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vikas sharma विचित्र

prestige कॉलेज ,ग्वालियर में सालाना महोत्सव " स्पंदन" में nojoto द्वारा आयोजित किया। देश भर से आये शायरों में जब विजेता के तौर पर हमारा नाम #शुक्रिया_नोजोटो🙏❤️

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 prestige कॉलेज ,ग्वालियर में सालाना महोत्सव " स्पंदन" में nojoto द्वारा आयोजित किया। देश भर से आये शायरों में जब विजेता के तौर पर हमारा नाम

Asheesh indian

नहीं मिलता हूं, किसी से आजकल मैं, खुद में ही खोया हूं कल तक मैं, भी बहुत हंसता था आज जोरों से रोया हूं नहीं मिलता हूं........ जब उठने लगा जन #Quotes #Joker

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नहीं मिलता हूं, किसी से
आजकल मैं, खुद में ही खोया हूं
कल तक मैं, भी बहुत हंसता था
आज जोरों से रोया हूं
नहीं मिलता हूं........
जब उठने लगा जनाजा
मेरे सब्र का
जिस पर सबसे ज्यादा भरोसा था
उसी ने सबसे पहले मेरे जनाजे पर कफ़न चढ़ाया था
जब तक जरूरत थी
हर किसी ने मुझको अपनाया था
जब हुई जरूरत खत्म
हर किसी ने मुझको दफनाया था
नहीं मिलता हूं...... 
कैसे भूल गया मैं, जमाने की हकीकत
कैसे मैंने किसी और को, गले लगाया था
छोड़ दिया मेरा साथ सबने
आखिर ये मेरा ही दिल था, जिसने मुझे फिर से अपनाया था

©Asheesh indian नहीं मिलता हूं, किसी से
आजकल मैं, खुद में ही खोया हूं
कल तक मैं, भी बहुत हंसता था
आज जोरों से रोया हूं
नहीं मिलता हूं........
जब उठने लगा जन

drsharmaofficial

सीनें में जुनूं आंखों में देशभक्ति की चमक थी दुश्मन की सांसें थम जाए आवाज में वो धमक थी अपने खून से लिखी भारत की नई कहानी थीं #yqbaba #Collab #yqdidi #yqdada #yqhindi #yqquotes #भगतसिंह #yqthoughts

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सीनें में जुनूं
आंखों में देशभक्ति की चमक थी

दुश्मन की सांसें थम जाए
आवाज में वो धमक थी

अपने खून से लिखी 
भारत की नई कहानी थीं

हँस कर कुर्बान हुई 
वो जवानी थी

(अनुशीर्षक में पढ़े) सीनें में जुनूं
आंखों में देशभक्ति की चमक थी

दुश्मन की सांसें थम जाए
आवाज में वो धमक थी

अपने खून से लिखी 
भारत की नई कहानी थीं

jagruti vagh

**शहीद शिरीष कुमार** ---------------------------- जिस उम्र में शब़ाब भटक जाते हैं गलत राह पर उस उम्र में शहीद ने ली थी चार गोलियां अपने फौल #yqdidi #कोराकाग़ज़ #होलीकेहमजोली #yqaestheticthoughts #होली2021 #collabwithकोराकाग़ज़ #kkhkh2021 #विशेषप्रतियोगिता

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**शहीद शिरीष कुमार**

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जिस उम्र में शब़ाब भटक जाते हैं गलत राह पर
उस उम्र में शहीद ने ली थी चार गोलियां अपने फौलादी सीने पर

ये शहीद है शिरीष कुमार ,जो अपने माँ की शिक्षा से प्रेरित हो,निकल पडे थे आजादी की राह पर
बस इतनी थी ख्वाहिश उनकी, मिले आजादी भारत वासियों को और मिले खुशियाँ भर भर कर

16 साल जैसी कम उम्र में उन्होंने देशभक्ति का जज्बा अपनाया था
"हिन्द छोड़ो" जैसे बडे़ आंदोलन में निकालकर रैली उसका इमामत संभाला था

