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New उपबासीसेडूबोर्ड गॉव इन २०२० Quotes, Status, Photo, Video

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बिमल तिवारी “आत्मबोध”

गॉव #कविता

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गॉव की सुनी सड़कों पर अब कोई हलचल नही
सब शहरों में जा बसे हैं ,दिखता कोई मंचल नही

लटक रहे हैं दरवाज़ों पर बड़े बड़े से ताले अब
करते हैं ये अब पहरेदारी ,घर से आती कोई शोर नही

सबको लत लगी हुई हैं शहरों में अब बसने की
गॉव को खाली कर रहे हैं ,रुकने का कोई नाम नही

मिटा रहे हैं नाम सभी पाएं थे पुरखों से जो
शहरों में हर लत की जद में,खो रहे हैं नाम सभी

अपने मन से जीने ख़ातिर गॉव घुटन सी हो रही है
इसीलिए गॉवो से अब,भाग रहे हैं शहरों को सभी ।। गॉव

Pushkar Bhardwaj

सुने गॉव #शायरी

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ख्वाब सारे इस तरह जूने पड़  गए 
गॉंव सारे युवाओं से सुने पड़ गए सुने गॉव

amit verma

मेरा गॉव

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मेरा दिल गाँव में बसता है
क्योंकि गाँव मेरे अंदर बसता है!

©amit verma मेरा गॉव

Praveen Singh Sindal

मेरा गॉव

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कुछ पल बिन तेरे साल का साल वर्षो न हो,,,,,,
मैंने कभी न सोचा तेरे गाँव में तेरा दीदार हो न हो,,,,,
                                         -प्रवीण मेरा गॉव

ahsaas chaudhry

#गॉव का इश्क...

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आँखों की जुबां भी पढ़ लेनी चाहिए, वो दरवाज़े से छुपकर आज भी देखते है हमें....
ये इश्क़ गॉव का है ज़नाब...
शहर की नौटंकी नही... #गॉव का इश्क...

khushi gaud kahar

मेरा गॉव और मेरे गॉव की खूब शुर्ति है ये #Love

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miss seemai

#२०२०

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ये साल ऐसा रहा की बता नहीं सकते 
अपनी मर्जी से कहीं जा नहीं सकते  
आशा है अब लोटे ना ये क्योंकि
हम इसको और ज्यादा अब सह नहीं सकते,,,😂

©miss seemai #२०२०

Er Prince Kumar

अलविदा 2020
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यूं   कह तो  2020   विष    ही   बन   गया
जो   पाया  था  वह   सब  तो  लुट ही  गया
हमने   अपना    कारोबार  ,  नौकरी  खोया
इसी    बहाने   परिवार    का   स्नेह   पाया

मार्च  से   कोरोना   का  आतंक   है  छाया
इस    दहशत     की    अजीब    है   माया
सारे  इंसान   को   कहां  से कहां पहुंचाया
हमने  स्वच्छ  प्राकृतिक  वातावरण  पाया

ऐसा महामारी  कोरोना  दहशत का साया
हमने खुद को ही  अपने घरों में कैद पाया
हमने दिखावे की जिंदगी जो थी वो खोया
कम साधनों में  जिंदगी गुजारना सिखाया

सबके   काम   धंधे   तो  बंद   पड़ा  पाया
किसानों  पर  तानाशाही का बुलंदी  छाया
जितना   पढ़ा - लिखा  सब  तो  हार  गया
पर हां हमने बेरोजगारी का दर्द जरूर पाया

रेल ,तेल ,खेल  सब तो करीब बिक ही गया
हमने  अपने  संविधान को  टूटते  हुए पाया
लोकतंत्र   के   चौथे  स्तंभ  को  सोते  पाया
हां मैं स्वस्थ लोकतंत्र का नागरिक कहलाया

  ✍ अभियंता प्रिंस कुमार
 सोनदीपी, बेगूसराय(बिहार)

©prince Kumar #२०२०

JOURNALIST VIPUL PARMAR

२०२० #विचार

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Gumnaam shayar

#२०२०

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आज से एक सफर शुरू होता है,  २०२० का
आशा है कि जो ख्वाहिशे २०१९ में अधुरी रह गई वो इस साल पूरी हो जाऐ #२०२०
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