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akas vikas

हमारा काट दो 😂😂 #Comedy #akasvikas #vikasrjput

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नरेन्द्र भारत " सनातनी "

मोहम्मद की सीख ..... bakrid #Halal ये नही सुधरने वाले आओ मेरा भी गला काट दो मैने भी तो 🤣🤣🤣🤣🤣 Kishan Pal #समाज #halaal

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#bakrid #halaal

©नरेन्द्र भारत " सनातनी " मोहम्मद की सीख .....
#bakrid #halal

ये नही सुधरने वाले आओ मेरा भी गला काट दो मैने भी तो 🤣🤣🤣🤣🤣 Kishan Pal

parama rathore

अर्ज मेरी सुनो अंजनी के लाल, काट दो मेरे घोर दुखों का जाल। तुम हो मारुती-नन्दन, दुख-भंजन, करूं मैं आपका दिन और रात वंदन।

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अर्ज मेरी सुनो अंजनी के लाल,

काट दो मेरे घोर दुखों का जाल।

तुम हो मारुती-नन्दन, दुख-भंजन,

करूं मैं आपका दिन और रात वंदन।

©parama rathore अर्ज मेरी सुनो अंजनी के लाल,

काट दो मेरे घोर दुखों का जाल।

तुम हो मारुती-नन्दन, दुख-भंजन,

करूं मैं आपका दिन और रात वंदन।

writervinayazad

✍️✍️ जो आप को सजाए, उसके हाथ काट दो ! जो शख्स साथ दे, उसको ये हिसाब दो !! ✍️✍️ मतलब की है दुनिया, यहां राजा फरेब है ! जो जख्म खुद को दे, उसी #शायरी #writervinayazad

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जो आप को सजाए, उसके हाथ काट दो !
जो शख्स साथ दे, उसको ये हिसाब दो !!
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मतलब की है दुनिया, यहां राजा फरेब है !
जो जख्म खुद को दे, उसी को आफताब दो !!

©writervinayazad ✍️✍️
जो आप को सजाए, उसके हाथ काट दो !
जो शख्स साथ दे, उसको ये हिसाब दो !!
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मतलब की है दुनिया, यहां राजा फरेब है !
जो जख्म खुद को दे, उसी

Author Munesh sharma 'Nirjhara'

'लता' हूँ मैं काट दो तुम स्नेह जड़ें मेरी प्रेम-आच्छादित फ़िर भी रहूँगी बढूँगी कर स्पर्श तुम्हारा नई जड़ें में जमा ही लूँगी छायी रहूँगी प्रेम-घ #प्रेम_रचना #mनिर्झरा #योरकोट_हिंदी #योरकोटबेस्टकॉट्स #प्रेमलता

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'लता' हूँ मैं
काट दो तुम स्नेह जड़ें मेरी
प्रेम-आच्छादित फ़िर भी रहूँगी
बढूँगी कर स्पर्श तुम्हारा
नई जड़ें में जमा ही लूँगी
छायी रहूँगी प्रेम-घन सी
आलिंगन में समेटे रहूँगी
भूल जाओगे अपना पृथक अस्तित्व
मैं यूँ तुम्हें नेह-रस सिंचित करूँगी..!
🌹 'लता' हूँ मैं
काट दो तुम स्नेह जड़ें मेरी
प्रेम-आच्छादित फ़िर भी रहूँगी
बढूँगी कर स्पर्श तुम्हारा
नई जड़ें में जमा ही लूँगी
छायी रहूँगी प्रेम-घ

अंदाज़ ए बयाँ...

आओ उठाके लाठीयां, फोड़ दो सरों को, नफ़रत की मशालों से जलादो घरों को। लड़ो कुछ इस तरह इंसानियत शर्मसार हो, बहुत उड़ा आज़ाद पंछी काट दो इसके परों क

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आओ उठाके लाठीयां, फोड़ दो सरों को,
नफ़रत की मशालों से जलादो घरों को।
लड़ो कुछ इस तरह इंसानियत शर्मसार हो,
बहुत उड़ा आज़ाद पंछी काट दो इसके परों को।

आनेवाली पीढ़ी को कुछ ऐसे धर्म का ज्ञान दो,
हाथ में तलवारें हो, भूलें वो ईमान को,
एकता ना पानी माँगे इतने टुकड़े कर डालो,
देशप्रेम को दफ़न करो और बाँट दो हिंदुस्तान को।

रविकुमार आओ उठाके लाठीयां, फोड़ दो सरों को,
नफ़रत की मशालों से जलादो घरों को।
लड़ो कुछ इस तरह इंसानियत शर्मसार हो,
बहुत उड़ा आज़ाद पंछी काट दो इसके परों क
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