों के मध्य ही तो 
उदीप्त होता है तुम्हारा प्रेम
मेरी परिपूर्णता का दंभ
खा न जाए प्रीत की
 इन अनुभूतियों को
इसलिए भी रहती हूँ मैं
लापरवाह , अस्त-व्यस्त सी


शिखा जैन
16-12-19 #हाँ,लापरवाह हूँ मैं

#हाँ,लापरवाह हूँ मैं #कविता

9 Love

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Lucky Rai

जाने क्या मुझसे जमाना चाहता है,

मेरा दिल तोड़कर मुझे ही हँसाना चाहता है,

जाने क्या बात झलकती है मेरे इस चेहरे से,

हर शख्स मुझे आजमाना चाहता है।

✍️Lucky_Rai #हाँ बुरा हूँ मैं

#हाँ बुरा हूँ मैं #शायरी

21 Love

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Mukesh Birla (गुर्जर श्री)

अंधेरो को चीरकर, मैं रौशनी फैलाता हूँ।
हाँ मैं दिया हूँ "मुकेश", हर किसी के लिए जल जाता हूँ।।
 मुकेश बिर्ला (गुर्जर श्री) #हाँ मैं दिया हूँ#

#हाँ मैं दिया हूँ#

3 Love

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Dheeraj Verma

हाँ मैं चोकीदार हूँ।

हाँ मैं चोकीदार हूँ।

30 Views

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Akhilesh Verma

हाँ मैं मुश्कुराती हूँ,

आप लोगों को ही देख कर अपने सपने सजाती हूँ ।
उठना, गिरना तो जीवन का इतिहास,वर्तमान, और भविष्य भी है।
जीवन के मूल्यों को एक एक कर खुद में बसाती हूँ ।
 हाँ मैं मुश्कुराती हूँ।
 हाँ मैं मुश्कुराती हूँ।

इन लहरों पर तैरती हुई नाव हूँ मैं ।
जीवन के उस पार जाने की आस हूँ मैं ।
मैं अपने पापा की परी,
हाँ मैं अपने पापा की पारी, कुछ ख़ास हूँ मैं ।

 हाँ मैं मुश्कुराती हूँ.....   🙏 हाँ मैं मुस्कुराती हूँ!

हाँ मैं मुस्कुराती हूँ!

3 Love

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Andy Mann

मैं " पुरुष " हूँ

मैं भी घुटता हूँ , पिसता हूँ
टूटता हूँ , बिखरता हूँ
भीतर ही भीतर
रो नही पाता
कह नही पाता
पत्थर हो चुका
क्योंकि मैं पुरुष हूँ

मैं भी सताया जाता हूँ
जला दिया जाता हूँ
उस दहेज की आग में
जो कभी मांगा ही नही था
स्वाह कर दिया जाता हैं
मेरे उस मान-सम्मान का
तिनका - तिनका
कमाया था जिसे मैंने
मगर आह नही भर सकता 
क्योकि मैं पुरुष हूँ
.
मैं भी देता हूँ आहुति
विवाह की अग्नि में
अपने रिश्तों की
हमेशा धकेल दिया जाता हूं
रिश्तों का वजन बांध कर
जिम्मेदारियों के उस कुँए में
जिसे भरा नही जा सकता
मेरे अंत तक कभी
कभी अपना दर्द बता नही सकता
किसी भी तरह जता नही सकता
बहुत मजबूत होने का
ठप्पा लगाए जीता हूँ
क्योंकि मैं पुरुष हूँ

©Andy Mann
  #हाँ मैं पुरुष हूँ

#हाँ मैं पुरुष हूँ #शायरी

162 Views

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ChandanT'Says

हाँ मैं ज़िंदा हूँ !

हाँ मैं ज़िंदा हूँ ! #Shayari

102 Views

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Kunwar arun ¥

किसी शफीका शय की आस हूँ मैं 
हाँ अहदे - वफा से निराश हूँ मैं 
मुझको यूं न मिटाओ जहां वालों 
किसी बंजर जमीं की प्यास हूँ मैं
कुंअर अरुण
Poet&writer lyricits shayar #हाँ #उदास हूँ मैं

#हाँ #उदास हूँ मैं

8 Love

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R.ShankarM

ज़िन्दगी तेरी चाहत में गुजार दूँगा 
आवारा हूँ आवारगी में गुजार दूँगा,

कश्मकश में न रखना_₹j
तेरे लिए खुद को सँवारा हूँ मैं....
                      हाँ आवारा हूँ मैं! हाँ आवारा हूँ मैं!

