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अम्बुज बाजपेई"शिवम्"

Pic_credit:- Google.in हाथों में जिम्मेदारियों के हैण्डल को थामे, पैरों से मुश्किलों के पैडल को धकेलते हुए। मैंने देखा एक जीर्ण-शीर्ण काया क #yourquote #RESPECT #yqbaba #yqdidi #yqhindi #majdoor #rikshewala #family_man

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हाथों में जिम्मेदारियों के हैण्डल को थामे,
पैरों से मुश्किलों के जैसे पैडल को धकेलते हुए।
मैंने देखा एक जीर्ण-शीर्ण काया को,
तीन पहियों पर अपनी दुनिया चलाते हुए। Pic_credit:- Google.in
हाथों में जिम्मेदारियों के हैण्डल को थामे,
पैरों से मुश्किलों के पैडल को धकेलते हुए।
मैंने देखा एक जीर्ण-शीर्ण काया क

Chaitanya Srivastava

ज़िंदगी साईकल हैं दर्द भरी राह हैं, चल रहे हैं ग़मो के पैडल मार रहे हैं, न कोई आगे न कोई पीछे हैं यहाँ, इस सफ़र में हम अकेले चल रहे हैं, इक मोड़ #Life

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ज़िंदगी साईकल हैं दर्द भरी राह हैं,
चल रहे हैं ग़मो के पैडल मार रहे हैं,
न कोई आगे न कोई पीछे हैं यहाँ,
इस सफ़र में हम अकेले चल रहे हैं,
इक मोड़ आया था राह में कोई मिला, 
था रास्ते में,
कुछ दूर साथ चला फ़िर छोड़ गया हैं,
न अब कोई मोड़ हैं आगे इस राह में,
रास्ता सीधा हैं अकेले ही चलना हैं,
मंज़िल पर पहुचकर पता चलेगा हमें,
आगे कौन हमें मिलने वाला हैं,
जिंदगी साईकल हैं!!

©Chaitanya Srivastava ज़िंदगी साईकल हैं दर्द भरी राह हैं,
चल रहे हैं ग़मो के पैडल मार रहे हैं,
न कोई आगे न कोई पीछे हैं यहाँ,
इस सफ़र में हम अकेले चल रहे हैं,
इक मोड़

Altaf Husain

मशीन के पैडल को रोकते हुए मनोरमा बोली, "सुना है आजकल कुमार काफी उपहार दे रहा है तुम्हें" घरवाले पूछते नहीं तुमसे कि किसने दिया है? चल झूठी, #Love #story #Pyar #LoveStory #कहानी #writer #kavita #kahani #nojotokahaniya #हिन्दीकहानी #indianstory #lovekahani

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 मशीन के पैडल को रोकते हुए मनोरमा बोली,
"सुना है आजकल कुमार काफी उपहार दे रहा है तुम्हें"
घरवाले पूछते नहीं तुमसे कि किसने दिया है?

चल झूठी,

रिंकी✍️

जिंदगी की साईकल दो पहिये और दो पैडल बीच में बजती वो घंटी टन-टन-टन सबको आगह करती बढ़ रही है और चल रही है वो साईकल अकसर रुक जाती है #यकदीदी #यकबाबा #गातेरहो

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जिंदगी की साईकल 
दो पहिये और दो पैडल
बीच में बजती
वो घंटी टन-टन-टन
सबको आगह करती बढ़ रही है 
और चल रही है
वो साईकल
अकसर रुक जाती है 
वो हप्ते में दो बार
कभी कभी महीने में एक बार
जहाँ बनती है साईकल की पञ्चर
फिर पहले जैसी हो जाती 
बिल्कुल टना-टन
और फिर चल पड़ती है,
वो धीरे-धीरे
हवा से बात करते हुए 
बनकर फन-फन
जिंदगी की साईकल
रुकती है सबसे मिलती है 
सबको देखती हुई 
दो पल मुस्कुरा कर
और फिर आगे बढ़ती है
चल पड़ती है फिर से
अपनी राह पर
बन ठन कर
जिंदगी की साईकल 
✍️रिंकी

