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battameez kalam
उड़ता हुआ तीर हमें ही शौक था साखी ये उड़ते तीर लेने का हिदायत सब ने दी थी दिल्लगी से कुछ नहीं मिलता..¡! ©battameez kalam #उडता तीर
Dipika Saini
उड जायेंगे तस्वीरो से रंगो की तरह हम..... वक्त की टहनी पर है परिन्दो की तरह हम... 🙏💐🌷 दीपिका सैनी उडता परिन्दा..😊
Baljit Singh
वो बोला था # उड़ता परिंदा हू मै असिआना बना कर उड जाना # उसकी आदत है मै ही पागल थी # जो उसे बोल बैठी असिआना तो बना # तुझे उडने की भी इजाजत है अब उसके इंतजार में # जो कर रही हू एक अरसे से चली # बडी लंबी इबादत है उसके इन्तज़ार मे # इतने अश्क रोके है इन आँखो के पीछे अगर बहां दू # तो बस किआमत है बस किआमत है उडता परिंदा ..... #suman# Deep Sandhu aman6.1 Reyaz Ahmad Hidden_feelings Internet Jockey
_suruchi_
गंध या माती चा रंगीत पुष्पाची दरवळ सुमधुर तो मकरंद तुला कळणार नाही... सुकोमल परांची मखमल फुला फुलातूनी उडता दरवळतो कसा स्वछंद तुला कळणार नाही... मधु प्रशनाची ती ओढ क्षणभंगूर जीवनाची रंगीत सुगंधी तगमग तुला कळणार नही... गंध या माती चा रंगीत पुष्पाची दरवळ सुमधुर तो मकरंद तुला कळणार नाही... सुकोमल परांची मखमल फुला फुलातूनी उडता
#maxicandragon
ख़्वाहिश वो बताते थे ये पूछती थी इन लोगो ने तो सैर कर लिए थे यूं ही नही पूंछती रही होगी कुछ लालसा तो रही होगी चलो वो एक बार ही गए थे तो बताने को क्या, वही था बताने को पर इनको क्या, बोल न सके एक बार घुमाने को मन था, की एक बार बेटा घुमाएगा जरूर बस एक ही बार टिकट कटाएगा जरूर उडता है जब तो कैसा लगता है सांस तो नही रुकती और अगर कुछ हो गया तो ड्राइवर को बोलके रुक तो सकते है ना मॉ थी रहती थी जो मन मे होता था हवाईजहाज़ क्या रुका है कहने पे जब टिकट तक नही कटी इतने कहने पे लालसा तो मन मे रह गई बडी ,करके बंद चले गई लाल ,अब हवा मे उडता है परिवार बस यादों मे कुढता है #लालसा #चाह #मन #Sadharanmanushya ©#maxicandragon वो बताते थे ये पूछती थी इन लोगो ने तो सैर कर लिए थे यूं ही नही पूंछती रही होगी कुछ लालसा तो रही होगी चलो वो एक बार ही गए थे तो बताने को क्य
बे-फ़सील
एक पंरिदा थकान मे मदहोश, ना फिक्र किसी कि बस हुआ जा रहा बेहोश, छोटी छोटी आँखोँ मे बसाये हजारोँ सपने, बस तन्हा उडता कि कब मिलेँ अपने, नयनोँ के अम्बर मे भरता सपनोँ कि उडान, खाली आँखोँ के आकाश मे अकेला परेशान, कोई तो वजह जरुर होगी इसकी परेशानी कि, उसकी जिन्दगी कि वजह जरुर है अनजानी सी, ऐ खुदा रहम कर उसकी ख्वाहिश माननी होगी, नही यूँ तो बेशक उसकी ज़ान जानी होगी......! एक पंरिदा थकान मे मदहोश, ना फिक्र किसी कि बस हुआ जा रहा बेहोश, छोटी छोटी आँखोँ मे बसाये हजारोँ सपने, बस तन्हा उडता कि कब मिलेँ अपने, नयनोँ क
#maxicandragon