हाँ आवारा हूँ मैं! #शायरी

14 Love

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Gurinder Singh

 हाँ मैं मोहब्बत हूँ#

हाँ मैं मोहब्बत हूँ#

2 Love

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Amit Singhal "Aseemit"

#हाँ #मैं #पुरुष #हूँ
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Md Wazaifa Kamal

मजदूर

हाँ मैं मजदूर हूँ पैरों में चप्पल नहीं छाले हैं साहेब
हाँ मजदूर हूँ मजबूर हूँ , वक़्त को मोड़ दूँ ऐसा मजदूर हूँ
बड़ी बड़ी इमारत बनाता हूँ ज़िन्दगी झोपड़ी में गुज़ारता हूँ
ख़ुद पानी के लिये हज़ारों कोस दूर जाता हूँ
हाँ मैं मजदूर हूँ पैरों में चप्पल नहीं छाले हैं साहेब
हाँ मजदूर हूँ मजबूर हूँ , वक़्त को मोड़ दूँ ऐसा मजदूर हूँ
हम अपने पसीने से धरती को भिगोते हैं, उसे सर सब्ज़ करते हैं
लाखों तड़प दिल में रख कर अपने से इंसाफ़ करता हूँ
हाँ मैं मज़दूर हूँ पैरों में चप्पल नहीं छाले हैं साहेब
हाँ मजदूर हूँ मजबूर हूँ , वक़्त को मोड़ दूँ ऐसा मजदूर हूँ!

©Md Wazaifa Kamal मजदूर

हाँ मैं मजदूर हूँ पैरों में चप्पल नहीं छाले हैं साहेब
हाँ मजदूर हूँ मजबूर हूँ , वक़्त को मोड़ दूँ ऐसा मजदूर हूँ
बड़ी बड़ी इमारत बनाता

मजदूर हाँ मैं मजदूर हूँ पैरों में चप्पल नहीं छाले हैं साहेब हाँ मजदूर हूँ मजबूर हूँ , वक़्त को मोड़ दूँ ऐसा मजदूर हूँ बड़ी बड़ी इमारत बनाता #Love #Google #Facebook #SAD #कविता #nojohindi #mdwazaifa #mdwazaifakamal #farmersprotest

