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Mahadev Son
वो जीना भी क्या कोई जीना है जीवन जो किसी काम न आ सके जग में आया है तो मौत भी निश्चित होगी वतन हिफाज़त मौत हो गर अफ़सोस करे जमाना राजकीय सम्मान नम ऑंखों देश की शोक संगीत बन्दूक सलामी सैनिक अलावा अंतिम विदाई कहाँ ©Mahadev Son मौत हो तो सैनिक जैसी....
Pushkar Bhardwaj
थे माने छोड़ो परणीया माने घणो दूर जाणो है मैं किकर थासु प्रेम करूँ माने माटी रो मोल चूकाणो है # भारद्वाज पुष्कर सैनिक की अभिलाषा...
Anuj
मां भारती के त्राण में रखते हैं ने निज प्राण प्राण का ना ध्यान रखा आठों याम करते हैं। बेटा जाता है गर दूर हम करते हैं फोटोशूट पिता को सहारा मिले नही ऐसा कोई काम करते है। बता सच्चा देशभक्त लूटता है देश हर वक्त ऐसे नेता को प्रणाम हर शाम करते हैं। जिसके बलिदान से है भारत का सम्मान उस वीरता का आभार प्रमाण मांग हम करते हैं। ©Anuj "सैनिक की गाथा "
ADARSH SAHU
सैनिक की इच्छा अपनी विजय पर्व की तुम खुशियां खूब मनाते हो अगणित रक्त लगे हैं इसमें इसको क्यो भूल जाते हो कितनी मांओं ने अपने है किये कोख है खाली मिट गई कितनी सुहागिनों के मस्तक की लाली कितनी बहनों ने अपनी राखी का बलिदान दिया है न जाने कितने बच्चों ने अपने पिता का त्याग किया है तुम अपनी मस्ती में इतनी आज क्यों भूल गए हो पीड़ा इनकी सुनो ए लोगो तुम क्यों भूल गए हो जिस स्वतंत्र भारत का सपना देखा इन वीरों ने जिन का कर्ज़ चढ़ा है भारत माता के सीने में सत्ता से नहीं मांगा था कुछ फिर भी झूल गए थे रहे सुरक्षित राष्ट्र इसलिए मृत्यु को चूम गए थे बेचारे बच्चे भूखे सोते हैं उनकी मांए भी रोती है तुम छप्पन भोग हो खाते उनके नसीब में न रोटी है यदि इनका विश्वास डिगा तो फिर तुम्हें आह लगेगी और फिर कोई मां अपना बेटा ना बलिदान करेगी ऐ सत्ताधीशों सुन लो उनकी आत्मा क्या कहती है नहीं चाहिए पदक तुम्हारे रखलो यह सब तो रद्दी है इस प्यारे भारत का चमन तुम गुलजार बनाए रखना अपने दिलों में हमारे लिए भी थोड़ा प्यार बनाए रखना रहे सुरक्षित बेटियां बेटो उनका अधिकार बनाए रखना अमन चैन और खुशी का एक सुंदर परिवार बनाए रखना न पड़े कभी दुश्मन की नजर इसकी लाज बचाए रखना तुम भी देश पर मर मिटने का जज्बात बनाए रखना सैनिक की इच्छा....
