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Author Harsh Ranjan
चुनी हुई सरकारों से, स्वीकारे संस्कारों से, लागू आचार-विचारों से, सवाल मत पूछना! खास कर कि तब, जब, वो एक बार से ज्यादा चुने गए हों! जनतंत्र में सरकार से सवाल नहीं किया करते। विधाता की रचना के लिए दुर्बल इंसानों को नहीं कोसते। तुम देखना अखबारों की हेडलाइन, तुम सुनना आकाशवाणी को, तुम पाना दूरदर्शन पर, घर की खिड़की खोलना, पड़ोसी-बिरादरी तक को टटोलना, जब चुनाव जीतकर नेता जी वापस आते हैं, लोगों को वो यही बताते हैं कि जनता ने उनके काम पर मुहर लगाई है। आप भी मजबूरन या आदतन पलकों की खिड़की खोलते हैं, पाते हैं, पाँच सालों का पास लिए कितनी उम्मीदों की भीड़ आयी है। कभी सोचना ध्यान से, अर्थ लगाना ईमान से, उतारना भीतर प्राण से, जनतंत्र की आत्मा क्या है? बड़ा सहज सा वाक्य है, बहुमत वरदान है, बहुमत श्राप है। सरकार बदलेगी वेष बदलेगा, जनता बदलेगी, देश बदलेगा। जनतंत्र
Parasram Arora
#KargilVijayDiwas ये कैसा षड्यंत्र है देखो तो? कहने को तो है ये प्रजातंत्र जहाँ प्रजा पिस रही और नेता फूंक जाता हर रोज नया जुमला नया मंत्र पर आदमी भी अब कहा रहा है आदमी वो भी बन कर रह गया है एक यंत्र यत्र तत्र सर्वत्र सब तरफ दिख रहे है यंत्र न रहा प्रेम न श्रद्धा न भाईचारा ढूंढ़ने से भी नहीं मिलपाता इस देश का जनतंत्र #जनतंत्र.......
Author Harsh Ranjan
चुनी हुई सरकारों से, स्वीकारे संस्कारों से, लागू आचार-विचारों से, सवाल मत पूछना! खास कर कि तब, जब, वो एक बार से ज्यादा चुने गए हों! जनतंत्र में सरकार से सवाल नहीं किया करते। विधाता की रचना के लिए दुर्बल इंसानों को नहीं कोसते। तुम देखना अखबारों की हेडलाइन, तुम सुनना आकाशवाणी को, तुम पाना दूरदर्शन पर, घर की खिड़की खोलना, पड़ोसी-बिरादरी तक को टटोलना, जब चुनाव जीतकर नेता जी वापस आते हैं, लोगों को वो यही बताते हैं कि जनता ने उनके काम पर मुहर लगाई है। आप भी मजबूरन या आदतन पलकों की खिड़की खोलते हैं, पाते हैं, पाँच सालों का पास लिए कितनी उम्मीदों की भीड़ आयी है। कभी सोचना ध्यान से, अर्थ लगाना ईमान से, उतारना भीतर प्राण से, जनतंत्र की आत्मा क्या है? बड़ा सहज सा वाक्य है, बहुमत वरदान है, बहुमत श्राप है। सरकार बदलेगी वेष बदलेगा, जनता बदलेगी, देश बदलेगा। जनतंत्र
BANDHETIYA OFFICIAL
ताज लेकर तू बेताज रह, राज लेकर तू नाराज रह, तू राजा है, प्रजा हैं सब, तुमको झेलें,रजा हैं सब, तुमको सह लें,मजा हैं सब, तू क्या,न पता,सजा हैं सब। ©BANDHETIYA OFFICIAL #प्रजातंत्र #जनतंत्र #लोकतंत्र क्या ? #tanha
Parasram Arora
ये अर्थहीन संवाद और विवादों का जमघट ये कोलाहल क़ि कंदराओं मे गीदड़ो का बसेरा ये विवादित बयानों की निरंकुशता दिलो को चीरने वाले संवाद औरभाषा तर्को से छिद्रित समझोतो की पीड़ा नित नए हथकंडो का अन्वेषण लांछन अपमान और कलंक से परिपूर्ण जीवन ये अनुभूतिविहीन समाज का सृजन शशिर के कोहरो मे डूबता अस्त होता हुआ जनतंत्र जो जूझ रहा आतंकी वहशतो और साज़िशों से it कोहरो मे डूबता अस्त होता हुआ जनतंत्र
writercreative7
इबादत नहीं चाहत बन जाओ... हर वक़्त सुनिए दे , दिल की आहट हो जाओ।। है तमन्ना कि कभी जुदा ना हो है तमन्ना कि कभी जुदा ना हो।। जो बिना कुछ कहे सब जान ले इस तरह मेरे में ही बस जाओ।। #nehamehta #टीवी #क्वीन
Ek villain
विधानसभा चुनाव तो केवल 5 प्रांतों में ही हो रहे हैं मगर देश भर में सभी संचार माध्यम अधिकांश नेता उसी के संबंध में चर्चा करने रणनीति बनाने और विशेषण करने में व्यस्त हैं आजकल हर स्तर के चुनाव में प्रदेश की सरकारों का पूरा तंत्र उनकी व्यवस्था में लग जाता है लोकसभा से लेकर पंचायत तक के चुनाव का यह सिलसिला लगभग प्रतिवर्ष चलता रहा है सबसे पहले से प्रशासन इस कार्य में अध्यापकों को लगाते हैं उसका सीधा प्रभाव बच्चों की शिक्षा और विशेषकर उसकी गुणवत्ता पर पड़ता है अनेक अवसरों पर लोकसभा के चयनित सदस्य विधान सभा या विधानसभा सदस्य लोकसभा का चुनाव लड़ते हैं जीत जाने पर पद छोड़ देते हैं फिर उप चुनाव होते हैं फिर सारा बोझ जनता उठाती है ऐसे ही तब भी होता है जब व्यक्ति को दो जगह से चुनाव लड़ कर दोनों क्षेत्र में विदाई होता है वही दागी उम्मीदवारों ने चुनाव व्यवस्था को अपनाकर एक स्थानीय मुकदमा बना लिया है अधिकांश राजनीतिक दलों पर निर्भरता स्वीकार करने से भी गुरेज नहीं करते कुछ संस्थाएं समय-समय पर चयनित परंतु दागी प्रतिनिधियों के विरोध दर्ज मुकाबला संबंधित आंकड़े तैयार करती है उन्हीं पर प्रस्तुति करती है जो कि यह सब 10 को से होता आ रहा है ऐसे में इसे अब चुनाव व्यवस्था का आवश्यक अंग सामान आ गया ©Ek villain #जनतंत्र को सवारने का जरिया बने चुनाव #chocolateday