Sab Moh Maya Hai उम्मीदों के पंख लगाकर के मै व्यर्थ ही उडता जा रहा था सपनों सी तेज उडानों मे अंधा सा होता जा रहा था स्वप्न दिखाकर जाल बिछाया वो अपना ही बैरी था अपनोे के फेके दाने चुगकर अब मै बस एक कैदी था सात समंदर अपनो के खातिर जब सब दूरी नाप गया तब समझा मै जाकर के पास न कोई अपना था ये हम तुम सब बस फरेब है मै बस मै, एक अकेला सच है अपनापन मित्रता मोह माया बकवास झूठ छलावा था #SadharanManushya #छलावा #मोह #फरेब #जाल #mohmaya उम्मीदों के पंख लगाकर के मै व्यर्थ ही उडता जा रहा था सपनों सी तेज उडानों मे अंधा सा होता जा रहा था स्वप्न दिखाकर जाल बिछाया वो अपना
Yudi Shah
मंजिले उदास है फिर भि उतना हि प्रयास है छोटी सि जिंदगी के हर पहेलु उतना हि आजाद है मानो उडता पन्छी बादलो में बैठकर करता आराम है... हकिकत और देखावा एक सिसे मे कैद है जो नजर नहि आता जो सम्झ भि नहि आता लेकिन हकिकत और देखावा मगर होते है, हम और आप हि जैसे छ्लकता इसारो ने आज पैगाम भेजि है रुक जाउ फिर भि, कहा आराम भेटी है यहि तो दर्द है जो रुकता नहि क्या किसमत पाया है यहि तो नाम है जो भुल्ता नहि ©Yudi Shah मंजिले उदास है फिर भि उतना हि प्रयास है छोटी सि जिंदगी के हर पहेलु उतना हि आजाद है मानो उडता पन्छी बादलो में बैठकर करता आराम है... हकिकत और
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
विधा :- चवपैया छन्द तुम हो मतदाता , मेरे भ्राता , क्यों इनसे डरते हो । अब सोच समझ लो,तब निर्णय लो,कब इनमें बसते हो ।। ये तेरा खाते , अपनी गाते , अपनी धुन रमते हैं । मत देखो थैली , होती मैली , पाप सदा भरते हैं ।। इनका धर्म नहीं , ईमान नहीं, माया के गुण गाते । सब भूले अपने , देखें सपने , जग को ये भरमाते ।। ये बे पथ होकर , बनकर नौकर , बन जाते हैं राजा । कर झूठे वादे , गलत इरादे , खूब बजाते बाजा ।। ठोको छाती , अब दिन राती , मुर्गा दारू खाके । अब क्यों है रोता , उडता तोता , बोलो मेरे काके ।। सुन जहाँ समय है , करूँ विनय है , जागो मेरे भ्राता । तुम क्यों हो डरते ,चलकर लडते , तुम सब हो मतदाता ।। २९/११/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विधा :- चवपैया छन्द तुम हो मतदाता , मेरे भ्राता , क्यों इनसे डरते हो । अब सोच समझ लो , तब निर्णय लो , कब इनमें बसते हो ।। ये तेरा खात
#maxicandragon
सात साल की बेगम उडता आया बाल ऊ ला ऊ ला करता पोपट चाँद भरी दोपहरिया घूम रहा था अधेड नग्न सा वो शैतान हवा चली उडी गधी दिखा नीलआसमान तेज गति से लिए गधी ने पहुँचाया उसको श्मशान हगामूता सब लिए चला था खोदी एक चट्टान खाया कंकरपथ्थर मिट्टी मलमूत्र संग लार कीटपतंगे दिखे जानवर खाया पहनी खाल श्वास बची थी अंतिम जैसे अर्धम्रत डुक्कर समान आया तब एक और महान गब्बर था जिसका नाम पूछा देखा सब सामान बता भोष्री तेरा नाम मैं वो मैं वो मैं वो मैं वो मैं मैं मैं मैं वो खोदा ये खोदा इधर खोदा उधर खोदा कंकर खोदा पत्थर खोदा गुफा खोदा चट्टान खोदा मैं खोदा मैं खोदा तू नही मैं ही खोदा मैं ही खोदा मैं ही खोदा . . . भक्क बें चो, यहीं सड ये ले मक्का खा और मर #Sadharanmanushya ©#maxicandragon सात साल की बेगम उडता आया बाल ऊ ला ऊ ला करता पोपट चाँद भरी दोपहरिया घूम रहा था अधेड नग्न सा वो शैतान हवा चली उडी गधी दिखा नीलआसमान