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विवेक गंगवार
#हाज़िरी ...❣ तेरी गैरहाज़िरी भी तेरी हाज़िरी की निशानी है .❤💞 क्रोध ? हाज़िर, सर! नफरत ? हाज़िर, सर ! धोखा ? हाज़िर, सर ! बेईमानी ? हाज़िर, सर ! आंसू ? सबसे पहले हाज़िर, सर ! करुणा ? हाज़िर, सर ! प्यार ? प्यार ? प्यार ? आज फिर गैर -हाजिर ! #हाज़िरी ...❣ तेरी गैरहाज़िरी भी तेरी हाज़िरी की निशानी है .❤💞 क्रोध ? हाज़िर, सर! नफरत ? हाज़िर, सर !
Sufi Az
( जिक्र की हकीकत ) जिक्र एक तरफ अल्लाह कि तरीफ व बढ़ाई करने के लिए है।।और दूसरी तरफ अल्लाह की रहमत व साया हसिल करने के लिए है।। जिक्र वो इबादत है ।।जिसको खुदा ने हर इबादत से आला रखा है ।।रोजा नमाज हज जकात एक वक्त पे मना है । सिर्फ जिक्र ही वो इबादत है जो हर एक लम्हा हक है।।अल्लाह ने कुरआन ऐ करीम में इरशाद फरमाया।।। बंदे तू मेरा जिक्र महफिलों में करेगा तो में तेरा ज़िक्र फरिसतो के दर्मियां करूंगा।।।और अगर तू मेरा जिक्र तनहाई में करेगा तो में तेरा ज़िक्र मेरी साने तन्हाई में करूंगा।।।ये फजिलते है जिक्र की। ©Sufi Az जिक्र की फजीलत।।
Directorvs Siddhu
मेरी तरह मेरे रास्ते भी है ना वो खत्म होते हैं और ना मैं रुकता हुं,, दोनों जिद्दी यार ©Directorvs Siddhu हाकिकी जिंदगी की
Anamika Nautiyal
तेरे जाने के बाद मेरे हर ख़्वाब रुख़सत हो गए, दिल में दबे कुछ ख़्याल फ़क़त हसरत हो गए। असर-ए-निगाह ही कुछ ऐसा था कि वो मेरी चाहत हो गए, सोहबत उनकी कुछ ऐसी थी मेरे लिए वो ख़ुदा की इबादत हो गए। इस 'अनाम' मरासिम को दिलाने हक़ सबके अदावत हो गए, उनके लफ़्ज़ों की शोखियाँ यूँ थी मानो इनायत हो गए। फ़ज़ीलत हासिल थी उन्हें चार दिन के याराने में, इश्क़-मोहब्बत,आदत थे वो मेरी नफ़रत भी हो गए। #फ़ज़ीलत #अनाम #गढ़वालीगर्ल #अनाम_ख़्याल #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #lovequotes #anumika
vishnu prabhakar singh
'जन्म आप देंगे,भाग्य कौन देगा' वो निर्जीव अलौकिक तंत्र! जहाँ कर्म भाग्य का पूरक है और, धर्म अनुशासन का विषय-वस्तु! भाग्य हाजिर नाजिर है,दलील नहीं। #विप्रणु #yqdidi #yqbaba #life
Yusufi Media
Abhiraj kumar
जहां से शुरू सबकी सोच होती है, उस सोच से मुलाकातें रोज़ होती है, रोज़ जो देखूं आइने में चेहरा मेरा, आइने में भी अपनी ही खोज होती है, खोज का सिलसिला भी अजीब सा है, लगती क्यों कामयाबी भी नसीब सा है, जाने किस दौर से गुजर रहा हूं, वक़्त की मार भी तहजीब सा है, तहजीब भी मिली यूं हालातों में, जब हालात पढ़ रहे थे किताबो में, किताबो का सफ़र भी था मुश्किल बड़ा, मुश्किल का समाधान था जवाबों में, जवाब जो मिले तो मैंने कलम उठाया, अल्फाजों में समेट जो सबको बताया, थक सा गया था ज़िन्दगी में कहीं , तभी तो एक अलग पहचान बनाया, पहचान जो बनी कागज़ के साथ, ना दिया धोखा कभी बस दिया मेरा साथ, खुशी या निराशा में जब भी मैं डूबा, स्याही के सहारे उतारे सारे जज़बात।। रोज़ की आदत।