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Monika jayesh Shah
मेरा प्यार ©Monika Shah *#🌹तारीफ 🌹* *में अपनी तारीफ में क्या कहूं..* *में हूं ही इतनी सुंदर..* *तन से नहीं पर मन से हूं.* *हर एक के दिल में राज करती हूं!* *हां में
JALAJ KUMAR RATHOUR
सुनो कॉमरेड, ये सावन का महीना हमेशा मेरे जीवन में खास रहा है। क्युकी यही वो महीना था। जब मैंने तुमसे प्रेम के सावन में प्रवेश किया था। जिस प्रकार एक अबोध बालक किसी विद्यालय में प्रवेश लेता है। जिस प्रकार वो धीरे धीरे विद्यालय के मोह में पड़ता जाता है और फ़िर ताउम्र गर्व करता है खुद के उस विद्यालय का पूर्व छात्र होने में, कुछ इसी प्रकार का प्रगाढ़ प्रेम मैंने तुमसे किया था। आज भी मुझे गर्व है कि मेरे पहले प्रेम की पाठशाला तुम थी पर अब जब भी तुम सामने से गुजरती हो तो वो वक्त वापस लौट आता है।जिस वक्त में ,मै तुम्हारे हाथो को थाम घूमता था पूरे शहर में, जैसे कोई बालक रुक जाता है। अपने पुराने विद्यालय के सामने और खो जाता है। उसकी दीवारो से जुडी याद में,सावन का आना मेरे लिए और खास था। क्युकी सावन के सोमवार के दिन जब तुम मंदिर जाती थी तो मैं इंतजार में रहता था मंदिर की सीढ़ियों पर तुम्हारे,अक्सर मंदिर ही तो सहारा होते है। छोटे शहरो में बचपने और सपनो से परिपूर्ण प्रेम के पनपने के, तुम्हे शायद याद हो हमने साथ मिल कर झूला डाला था। नीम की डाल पर, उस कड़वे नीम की शाखाये भी प्रेम पूर्वक झुक जाती थी। जब हम साथ झूलते थे। झूलना जिंदगी के भूतकाल,वर्तमान और भविष्य से वाक़िफ़ कराता है। जब हम थमे हुए होते है तो वर्तमान में होते है, जब हम खुद को पीछे की ओर लेते है तो भूतकाल में और जब आगे जाते है तो भविष्य में, मैं चाहता था। हर सावन के झूले पर साथ तुम्हारे झूलना, परंतु चाहते पूरी कहाँ होती है। पर इन निगाहों को आज भी इंतजार रहता है। तुम्हारे दीद का, जैसे चाँद को इंतजार रहता है ईद का, सुनो तुम इस बार भी मेरे साथ चलकर बहाओ भुजरियाँ,जैसे हम बचपन मैं बहाते थे। .... #जलज _ कुमार _राठौर #feather सुनो कॉमरेड, ये सावन का महीना हमेशा मेरे जीवन में खास रहा है। क्युकी यही वो महीना था। जब मैंने तुमसे प्रेम के सावन में प्रवेश किय
अशेष_शून्य
बस यूंही एक पत्र तुम्हें (शेष अनुशीर्षक में ) डियर जिंदगी हां तुम , जानते हो ना कि नहीं आती तुम्हारी तरह उर्दू मुझे ना ही मराठी मैं तो तुम्हारे माथे की वालित रेखाओं में उलझ जाऊं ये त
Divuu.writes
और एक लड़का तब से हर रोज मंदिर जाता है जबसे उसे पता चला है की वो लड़की उसकी तकदीर में सिर्फ वो खुदा ही लिख सकता है ©Divuu.writes #ramsita मंदिर जाता है
anuragbauddh
शोषण की सारी कथाएं याद है मुझे, मां बहनों की बिलखती व्यथाएं याद है मुझे, उन्हें उनके कारनामें याद हों ना हों, पर झाड़ू मटका की प्रथाएं याद है मुझे ©anurag bauddh #शोषण #महिला #जाति #जाती