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Writer1
किसी भी देश को चलाने के लिए शासन प्रणाली होना बहुत जरूरी है। जैसे कि राजतंत्र, जिसमें एक राजा होता है और बाकी सब प्रजा। राजा की जान प्रजा में बसती है। वैसे ही लो होता है एक लोकतंत्र जिसमें सोचने समझने की स्वतंत्रता होती है। लोकतंत्र की परिभाषा : जनता का, जनता के लिए, जनता के द्वारा लोकतंत्र जिम्मेदारी के साथ अपने कर्तव्य का निर्वहन करना सिखाता है। लोकतंत्र में सभी स्वैच्छिक के अनुसार सरकार चुन सकते हैं। लोकतंत्र में जनता के विकास और सुविधा के लिए बनाया गया है। लोकतंत्र ने हमें अपनी बात रखने का हक दिया है हमें अपना नेता चुनने के लिए सक्षम किया है। 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू किया गया था। हमारे संविधान का मान रखना हर नागरिक का कर्तव्य है। संविधान ने हमें सब को एक समान देखने का नजरिया दिया है।हम सब नागरिक को हम सब देशवासियों का यह फर्ज बनता है कि हम अपने संविधान का मान करते हुए इसका पालन करें। भारत के 72वें गणतंत्र दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। 📍हिन्दी काव्य कोश की "साप्ताहिक गद्य प्रतियोगिता" में आप सभी रचनाकारों का स्वाग
DR. SANJU TRIPATHI
'लोकतंत्र का अर्थ है, एक ऐसी जीवन पद्धति जिसमें स्वतंत्रता, समता और बंधुता समाज-जीवन के मूल सिद्धांत होते हैं।' -बाबा साहब अम्बेडकर कृपया शेष अनुशीर्षक में पढ़ें। 👇👇👇👇👇 भारत के 72वें गणतंत्र दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं। लोकतंत्र- लोकतंत्र आम लोगों की भलाई का मनोरथ रखता है - लोकतंत्र लोगों का, लोगो
Dheeraj Singh
दोपहर तक बिक गया बाजार का हर एक झूठ और मैं एक सच लेकर शांम तक बैठा रहा 😦 दोपहर तक...😦😦☹️
Self Made Shayar
दोपहर तक बिक गया बाज़ार का हर एक झूठ और मैं एक सच लेकर शाम तक बैठा रहा | 🙏🙏🙏 ©Self Made Shayar #दोपहर तक बिक गया बाज़ार का हर एक झूठ और मैं एक सच लेकर शाम तक बैठा रहा |
I'm Resilient.
दोपहर तक बिक गया बाजार का हर एक झूठ... और मैं एक सच लेकर शाम तक बैठा रहा...!! दोपहर तक बिक गया बाजार का हर एक झूठ... और मैं एक सच लेकर शाम तक बैठा रहा...!!
Mohammad Ibraheem Sultan Mirza
दोपहर तक बिक गया बाजार का हर एक झूठ, और मैं एक सच लेकर शाम तक बैठा रहा, ... मौहम्मद इब्राहीम सुल्तान मिर्जा,, दोपहर तक बिक गया बाजार का हर एक झूठ और मैं एक सच लेकर शाम तक बैठा रहा...
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
दोपहर तक बिक गया बाज़ार का हर एक झूठ और मैं एक सच लेकर शाम तक बैठा रहा ©DEAR COMRADE (ANKUR~MISHRA) दोपहर तक बिक गया बाज़ार का हर एक झूठ और मैं एक सच लेकर शाम तक बैठा रहा #Truth
Shayar.ix
दोपहर तक बिक गया, बाजार का हर एक झूठ 'गालिब' और मैं एक सच लेकर शाम तक बैठा ही रहा । ©Shayar_nir09 #Likho दोपहर तक बिक गया, बाजार का हर एक झूठ और मैं एक सच लेकर शाम तक बैठा ही रहा