दिखाकर अपनी भारतमाता की रक्षा का जज्बा गुस्से से लाल अंग्रेजों को कर डाला था
अपनी दिल-नवाज़ी मिट्टी पे अपना जिस्म छोड़ते समय "वन्दे मातरम्" यही एक ही नारा था

मरते वक़्त भी तिरंगा उन्होंने लहराया था
क्योंकि भारतवर्ष उन्हें अपनी जान से प्यारा था
 **शहीद शिरीष कुमार**

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जिस उम्र में शब़ाब भटक जाते हैं गलत राह पर
उस उम्र में शहीद ने ली थी चार गोलियां अपने फौल

Sunil itawadiya

रंग से गोरी न थी , लेकिन सुन्दर थी , बहुत ऊंची न थी , लेकिन मेरे लिए योग्य थी #Jarurat #YourQuoteAndMine #yqhindi #gjb #fillings_life #flbgppt

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रंग से गोरी न थी ,

लेकिन सुन्दर थी ,

बहुत ऊंची न थी ,

लेकिन मेरे लिए योग्य थी

प्रेम देने वाली न सही लेकिन

मेरे कदमो से कदम मिलती थी।

मंदिर आने से इनकार करती थी,

लेकिन बाहर मेरा इंतज़ार करती थी

कही भी जाओ मेरे साथ चल देती थी

जहां रूकु मेरे लिए रूक जाती थी वो

कोई मुझे प्यार करे न करे पर वो मुझे बहुत प्यार करती थी

बड़ी मेहनत से पाया था उसे

बहुत चक्कर लगाया था उसे पाने के लिए

हजारो की भीङ से ढूढा था अपने लिऐ

घरवालो की नाराजगी झेलकर अपनाया था

वो जो हमेशा मेरे साथ रही

पर आज मुझे छोड़कर चली गयी


,

,


मेरी चप्पल थी ….

साला कोई चुरा कर ले गया😄😄
 रंग से गोरी न थी ,

लेकिन सुन्दर थी ,

बहुत ऊंची न थी ,

लेकिन मेरे लिए योग्य थी

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मिट्टी के टुकडो की खातिर , तुम कितना लहू बहाओगे , मानव हो तुम मानव जग में , मानव कब कहलाओगे जिसें मानते धरती माता , अब उसके लाल मिटाओगे म #कविता #WritersSpecial

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मिट्टी के टुकडो की खातिर , तुम कितना लहू बहाओगे ,
मानव हो तुम मानव जग में  , मानव कब कहलाओगे 
जिसें मानते धरती माता ,  अब उसके लाल मिटाओगे
मिट्टी के टुकड़ो की खातिर....१

इतनी दौलत लेकर भी तुम , फिर तुम कितना  चल पाओगे 
राह नहीं है इतनी सीधी , तुम कदम कदम गश खाओगे  
अपने प्राणों की फिर रक्षा , बोलो कैसे कर पाओगे 
मिट्टी के टुकड़ों की खातिर ,......२

जिसे मानते हो तुम लोहा , कभी जरा उससे भी पूछो 
कितने घर शमशान हुए है , बाहर बैठी माँ से पूछो 
पूछो इन शस्त्रों से मुडकर , क्या फिर जीवन दे पाओगे
मिट्टी के टुकड़ों की खातिर .....३

जिसका जो भी धर्म यहां था , वो सभी यहां अपनाया था 
अपने अपने कर्म लिखाकर , वह भी प्रभु से आया था
अब करके संहार यहाँ तुम ,तुम क्या इनको दिखलाओगे 
मिट्टी के टुकडों की खातिर ......४

मिट्टी के टुकड़ों की खातिर , तुम कितना लहू बहाओगे .....

                          महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मिट्टी के टुकडो की खातिर , तुम कितना लहू बहाओगे ,
मानव हो तुम मानव जग में  , मानव कब कहलाओगे 
जिसें मानते धरती माता ,  अब उसके लाल मिटाओगे
म
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