109 Love

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vivek singh

इतिहास के पन्नो मे अंकित गौरवशाली  एक बिंदु हुँ मैं,
उत्पत्ती से अंत्येष्टि तक 
मै हिंदू हुँ हाँ हिंदू हुँ मै |
जब पृथ्वी थी शुन्य से भरी हुई,
अंधकार से भरी हुई,
जग का हाथ पकड़ ज्ञान का दिप जलाया हमने,
दिनकर की लाली दे कर के अंधकार मिटाया हमने,
 पीड़ा वसुधा का हरने को अध्यात्म का तंत्र दिया,
वेदों का उपहार दिया " ॐ" नाम का मंत्र दिया ,
जब भ्रमित हुआ पार्थ रण मे
तब गीता का मार्ग दिखलाया है,
सर्वत्र मुझी से निकले हैं 
मुझमे ही सकल समाया है,
मै राम कृष्ण मै अनंत विशाल 
मै दुर्गा चंडी माहकाल,
मै इन्दु,प्रभाकर से प्राचीन 
रग-रग मे लिप्त अनुभुती नवीन,
आदि से अनंत का संपूर्ण सिन्धु हुँ मै ,,
उत्पत्ती से अंत्येष्टि तक 
मै हिंदू हुँ हाँ हिंदू हुँ मै ||
रक्त की एक -एक बुंद राष्ट्र पे भर-भर नेवछावर कर दूँ,
जब मै खोलुँ आंख तिसरी तो मरघट मे धुंआधार हर-हर कर दूँ,
राष्ट्र भुमी के कण-कण मे जो माँ देखे वो हर दृष्टि हिंदू है,
धू-धू  कर जलती ज्वाला मे जौहर की प्रवृत्ति हिंदू है ,
व्यक्तित्व हिंदू है,अस्तित्व हिंदू है ,
अन्तर्मन के कण-कण की अभिव्यक्ती हिंदू है ,
स्वयं का नही अपितु संपूर्ण विश्व का कल्याण हो जाये,
हिंदुत्व वही जिसका मनुष्यता मात्र पे नेवछावर प्राण हो जाये,,
त्याग, पराक्रम और मानवता का विशिस्ट संगम हुँ मै ,
उत्पती से अंत्येष्टि तक 
मै हिंदू हुँ हाँ हिंदू हुँ मै ||
मै गीता का ज्ञान अमर 
मै कुरुछेत्र का महा समर 
मै माधव का चक्र सुदर्शन हुँ 
मुख मे तीनो लोक का दर्शन हुँ 
पल भर मे प्रलयंकर हुँ मै 
आदि पुरुष हुँ शंकर हुँ मै 
रौद्र हुँ श्रृंगार भी मै, ढाल भी हुँ प्रहार भी मै 
मै वचन बध्ह मै मृत्यु द्वार पे कवच-कुंडल का दान करूँ,
समस्त के उद्धार हेतु मै ही तो विष का पान करूँ
मै प्रकृति का हुँ दृश्य अकाण्ड
समाहित मुझमे अनन्त ब्रह्माण्ड
सकल धरा के परिधि का केंद्र बिंदु हुँ मै 
उत्पती से अंत्येष्टि तक 
मै हिंदू हुँ हाँ हिंदू हुँ मै ||
सृष्टि के माथे का चंदन हुँ मै 
मानवता का अभिनंदन हुँ मै 
जग को जीना सिखलाया हमने 
शुन्य से अनन्त तक बतलाया हमने 
सब मे सम्लित हो जाता हुँ मै 
गैरों को भी अपनाता हुँ मै 
प्रेम पुष्प का प्रतिक हुँ मै 
सभी धर्मों का अतीत हुँ मै 
मृत्यु मात्र से भयभीत नही,अमरत्व का अमिट एक गीत हुँ मै !
आकाश से पाताल तक,गत और अनागत काल तक ,
संपूर्ण सृष्टि के संस्कृतियों का सिन्धु हुँ मै ,
उत्पती से अंत्येष्टि तक 
मै हिंदू हुँ हाँ हिंदू हुँ मै ||
नही सीमा का विस्तार किया,
मैने बस प्रेम प्रसार किया
ज्येष्ठ नही अपितु श्रेष्ठ भी हुँ 
पर अन्यथा न शस्त्र उठाया है 
हिंदू बन जाने को कहो कब किसका रक्त बहाया है 
कितनी मजारेँ दफ़न किया 
कितने मिनार गिरायें है 
मानवता के आड़ मे कहो कब धर्म को दिवार बनायें है 
सर्व धर्म सम्भाव यही मात्र मुल मेरे हैं 
मंदिर के निर्माण हेतु बोलो कब मस्जिद तोडे है 
पर मेरे सरल स्वभाव पे तुम अपनी मर्यादा भुलो ना 
गले लगाया है तुमको तो पीठ पे शूल हुलो ना 
पद्मवती का प्रण तुम भूलो ना
महाराणा का रण तुम भूलो ना 
भूलो ना गोरा-बादल के तलवरों का तुम प्रहार 
धड़ मात्र यम के दूत बने करते सत्रु का तर-तर संहार
भूलो ना विर शिवाजी को जब भगवा ध्वज ले निकले थे
मराठी रक्तों के शोलों से औरंगजेब जब पिघले थे
केशरिया ध्वज मे लिपटा जलती ज्वाला का सिन्धू हुँ मै ,
उत्पती से अंत्येष्टि तक 
मै हिंदू हुँ हाँ हिंदू हुँ मै ||
रात्रि से प्रभात का प्रारंभ हूँ मैं,
ब्रह्माण्ड के सृजन का आरंभ हूँ मैं,
एक जननी, एक ईश्वर
पृथक नहीं अखंड हूँ , 
गंगा सी अविरल अनंत
हिमालय सा प्रचंड हूँ ,,
मै बुद्ध मे, महावीर मे मै
साई और कबीर मे मै,
उत्साह मे मै, पीर मे मै,
हिन्द के हर नीड़ मे मै,,
हो गया जहाँ सर्वस्व अंतिम
वहाँ से शुरू हूँ मैं,
अखंड भारत का हूँ अटल संकल्प
 पुरातन काल से ही विश्व गुरु हूँ मैं,,
भारत के आभामंडल का इंदु हूँ मैं,
उत्पत्ती से अंत्येष्टि तक 
मै हिंदू हुँ हाँ हिंदू हुँ मै || #NojotoQuote मै हिंदू हूँ हाँ हिंदू हूँ मैं

मै हिंदू हूँ हाँ हिंदू हूँ मैं

2 Love

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Vandana Rana

वह दूध सा धवल,
मैं हूँ चाय सी साँवली, 
वह प्रेम के मतलब 
से भी अनभिज्ञ हैं,
और मैं उसके नशे में,
हो रही हूँ बावली! वह दूध सा धवल,
मैं हूँ चाय सी साँवली, 
वह प्रेम के मतलब 
से भी अनभिज्ञ हैं, 
और मैं उसके नशे में,
हो रही हूँ बावली !

वह दूध सा धवल, मैं हूँ चाय सी साँवली, वह प्रेम के मतलब से भी अनभिज्ञ हैं, और मैं उसके नशे में, हो रही हूँ बावली !

18 Love

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