 जिंदगी की साईकल 
दो पहिये और दो पैडल
बीच में बजती
वो घंटी टन-टन-टन
सबको आगह करती बढ़ रही है 
और चल रही है
वो साईकल
अकसर रुक जाती है

Prakash writer05

कभी यूँ ही बैठ लिया करो मेरे लिए रिक्शे में बैठना एक कठिन निर्णय होता रहा है, रिक्शे की सवारी के समय मेरा ध्यान हमेशा उसकी पैरों की पिंडलिय

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कभी यूँ ही बैठ लिया करो

मेरे लिए रिक्शे में बैठना एक कठिन निर्णय होता रहा है, रिक्शे की सवारी के समय मेरा ध्यान हमेशा उसकी पैरों की पिंडलियों पर रहता था , कि कितनी मेहनत से खींचता है रिक्शा , सड़क पर कोई भी मोटरसाइकिल वाला या कार वाला उसको ऐसे हिकारत की निगाह से देखता है जैसे कोई जुर्म कर दिया हो, मैनें नोटिस किया अक्सर कारों वालों के अहम के सामने रिक्शेवाले भाई को अपने रिक्शे में ब्रेक लगाने पड़ते थे , गलती किसी की हो थप्पड़ हमेशा रिक्शेवाले के गाल पर ही पड़ता था। पुलिसवाले के गुस्से का सबसे पहला शिकार ये बेचारा रिक्शेवाला ही होता है।  बेचारा 2 आंसू टपकाता, अपने गमछे से आँसू पोंछता फिर से पैडल पर जोर मार के चल पड़ता। 

यार ये दौलत कमाने नहीं निकले , सिर्फ 2 वक़्त की रोटी मिल जाये, बच्चे को भूखा न सोना पड़े बस इसीलिए पूरी जान लगा देते हैं 

कभी इनसे मोल भाव मत करना दे देना कुछ एक्स्ट्रा , ईश्वर भी फिर प्लान करेगा आपको कुछ एक्स्ट्रा देने का 

कभी कभी यूँही सवारी कर लेना रिक्शे की मदद हो जाएगी, भीख देकर उनका अपमान मत करना , 
गरीब हैं भिखारी नहीं 

बस कभी कभी यूँ ही सवारी कर लेना 
जय हिंद-जय भारत🇮🇳🇮🇳 कभी यूँ ही बैठ लिया करो

मेरे लिए रिक्शे में बैठना एक कठिन निर्णय होता रहा है, रिक्शे की सवारी के समय मेरा ध्यान हमेशा उसकी पैरों की पिंडलिय

Wakil Mandal

समय चला, पर कैसे चला…पता ही नहीं चला… ज़िन्दगी की आपाधापी में, कब निकली उम्र हमारी, यारों पता ही नहीं चला. कंधे पर चढ़ने वाले बच्चे, कब कंधे त

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समय चला, पर कैसे चला…पता ही नहीं चला…
ज़िन्दगी की आपाधापी में, कब निकली उम्र हमारी, यारों
पता ही नहीं चला.
कंधे पर चढ़ने वाले बच्चे, कब कंधे त

Namit Raturi

इंसान की नीयत मे ही भेदभाव है,उसे समंदर की बूंदे पांव को छूती बहुत अच्छी लगती है, पर जमीन पे पडे बारिश के पानी से वो खुद को कूद कूद के बचाता #story #Challenge #Hindi #rain #rainyday #yostowrimo #बारिशकावोदिन

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इंसान की नीयत मे ही भेदभाव है,उसे समंदर की बूंदे पांव को छूती बहुत अच्छी लगती है, पर जमीन पे पडे बारिश के पानी से वो खुद को कूद कूद के बचाता है, मतलब पानी पानी मे फर्क ।

कहानी कैप्शन मे पढें ।। इंसान की नीयत मे ही भेदभाव है,उसे समंदर की बूंदे पांव को छूती बहुत अच्छी लगती है, पर जमीन पे पडे बारिश के पानी से वो खुद को कूद कूद के बचाता
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