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मै शयर बदनाम
हौसला अभी बाक़ी है तो ज़िंदा हूं मै, उम्मिद है उसकी मिलने की तभी तो ज़िंदा हूं मै, मंज़िल खड़ी है मेरे सामने बाहें खोले खोले हुए उसे पाने के जुनून मे अभी तक ज़िंदा हूं मै संघर्ष के नाम से ज़िंदा हू मै
M.Alam. Ansari
शीशा कि तरह टूट के बिखर गया हू,, जीते जी मैं तो अब मर गया हू,, किस पे अब करू यकीन अंसारी,,,, इश्क़ कि नाम से तो मैं अब डर गया हू,, इश्क़ कि नाम से भी अब तो मैं डर गया हू ,,
Nirankar Trivedi
लिखता हू तेरे नाम को आज भी, कोई गुनाह तो नहीं करता | तू भूल भी जाये तो क्या, मैं तो याद करता हूँ | लिखता हू तेरा नाम आज भी #
Ramnarayan Bhaisare from harda M P
बिछड के तुमसे जिन्दगी सजा लगती है ये सांस भी जैसे मुझसे खता लगती है अगर उम्मीद ए वफा करू तो किससे करू मुझको तो मेरी जिंदगी भी बेवफा लगती है करू जिंदगी से खफा हू
Fatema~
मिलकर भी सब से अन्जान ही हू मै, खुद ही खुद से परेशान हू मै। मैं शाम हू रात हू सवेरा भी हू मै , जो जान लो करीब से तो अधेंरा ही हू मै। दोस
जिद्दी 'अली
जिंदगी से बहुत उदास हूं न जाने क्या क्या मैं भी सोचता रहता हूं कभी इधर तो कभी उधर देखता रहता हूं कुछ लोग कहते है की मैं बहुत खास हूं मगर कौन बताए की मैं जिंदगी से बहुत उदास हूं कुछ पल तो ऐसा लगता है की कुछ हो रहा हो कभी दिल तो कभी दिमाग भी कुछ कह रहा हो महसूस होता है जैसे मैं किसी के आसपास हूं पर मैं तो जिंदगी से बहुत उदास हूं कोई तो है जो बेइम्तेहां मुझसे प्यार करती है मेरे आने का हर वक्त वो इंतज़ार करती है उसे कौन बताए की मैं बकवास हूं क्योंकि मैं तो जिंदगी से बहुत उदास हू कहती है की मैं कभी भी हार नही सकता मगर मैं तो जीत कर भी जीत नही सकता वो कहती फिरती है सब से मैं विश्वास हूं न जाने क्यों मैं जिंदगी से बहुत उदास हूं सब कुछ जान कर भी अनजान बना रहता हू मैं तो अपने ही घर मे मेहमान बना रहता हू घर वाले कहते है की मैं उपन्यास हूं बे-वजह ही मैं जिंदगी से बहुत उदास हू अली (जिद्दी) जिंदगी से बहुत उदास हू
Mahir sayar
मुस्कान ले कर उधारी का आया हू फिर से अरमान लेके आधी आया हू फिर से रातो के सपने सुबह भुला के एक नई ख्वाब लेके आया हू फिर से टूटे अरमानो के अधूरी हसरतें सजाया हू फिर से भींगी पलकों के साथ मुस्कुराया हू फिर से . जिसकी जरूरत मुझे खुद से ज्यादा हैं उसी के लिए उसे वही छोड़ के आया हू फिर से अपनी सिसकियाँ और तकलीफें छोड़ आया हू फिर से ख्वाबों को लिखना अधूरा छोड़ के आया हू फिर और जिस डायरी मेँ उसे किस्मत लिखा था वो पुरी डायरी जला के आया हू फिर से *उसे भुलाया हू #फिर से*