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deepti sharma
Poonam Suyal
परिंदा आशियाना चाहता है (अनुशीर्षक में पढ़ें) परिंदा आशियाना चाहता है सफर से लौट जाना चाहता है परिंदा आशियाना चाहता है थक गया है वो होकर परेशां अब वो थोड़ा सुकून चाहता है
Er.Shivampandit
#प्रिया राईटर है, शांत समंदर है सोलह कलाएं छूपी हुई जिसके अन्दर है सुन्दर प्रभात सी पिघलती बर्फ से गिरता हुआ प्रपात सी
Rakesh frnds4ever
रात में सोने के समय ख्वाबों, यादों की तितलियां मेरे सिरहाने आ बैठती हैं पंख फड़फड़ाती हैं, उड़ना चाहती हैं गीली ,मुलायम और सुलगते हुए अहसास वाली ये तितलियां जाने क्यों आंखे गीली और मन को भिगो जाती हैं,,, कभी जो छूने की कोशिश करो , तो पंख फड़फड़ा, झटपटाती हुई उड़ जाती हैं, वक्त के मानिंद हाथ नहीं आने वाली ये तितलियां यादें पीछे छोड़ते हुए खुद याद बन जाती हैं,, हर रात नींद की आगोस में, जीवन के टूटते बिखरते सपनों, खब्बों, यादों में विचरने वाली इन मायूस तितलियों को अपने सिरहाने खोजता रहता हूं मैं,,,,.... ©Rakesh frnds4ever #Titliyaan रात में सोने के समय ख्वाबों, #यादों की #तितलियां मेरे सिरहाने आ बैठती हैं #पंख फड़फड़ाती हैं, उड़ना चाहती हैं गीली ,मुलायम और
Shree
मेरी सुबह का खिला, इतराता, झूमता, खुशनुमा ख्याल-सा, सुसज्जित संज्ञान, ओ! आदित्य प्रकाश मेरे.. हां, तुम हो। बर्फ़-सी शीतल ब्यार की व्याकुलता, निषिद्ध प्रेम का अट्टहास लिए स्वतंत्र विचरन की दिशा, द्वार और वेग.. तुम हो। उद्यानों में लदी, झूमती पुष्पलता को थपकियां देते, चूमते बौराये भौंरे के हृदयावरण में संचित मधु अंश.. तुम हो। ओ सुनो ना, किंचित राग अह्लादित छेड़ती सागर तट पर टूटी सीपीयों के अनुनय अनुराग गाती लहरें.. तुम हो। मुंडेर पर चहचहाते पक्षियों के झुंड की सुंदर क्रीड़ाओ, कलाओं में अव्वल स्वच्छंद अविस्मरणीय उड़ान.. तुम हो। मेरी सुबह का खिला, इतराता, झूमता, खुशनुमा ख्याल-सा, सुसज्जित संज्ञान, ओ! आदित्य प्रकाश मेरे.. हां, तुम हो। बर्फ़-सी शीतल ब्यार की व्याकुल
Poonam Suyal
परिंदे का आसमान परिंदे का आसमान, जहाँ विचरता है वो स्वछंद होकर होता है वो कितना बेपरवाह, उड़ता है दिल में सपने संजोकर वो आसमान है उसका घर, कुछ नहीं भाता उसे सिवाय अपनी आज़ादी के वही पर है उसकी जन्नत, खुश होता है वो वहाँ रह के दूसरों के भय के साए में बहुत जी लिया, अब वो निडर हो विचरना चाहता है मायूसियों को पीछे छोड़कर, वो खुशियों को गले लगाना चाहता है अब किसी के रोके से वो रुकेगा नहीं, मंज़िल तक अपनी वो पहुँच के रहेगा हर बाधा को वो करेगा पार, अपना सपना पूरा करने के ख़ातिर वो कुछ भी करेगा अभी तो उड़ना शुरू किया है उसने, पूरा विस्तार है सामने उसके पंख फैला लिए हैं अब उसने, पूरे करेगा वो अपने सभी अरमान दिल के ©Poonam Suyal परिंदे का आसमान परिंदे का आसमान, जहाँ विचरता है वो स्वछंद होकर होता है वो कितना बेपरवाह, उड़ता है दिल में सपने संजोकर वो आसमान है उसका
