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arun awasthi
आज़ादी के लिए देश ने कितने शीश कटाए हैं। आज़ादी के लिए वतन ने कितने प्राण गंवाए हैं। कितनी मां हैं बांझ हुई, कितनों ने साैहर खोए हैं। याद करो अब, भारत मां के कितने बच्चे सोए हैं।।। आज़ादी के लिए
CK JOHNY
बहुत हो चुका बर्बादी का रोना आज गीत आज़ादी के गायेंगे। बेरंग हो चुकी इस ज़िंदगी में आज हम तिरंगा इक रंग जायेंगे। कुर्बानी का रंग कुछ रंग अमन का हरा भरा रंग भर देंगे अपने चमन का। हर तरफ खुशियों के फूल खिल जायेंगे। बहुत हो चुका बर्बादी का रोना आज गीत आज़ादी के गायेंगे। गरीबों कुचलों के आँसू पोंचे हाथ थाम उनका कुछ सोचें। हर हाथ को काम दें पैरों पर उन्हें खड़ा करें। अपने हिंदुस्तानी होने का हक अदा करें। देखो कैसे फिर सबके दिल मिल जायेंगे। बहुत हो चुका बर्बादी का रोना आज गीत आज़ादी के गायेंगे। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ 15.08.2020 आज़ादी के गीत
Manju kushwaha
#AzaadKalakaar आजादी के दीवाने ************************************ निकल पड़े थे शीश कटाने, आज़ादी के दीवाने, मौत से भी जो डरते न थे, वो थे ऐसे परवाने l सिसक रहीं थीं भारत माता, गोरों की जंजीरों में, मुक्त करा के फर्ज निभाया,अपने अमर शहीदों ने l जिसने अपनी माँ से पहले, भारत माता को पूजा, उनके जैसा बलिदानी फिर, हुआ नहीं कोई दूजा l रोम रोम में जिसके बहती,थी देश भक्ति की धारा , हँसते-हँसते फंदे पर, झूल गया वो इक तारा l जिसने अपना लहू बहाकर ,शत्रु संग खेली होली, ऐसे वीर देश के अपने ,झेली सीने पर गोली l वतन परस्ती क्या होती है, हमको ये बतलाया , देश के लिए मर मिटने का, हुनर हमें भी सिखलाया l रहे तिरंगा ऊँचा हरदम, गीत यही बस गाया, आज़ादी के दीवानों को, कोई भी समझ न पाया l ************************************* मंजू कुशवाहा नोएडा उत्तरप्रदेश ©Manju kushwaha आज़ादी के दीवाने #AzaadKalakaar
Satish Mapatpuri
अगर रंग - बिरंगे ये नारे न होते। तो फिर हम भी इतने बेचारे न होते। बातों के मरहम से भर जाते शायद, अगर ज़ख्म दिल के करारे न होते। है किसकी हिम्मत जो ले हमसे पंगा, अगर हम जो आदत बिगारे न होते। यहाँ आबरू की ना होती तिजारत, अगर आकाओं के सहारे न होते। कथनी और करनी ज़ुदा गर न होती, तो फिर वोट के लोग मारे न होते। मिट जाती कब की ये रस्मोरिवाज़ें, अगर पूर्वजों के उतारे न होते। ---- सतीश मापतपुरी ©Satish Mapatpuri नारे #MereKhayaal
Shashank Rastogi
स्वतंत्रता दिवस लाया है दिल में एक नई उमंग आज फिर एक बार उड़ाई है आजादी की पतंग आज़ादी #आज़ादी #पतंग #उमंग
Radhe
हर आज़ादी अच्छी नहीं होती दोस्त, डोर टूटते ही पतंग ज़मीन पर आ *girti* हैं। #आज़ादी
ফিনিক্স
आज़ादी आजादी के नारा उठानेवाला हर कोई देशद्रोही नहीं होता देश भक्ति के नाम से बेकसूर पर गोली चलाने वाला देशप्रेमी नहीं होता। हिन्दू , मुस्लिम ,सीख या ईसाई इस मिट्टी में हक सबका है यही जन्मा हूं ,यही मिटना है ये मुल्क तेरे बाप का थोड़ी ना है। ---- फिनिक्स #आज़ादी