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Kuna Poetry
मैं दुनियाँ के प्रत्येक नारियों का सम्मान जन्म देने वाली माँ, कलाइ पर राखी बांधने वाली बहन , लोरियां सुनने वाली दादी-नानी-माँ , साथ निभाने वाली अर्धांगिनी , हीरो बताने वाली बेटी जैसे करने का वचन देता हूँ । #अंतरराष्ट्रीय_महिला_दिवस_की_शुभकामनाएं आप भी करो कि...... जड़ है जिंदगी की नारी अपने खून से सींचकर बनाई है जिंदगी ये तुम्हारी खुद खाई रूखी सुखी तेरे लिए बनाती खुआ-मलाई खुद दर्दों की पीड़ाएँ सहती पर तेरे लिए हर पल खुशियों की दुआएं करती वेदों ने जिसे देवी कहा बताया पूज्यनीय जिसे है ईश्वर के रूप में तेरे साथ हरपल गर्भ में रख खून से सींचने से कलाई पर राखी बांधने तक ही नही जिंदगी के हर मोड़ पर साथ निभाने को अर्धांगिनी बन तेरे हर किसी मे तुझसा हीरो देखने वाली तेरी लाडली के रूप में.......... हो रामायण या हो महाभारत ना होता कि नारियों की शक्ति को जो नजरअंदाज न किया होता...... अहिंसा की हो या हो रणक्षेत्र कभी सरोजिनी तो कभी बनी झांसी की रानी यातनाएं सही जो समय के दौर का फिर भी रही अडिग, अटल , निर्मल ,निश्छल ,प्रेमामयी, जीवनदायनी ढाल बनकर उस ईश्वर-स्वरूप नारी शक्ति को है मेरा कोटि-कोटि प्रणाम बारंबार !! ----कुन्दन रचना:-08.03.2019 #नारी #सम्मान #सुरक्षा #रक्षा #कर्तव्य #जीवन_का_आधार
Veena Choubey
वेद शास्त्रों में पढ़ लो मेरी अजर अमर गाथा। सुन्दर सृष्टि संसार की रचना यही नारी की परिभाषा । कोमल हृदय मन अविरल आँखों में अश्रु समाए हूँ । प्रेमवास हृदय में चंचल मुक्त कण्ठ आजमाये हूँ । मौन हुँ कमजोर नहीं मैं बस आँखों में सपने हैं और कुछ आशा। वेद शास्त्रों में पढ़ लो मेरी अजर अमर गाथा। नारी रूपअम्बिका दुर्गवासिनी वर्दायिनी शक्ति का कोई पार न पावें बन जाए चंडालनी प्रेम प्यार की मूरत है और ममता सी अभिलाषा । सुन्दर सृष्टि संसार की रचना नारी की परिभाषा माँ बेटी,बहन,पत्नी हर रूप में बसती नारी छवि निराली देख हृदय विशाल सा इसका देवों ने नारी की रचना कर डाली। तीन लोकों के नर नारायण ने चरणों में इनके टेका माथा। वेद शास्त्रों में पढ़ लो अजर अमर मेरी गाथा। नारी शक्ति पर कविता
mau jha
दिल में उसके एक तमन्ना बाकी है अभी कहानी का एक पन्ना बाकी है वो लक्ष्मी है तुम भगवान तो बनो वो सीता है, तुम राम तो बनो, हर जुल्म पर जो बोल उठे ऐसी आवाम तो बनो,किसी की चीख किसी की कराह लिखूँ एक मुस्कुराते हुए चेहरे की सिसकती हुई आह लिखूँ क्योंकि ये सब कुछ उसके अंदर है वो औरत नहीं, समंदर है. ©mau jha नारी कविता
mau jha
पाई-पाई जोड़कर वो तुम्हारे घर को बनाती है हाथ उठाते उसपर तुमको शर्म नहीं आती है,भूख उसे भी है पर खाना उसने खाया नहीं पता लगाओ देखो शायद पति दफ्तर से आया नहीं ,हर दिन की देरी उसके लिए समस्या भारी है इसी समर्पण सहित तपस्या उसकी जारी है भाग्य मनाओ फिर भी तुमको छोड़ वो नहीं जाती है हाथ उठाते जिसपर तुमको शर्म नहीं आती हऐ ©mau jha नारी कविता
मनुस्मृति त्रिपाठी
पानी और स्त्री एक समान जितने बड़े घर में रहती हैं उतनी ही साज़ सज्जा के साथ पेश की जातीं हैं पर कुछ भी हो एक वक़्त के बाद नारी और नाली एक ही नज़र आती हैं,,नर्गिस बेनूरी नारी और नाली
Ahamad naved
20-50 के मध्य चलेंगे तो बार बार मिलेंगे, तेज चलेंगे तो शमशानघाट मिलेंगे। ©Ahamad naved सड़क सुरक्षा जीवन रक्षा