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ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)

#maharanapratap हल्दीघाटी #समाज

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Prabhash Chandra jha

राजपूतों के लिए खेल तमाशा था 
बरछी ढाल कृपालो का ,
तलवार उठी मुगल कटे जैसे जोहर जलप्रपातो का


शंखनाद हुआ  राजपुती खेमे में
हर हर महादेव गूंज उठा हल्दी घाटी की भूमि में
 
आया मान अभिमान लिए ,हाथी पर  तीर कमान लिए
मुगलों की अरी सेना लिए कुल कलंक दाग का गहना लिए
मान का मर्दन करने सिंह गरजा हल्दी घाटी में
सर कटे इधर , धर पड़े उधर कुछ मुंड बहे नलों में

चेतक पर सवार महाराणा है मुगलों का मृत्यु संदेश लिए
वक्षस्तल विशाल नेत्रों में आग  , दोनो हाथों में भाला लिए
अल्लाह खेर अल्लाह खेर चीख पुकार शत्रुदल में
काल भैरव आन गयो , हल्दीघाटी के रण में

चेतक तो चेतक ही था शत्रु पर ऐसे प्रहार किया 
कुछ को कुचला कुछ को मसला जैसे सिंह ने शिकार किया

जय महाराणा जय महाराणा जय हो जय हो जय हो
क्षत्रिय दीपक की जय हो एकलिंग की जय हो

©Prabhash Chandra jha #हल्दीघाटी रण
#राजपूत

(विद्रोही जी).!!

@हल्दीघाटी का युद्ध 'चेतक' #Mythology

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निर्बल बकरों से बाघ लड़े,भिड़ गये सिंह मृग-छौनों से
घोड़े गिर पड़े गिरे हाथी,पैदल बिछ गये बिछौनों से
हाथी से हाथी जूझ पड़े ,भिड़ गये सवार सवारों से
घोड़ों पर घोड़े टूट पड़े,तलवार लड़ी तलवारों से
हय-रूण्ड गिरे¸गज-मुण्ड गिरे,कट-कट अवनी पर शुण्ड गिरे
लड़ते-लड़ते अरि झुण्ड गिरे,भू पर हय विकल बितुण्ड गिरे
क्षण महाप्रलय की बिजली सी,तलवार हाथ की तड़प–तड़प
हय–गज–रथ–पैदल भगा भगा,लेती थी बैरी वीर हड़प
क्षण पेट फट गया घोड़े का,हो गया पतन कर कोड़े का
भू पर सातंक सवार गिरा,क्षण पता न था हय–जोड़े का
चिंग्घाड़ भगा भय से हाथी,लेकर अंकुश पिलवान गिरा
झटका लग गया,फटी झालर,हौदा गिर गया¸निशान गिरा
कोई नत–मुख बेजान गिरा,करवट कोई उत्तान गिरा
रण–बीच अमित भीषणता से,लड़ते–लड़ते बलवान गिरा
मेवाड़–केसरी देख रहा,केवल रण का न तमाशा था
वह दौड़–दौड़ करता था रण,वह मान–रक्त का प्यासा था
चढ़कर चेतक पर घूम–घूम,करता सेना–रखवाली था
ले महा मृत्यु को साथ–साथ,मानो प्रत्यक्ष कपाली था
रण–बीच चौकड़ी भर–भरकर,चेतक बन गया निराला था
राणा प्रताप के घोड़े से,पड़ गया हवा को पाला था
गिरता न कभी चेतक–तन पर,राणा प्रताप का कोड़ा था
वह दोड़ रहा अरि–मस्तक पर,या आसमान पर घोड़ा था
जो तनिक हवा से बाग हिली,लेकर सवार उड़ जाता था
राणा की पुतली फिरी नहीं,तब तक चेतक मुड़ जाता था
सेना–नायक राणा के भी,रण देख–देखकर चाह भरे
मेवाड़–सिपाही लड़ते थे,दूने–तिगुने उत्साह भरे
क्षण मार दिया कर कोड़े से,रण किया उतर कर घोड़े से।
राणा रण–कौशल दिखा दिया,चढ़ गया उतर कर घोड़े से
क्षण भीषण हलचल मचा–मचा,राणा–कर की तलवार बढ़ी
था शोर रक्त पीने को यह,रण–चण्डी जीभ पसार बढ़ी
वह हाथी–दल पर टूट पड़ा,मानो उस पर पवि छूट पड़ा
कट गई वेग से भू ऐसा,शोणित का नाला फूट पड़ा
ऐसा रण राणा करता था,पर उसको था संतोष नहीं
क्षण–क्षण आगे बढ़ता था वह,पर कम होता था रोष नहीं
कहता था लड़ता मान कहां,मैं कर लूं रक्त–स्नान कहां
जिस पर तय विजय हमारी है,वह मुगलों का अभिमान कहां
भाला कहता था मान कहां¸,घोड़ा कहता था मान कहां?
राणा की लोहित आंखों से,रव निकल रहा था मान कहां
,,,श्याम नारायण पाण्डेय

©ब्राह्मणवंशी जीतू मिश्रा (विद्रोही जी) @हल्दीघाटी का युद्ध 'चेतक'

yogesh kansara

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Jain Saroj

#महाराणा प्रताप हल्दीघाटी में समर लड्यो #पौराणिककथा

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PRAHLAD PALIWAL

माई ऐड़ा पूत जण जेड़ा राणा प्रताप...!
अकबर सुतौ ओज़कै जाण सिराणै सांप..!!

©PRAHLAD PALIWAL #MaharanPratapJayanti
#jayMewar #jayranapratapki #rajsthan #chittore #हल्दीघाटी #मेवाड़

Mahendar singh uthad

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river_of_thoughts

Life@shadow कविताई कविता कवितांश

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Life is too short.. चल पड़ूं यूं ही
या दिल-वो-कदम रहूं थाम 
कि होगी बहुत जल्दबाजी अभी
या दम-ए-बाद-ए-सबा 
है बाक़ी अब भी ... ?

साया-ए-जिस्म ही जानता है
साया-ए-जिस्म को ही है खबर
जेहन-वो-जिगर में मेरे
बसा तू किस कदर।
@manas_pratyay #Life@shadow #कविताई #कविता #कवितांश
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