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New चाक चौबंद व्यवस्था Quotes, Status, Photo, Video

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Subant Kumar dangi(Poet, Writer)

यह कहानी भारत देश के एक छोटे शहर भरतपुर की है। इस शहर में एक छोटी सी हवेली थी। हवेली बहुत ही सुंदर और आकर्षक था। हवेली में एक बड़ा सा खजाना

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भरतपुर का खजाना
(कहानी) यह कहानी भारत देश के एक छोटे शहर भरतपुर की है। इस शहर में एक छोटी सी हवेली थी। हवेली बहुत ही सुंदर और आकर्षक था। हवेली में एक बड़ा सा खजाना

Birmohan Ganjhu

शहरो में चका चौंद #शायरी

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Damini

#शहरो की चका-चौंद में #शायरी

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नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)

# शहरों की चका-चौंद में। #कविता

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VoiceP

चका चौंद #pratibhacreator #nojohindi #hindi_quotes

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अक्सर यू हम खो जाते है
 और यू ही इस चका चौंद को
अपने जीवन का हकीक्त 
मान बैठ जाते है। ❣️

©VoiceP चका चौंद #pratibhacreator #nojohindi #Nojoto #hindi_quotes

Sanam shona

शहरों की चका-चौंद में #Shayari #nojohindi

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शहरों की चका-चौंद में...
हमारी खुशियां कहीं खो गई है
कैसे बिताए सुकूं के दो पल...
ज़िंदगी इतनी व्यस्त हो गई है

©Sanam shona शहरों की चका-चौंद में
#Shayari 
#nojohindi

Pancham Kumar

शहरो की चका - चौंद में..... #Yadein #Shayari #myvillage #serosayri

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सतीश तिवारी 'सरस'

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Author Harsh Ranjan

व्यवस्था

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दुनिया के कानूनों ने
मुझे ये सिखाया है कि 
घोड़ा और गधा एक है,
व्यवस्था की नजर में!
या कहें कि घोड़ापन अथवा है।
दुनिया का गधों के लिए यही जज्बा है।
सर्वत्र संसार में अकाल व्याप्त है!
भूख और भूख का डर 
जल और वायु से भी पर्याप्त है।
कमाने वालों को कम खाने के गुण
बताए जा रहे हैं और लोग
उनकी रसोई के आटे-दाल से
भंडारे करवाये जा रहे हैं।
किसी ने मेरे कानों में धीमे से कहा है,
एक किसान दो फसल काटकर भी
आयु में उतना कमाता है कि
उसके तीन पुश्त एक भी रात
भूखे न गुजारें! 
पर ये गांव वालों को कैसे समझाएं
कि बेरोजगारी के दिन-रात
बिस्तर पर न गुजारें!
अगर धरती पर पड़ा होना ही अस्तित्व है
तो ये व्यवस्था मानव से ज्यादा
मवेशियों के निमित्त है। व्यवस्था

Author Harsh Ranjan

व्यवस्था

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दुनिया के कानूनों ने
मुझे ये सिखाया है कि 
घोड़ा और गधा एक है,
व्यवस्था की नजर में!
या कहें कि घोड़ापन अथवा है।
दुनिया का गधों के लिए यही जज्बा है।
सर्वत्र संसार में अकाल व्याप्त है!
भूख और भूख का डर 
जल और वायु से भी पर्याप्त है।
कमाने वालों को कम खाने के गुण
बताए जा रहे हैं और लोग
उनकी रसोई के आटे-दाल से
भंडारे करवाये जा रहे हैं।
किसी ने मेरे कानों में धीमे से कहा है,
एक किसान दो फसल काटकर भी
आयु में उतना कमाता है कि
उसके तीन पुश्त एक भी रात
भूखे न गुजारें! 
पर ये गांव वालों को कैसे समझाएं
कि बेरोजगारी के दिन-रात
बिस्तर पर न गुजारें!
अगर धरती पर पड़ा होना ही अस्तित्व है
तो ये व्यवस्था मानव से ज्यादा
मवेशियों के निमित्त है। व्यवस्था
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