Find the Latest Status about वासुदेव पंडित from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, वासुदेव पंडित.
राजेंद्रभोसले
वासुदेवाची आली हाक असुदे महादेवाचा धाक रामाच्या पारी माग भाक जणकल्याणा किरपा राख गोतावळ्याच्या प्रेमाचे चाक भाऊबंदकीचे शोभते नाक राजेंद्रकुमार भोसले 9325584845 वासुदेव #alonesoul
Parasram Arora
प्रेम की बौछार जिसदिन पूरी कायनात पर पड़ेगी तब एक नितांत छोटी सी खूबसूरत बसती मे ये दुनिया सिमट जायेगी न होगी फिर कोई झंझट सरहदों और सिमाओं की और न होगा खर्च इन सीमाओं के सुरक्षा कबच की. बस एक मासूम सी मुहब्बत सुख के हिंडोळे मे झूलती हुई दिखाई पड़ेगी हर धड़कन सीने मे कस्तूरी की लहल्हाती फसल उगाने मे लगी रहेगी और उस कस्तूरी की महक. सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के सभी कोनो को संक्रमित करती रहेगी पर ये सब तभी होगा ज़ब पूरी दुनिया सरहदों से आजाद होकर वासुदेव कुटुंबक्म बनेगी ©Parasram Arora , "वासुदेव कुटुंमबकम "
Arora PR
हिन्दुस्तान के मजहब का क्या कहना यहां तो हमने सभी मजहबो को इज़्ज़त दी हैँ पूजा हैँ क्योंकि "वासुदेव कुटुंबकम " ही हमारे मजहब का सन्देश हैँ यहां इबादत के लिए मंदिर मस्जिद और गुरूद्वारे भी हैँ और इनके बींच कोई दिवार भी नहीं हैँ ©Arora PR वासुदेव कुटुंबकम
Parasram Arora
इस जगत मे हम किसी एक वस्तु क़े लिए किसी एक आदमी क़े आभारी नहीं है बल्कि हमें जीवन की हर शै क़े. लिए... हर क्रिया क़े लिए दुनिया की समग्र आदमशुमारी क़े प्रति हमें शुक्रगुजार होना चाहिये क्योंकि इस जगत क़े प्रत्येक प्राणी ने इस जगत को सही मायने मे एक वास्तबिक और आदर्श जगत बनाने मे अपनी सहभागिता को विनियोजित किया है और जो कुछ हमारे पास है वो "वासुदेव कुटुंबकम " वाले मंत्र की ही देन है ©Parasram Arora # वासुदेव.. कुटुंबकम........
.....
वहीं जहां हर इक डग पर, वासुदेव के श्याम बसे थे । कहीं नहीं बस आज यूं ही , धीश द्वारका धाम गये थे ।। मिले पार्थ नव भारत के , और पुराने कान्हा भी । चक्र सुदर्शन हाथ में लेकर, हमको सबके राम मिले थे ।। @"निर्मेय" ©purab nirmey #वासुदेव #DearKanha
Prokxima
ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते। सङ्गात्संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते॥ विषयों वस्तुओं के बारे में सोचते रहने से मनुष्य को उनसे आसक्ति हो जाती है। इससे उनमें कामना यानी इच्छा पैदा होती है और कामनाओं में विघ्न आने से क्रोध की उत्पत्ति होती है। While contemplating on the objects of the senses, one develops attachment to them. Attachment leads to desire, and from desire arises anger. ©Prokxima #ज़िन्दगानी #वासुदेव #Prokxima
VASUDEV MEENA
वासुदेव मीणा गांव दौलपुरा ©VASUDEV MEENA वासुदेव मीणा #Thoughts