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Abeer Saifi
खतों को तार-तार कर के दिल-ए-बेकरार हो गया, क्या कहा घर का पता बताऊँ? वफ़ा-ए-इश्क में संग-सार हो गया اا संगसार- पत्थर से मार कर जान लेना #hqhindishayari #hqurdupoetry #hqdidi #hqbaba #hqbhaijan #hqdada #hqhindi #bestyqhindiquotes
Abeer Saifi
खतों को तार-तार कर के दिल-ए-बेकरार हो गया, क्या कहा घर का पता बताऊँ? वफ़ा-ए-इश्क में संग-सार हो गया اا संगसार- पत्थर से मार कर जान लेना #hqhindishayari #hqurdupoetry #hqdidi #hqbaba #hqbhaijan #hqdada #hqhindi #bestyqhindiquotes
Ashiq Momin
उसके बिना, लेकर ये चश्म ए तर मैं क्या करूँ वो ना रहा शहर में, यहाँ लेकर घर मैं क्या करूँ उसकी फुरक़त की खिज़ां ने लूटा है चमन मेरा उसी खिज़ां से जूझता लेकर समर मैं क्या करूँ भीड़ में हम हो गए, जब उसके ही हाथों संगसार उसका फेंका हुआ, चूमकर अब हजर मैं क्या करूँ उसके जाते ही ज़िन्दगी की शाम ढल गई अब अंधेरा ए तन्हाई में लेकर क़मर मैं क्या करूँ मैं उसका ही सफीर था और वो ही था मंज़िल मेरी उसका ज़ौक़ ही बाकी ना रहा, अब सफर मैं क्या करूँ लाख मनाया उसे मगर वो नहीं माना के अब लोगों को मनाने का लेकर हुनर मैं क्या करूँ ना वो बे वफ़ा था, ना बा वफ़ा कहुंगा मैं उसे बस खूब दिल सोज़ था वो हुनर मैं क्या करूँ तू ना बदला है, ना बदलेगा ऐ आशिक़ तो सुन तुझसे मिलन की आस का लेकर गोहर मैं क्या करूँ चश्म ए तर - भीगी आँख फुरक़त - जुदाई समर - फल खिज़ां - पतझड़ संगसार - पत्थर फेंकना हजर - पत्थर क़मर - च
Dr. Rahul Karmakar
अब तो राते कैसे काटेंगी कोई ये तो बताई, सूनी बाहें सूना बिस्तर सुना आसमां का चांद, सूना कर गया दिल का आसन सूना घर संगसार; किस को कहूँ मैं ए सखी शुन बिरहा सही ए ना जाईं। अब तो राते ऐसे ही काटेंगी... ©authoreye #NojotoQuote अब तो राते ऐसे ही काटेंगी... ©authoreye अब तो राते कैसे काटेंगी कोई ये तो बताई, सूनी बाहें सूना बिस्तर सुना आसमां का चांद, सूना कर गया दिल
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
बेसबब और*बेशुमार हूं मैं, गोया अपने सनम का इंतज़ार हूं मैं//१ तुझसे*हमशनास होके भी, तेरी बेरुखी का*हिज्रोजार हूं मैं//२ जिनको चाहा था,मैने शिद्दतो से, आज उनसे ही *संगसार हूं मैं//३ तुझको मुझसे ही मिली थी,शनासाई, इसी शनासाई का *इश्तिहार हूं मैं//४ शमा तो बस*इंतखाब है,उनके चश्मे नाज की, फक्त*हिज़्र ए गम का यादगार हूं मैं//५ shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #sadquotes बेसबब और*बेशुमार हूं मैं, गोया अपने सनम का इंतज़ार हूं मैं//१*अनगिनत तुझसे*हमशनास होके भी, तेरी बेरुखी का*हिज्रोजार हूं मैं//२ *
SHAYARI BOOKS
जिसकी आरजू में एक उमर निकला किसी और आँगन में वो क़मर निकला! यूँ तो उसे रहती है ख़बर जहान की बस मेरे जज्बातों से ही बेख़बर निकला! एक मुद्दत हुए प्यासा है शहर मेरा के कुछ दूर से बादल बरस कर निकला! हर बार रख आया दिल तेरे कूचे में जब भी तफरीह को मैं उधर निकला! रिवायत है दिल के बदले दिल देने की पर तूने जो दिया वो पत्थर निकला! बड़े अरमान से खोले थे लिफ़ाफ़े मैंने तवक़्क़ो फूल की थी, खंज़र निकला! वो ख़्वाब जो आते नहीं रातों में कभी उन्हें ढूंढते हुए आज फ़िर सहर निकला! पलकों के पीछे था तो बस एक बूंद था बहने क्या लगा पूरा समंदर निकला! जिस फसाने को मैंने जीस्त समझा वो तो एक लम्हे सा मुक्तसर निकला! संगसार क्या हुआ एक आशिक़ आज हस्र देखने को है सारा शहर निकला! क्या बीती होगी उस पर वही जाने रुस्वा हो महफ़िल से यूँ शजर निकला! #शायरीबुक्स #shayaribooks ©SHAYARI BOOKS जिसकी आरजू में एक उमर निकला किसी और आँगन में वो क़मर निकला! यूँ तो उसे रहती है ख़बर जहान की बस मेरे जज्बातों से ही बेख़बर निकला! एक मुद्दत हु
Imran Ilahi
👉गजल आ चल बैठकर एक आख़िरी मुलाकात कर लें जुदाई के अब अपने इकट्ठा कागजात कर लें बहुत रुख हो गए है अदालतों की दहलीज पर आ चल उम्रभर एक दूसरे से
Ashiq Momin
उसके बिना, लेकर ये चश्म ए तर मैं क्या करूँ वो ना रहा शहर में, यहाँ लेकर घर मैं क्या करूँ उसकी फुरक़त की खिज़ां ने लूटा है चमन मेरा उसी खिज़ां से जूझता लेकर समर मैं क्या करूँ भीड़ में हम हो गए, जब उसके ही हाथों संगसार उसका फेंका हुआ, चूमकर अब हजर मैं क्या करूँ उसके जाते ही ज़िन्दगी की शाम ढल गई अब अंधेरा ए तन्हाई में लेकर क़मर मैं क्या करूँ तू ना बदला है, ना बदलेगा ऐ आशिक़ तो सुन तुझसे मिलन की आस का लेकर गौहर मैं क्या करूँ चश्म ए तर - भीगी आँख फुरक़त - जुदाई समर - फल खिज़ां - पतझड़ संगसार - पत्थर फेंकना हजर - पत्थर क़मर - च