Rakesh frnds4ever
Anant
Alok Vishwakarma "आर्ष"
एक राही था चहलता पूर्ण चंद्रामयी रात्रि के जवल से भीनती सी सर्द बाहें पकड़ वायु के थपेड़ों की... चीरता पथ कालिमा को तृण समानादित्य की लिन बूँदनी किरणों से जो रम सांतभावी ग्रन्थियों में दहक बीजित थी... "एक राही" एक अनोखी रचना जिसके मूल का पता लगाने की ज़रूरत है। पंक्तियों के इस समूह की प्रेरणा मुझे एक साथ 2 स्त्रोतों से प्राप्त हुई। आज दोप
N S Yadav GoldMine
जब इंद्र पुत्र जयंत ने माता सीता को चोंच मारी पढ़िए दिलचस्प कथा !! 🏯🏯{Bolo Ji Radhey Radhey} इंद्र पुत्र जयंत :- 💡 यह उस समय की बात है जब भगवान श्रीराम को 14 वर्षों का वनवास मिला हुआ था। उस समय वे अपनी पत्नी सीता व भाई लक्ष्मण के साथ चित्रकूट में रह रहे थे। एक दिन भगवान श्रीराम माता सीता के साथ अपनी कुटिया के बाहर उनकी गोद में सर रखकर लेटे थे। तब इंद्र पुत्र जयंत को एक शरारत सूझी व उसने कौवे का रूप धारण कर लिया। वह कौवा बनकर उनकी कुटिया के पास आया व विचरने लगा। आज हम उसी घटना के बारे में जानेंगे। माता सीता को मारी चोंच :- 💡 जयंत की उद्दडंता तब हुई जब उसने माता सीता के पाँव में चोंच मारी। माता सीता के द्वारा उसे बार-बार हटाने का प्रयास किया गया लेकिन उसने चोंच मारनी जारी रखी। इसके कारण माता सीता के पैर से रक्त बहने लगा। जब भगवान राम ने माता सीता को इस तरह परेशान होते देखा तो उन्होंने इसका कारण पूछा। माता सीता ने उन्हें अपना पैर दिखाया व कौवें के द्वारा परेशान करना बताया। भगवान राम ने चलाया ब्रह्मास्त्र :- 💡 भगवान राम कौवे की इस हरकत से अत्यंत क्रोधित हो गए। चूँकि भगवान राम अत्यंत धैर्यवान व विनम्र स्वभाव के व्यक्तित्व वाले थे किंतु माता सीता को पहुंचे आघात के कारण उन्होंने अपना संयम खो दिया। उन्होंने उसी समय अपना ब्रह्मास्त्र निकाला व उस कौवें पर चला दिया। जयंत भागा तीनों लोकों में :- 💡 भगवान श्रीराम के द्वारा ब्रह्मास्त्र का प्रहार करने पर इंद्र पुत्र जयंत वहां से भाग गया लेकिन ब्रह्मास्त्र ने उसका पीछा नही छोड़ा। वह अपने प्राण बचाकर तीनों लोकों में दौड़ा किंतु कोई भी उसे नही बचा सका। अपने पिता के देव लोक में भी किसी के अंदर उसे बचाने का साहस नही था। तब नारद मुनि ने उससे कहा कि उसे केवल प्रभु श्रीराम ही बचा सकते है। जयंत ने मांगी श्रीराम से क्षमा :- 💡 तब जयंत भागता हुआ वापस चित्रकूट की उसी कुटिया में आया व भगवान श्रीराम के चरणों में गिर पड़ा। उसने अपने अपराध के लिए भगवान श्रीराम से क्षमा मांगी। तब भगवान राम ने उसे ब्रह्मास्त्र को अपना कोई अंग देने को कहा। तब जयंत के कहने पर प्रभु श्रीराम ने उनकी दायी आँख फोड़ दी व उसे क्षमा कर दिया। ©N S Yadav GoldMine #snowfall जब इंद्र पुत्र जयंत ने माता सीता को चोंच मारी पढ़िए दिलचस्प कथा !! 🏯🏯{Bolo Ji Radhey Radhey} इंद्र पुत्र जयंत :- 💡 यह उस समय की बा