Mahesh Kopa
सैनिक की चिट्ठी आज नही तो कल आऊँगा, चिट्ठी में मैं लिखता हूँ।। वतन पे मर मिटने की, बात यही मै करता हूँ, घर वापस लौटने की, बात पत्र में लिखता हूँ।। सीना ताने डटे रऊँगा, सीमा पर मैं कहता हूँ। दुश्मन को कधेड़ आऊँगा, बात पत्र में लिखता हूँ।। रोज सुबह माँ की तश्वीर को, अपने माथे से लगाता हूँ।। घर आकर औषधालय जाने की, बात पत्र में लिखता हूँ।। चिंता ना कर मेरी माता, वापस एक दिन आऊंगा। स्वयं ना आ पाया तो, साथी छोड़ जाएंगे।। देश की सेवा में मैं अपने, प्राण न्योछावर कर दूंगा।। चलकर ना आया द्वारे तो, लिफट तिरंगे आऊँगा।। आज नही तो कल आऊंगा, चिट्ठी में मैं लिखता हूँ।। ✍️महेश कोपा ©Mahesh Kopa सैनिक की चिट्ठी
Mahesh Kopa
देश की सीमा पर तैनात, सैनिक की चिट्ठी आज नही तो कल आऊँगा, चिट्ठी में मैं लिखता हूँ।। वतन पे मर मिटने की, बात यही मै करता हूँ, घर वापस लौटने की, बात पत्र में लिखता हूँ।। सीना ताने डटे रऊँगा, सीमा पर मैं कहता हूँ। दुश्मन को कधेड़ आऊँगा, बात पत्र में लिखता हूँ। रोज सुबह माँ की तश्वीर को, अपने माथे से लगाता हूँ। घर आकर औषधालय जाने की, बात पत्र में लिखता हूँ। चिंता ना कर मेरी माता, वापस एक दिन आऊंगा। स्वयं ना आ पाया तो, साथी छोड़ जाएंगे। देश की सेवा में मैं अपने, प्राण न्योछावर कर दूंगा। चलकर ना आया द्वारे तो, लिफट तिरंगे आऊँगा। आज नही तो कल आऊंगा, चिट्ठी में मैं लिखता हूँ।। ©Mahesh Kopa सैनिक की चिट्ठी #kargilvijaydiwas
Kajal Singh
सुनो प्रियवर, मेरे मन की व्यथा! ये गर्म हवाएं, ये चिलकती धूप, पल पल मुझे डराएं है। कैसी है ये विरह की कथा! मुझको समझ ना आए है। मेहंदी की लाली भी अभी तो इन हाथों से गई ना, कैसे रहूंगी तुम बीन प्रियतम, यह बात मुझको समझ में आए ना। यह बात मुझको समझ में आए ना।। रख बांध ढांढस, सरहद सीमा को चल पड़े। देकर हिम्मत अपनों को , मौत की राह चल पड़े। परिवार से दूर निकल पड़े।। काजल,बिंदिया,चूड़ी, झुमके! नीत सोलह श्रृंगार करूं। निज बैठ अहादे पर, अपने प्रियतम की हर घड़ी इंतेजार करू। दीवाली हो या होली , प्रियतम बीन कैसे मुस्कान भरू। हर वक्त दीप जलाकर मंगल कामना का जाप करू। दिल में आशा और उम्मीद की गठान भरू, हर वर्ष आपकी छवि निहारकर तीज,करवाचौथ का उपवास करू।। #सैनिक की पत्नी की विरह वेदना
Kajal Singh
सुनो प्रियवर, मेरे मन की व्यथा! ये गर्म हवाएं, ये चिलकती धूप, पल पल मुझे डराएं है। कैसी है ये विरह की कथा! मुझको समझ ना आए है। मेहंदी की लाली भी अभी तो इन हाथों से गई ना, कैसे रहूंगी तुम बीन प्रियतम, यह बात मुझको समझ में आए ना। यह बात मुझको समझ में आए ना।। रख बांध ढांढस, सरहद सीमा को चल पड़े। देकर हिम्मत अपनों को , मौत की राह चल पड़े। परिवार से दूर निकल पड़े।। काजल,बिंदिया,चूड़ी, झुमके! नीत सोलह श्रृंगार करूं। निज बैठ अहादे पर, अपने प्रियतम की हर घड़ी इंतेजार करू। दीवाली हो या होली , प्रियतम बीन कैसे मुस्कान भरू। हर वक्त दीप जलाकर मंगल कामना का जाप करू। दिल में आशा और उम्मीद की गठान भरू, हर वर्ष आपकी छवि निहारकर तीज,करवाचौथ का उपवास करू।। #सैनिक की पत्नी की विरह वेदना
Shiv Narayan Saxena
वो सीमा, हम घर पर उन्हें याद करते हैं. रक्षकों की ज़िन्दगी की दुआ करते हैं. महसूस कर भाई में उनकी मौज़ूदगी राखी उनकी भाई को ही बांध देते हैं. ©Shiv Narayan Saxena एक सैनिक की राखी. #RakshaBandhan2021