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Nova Changmai
दर क्या है??? एक लंबा हट्टा कट्टा आदमी उसी आवाज से बात कर रही है, और तुम सुनकर डर रही हो, उसको को दर नहीं बोलता है। जो बीते हुए कल है उससे शिक्षा लो, और जो आज करने वाले हो उसे किया नया क्या कुछ कर सकते हो उसके बारे में सोचो ,और डरो उस समय के लिए जो भविष्य में तुम्हारे जीवन को सुनहरी अक्षर में लिखकर जीवन को बदल सकता है। #सीखना #शायरी#कविता#रोमांस#मीनिंग #Motivational #Good #evening
Sandeep kumar Sakhawar
धर्म का प्रचार करने से अच्छा है मानव में मानव की मदद करने की समझदारी को बड़ाया जाए जो जगत को प्रेम न्याय दया से सुखमय सुन्दर बनाए ©Sandeep kumar Sakhawar मानव हित
Susheel Thakur
आखिर देश के बारे में कौन सोचेगा ? आज़ादी के बाद 1960 के दशक में भारत ने लोकतंत्र को जब चुना तो गरीबी , अनपढ़ता और बड़ी जनसंख्या एक चुनौती थी | पुरे विश्व ने पहली बार यह देखा कि लोकतंत्र को कहीं भी अपनाया जा सकता है क्योकि इससे पहले इतने बड़े स्तर पर लोकतंत्र का प्रयोग विश्व में हुआ ही नहीं था | भारत के लोकतंत्र की विकासयात्रा धीरे -धीरे बढ़ती हुई आज विश्व में एक प्रतिमान स्थापित करने में सफल हुई है | लेकिन भारत में लोकतंत्र का एक और पक्ष भी है जिसे देखकर मन चिंतित होता है | चुनाव आते ही सारे राजनैतिक दल विकास के मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाकर घटिया राजीनीति की तरफ ले जाकर वोटों का ध्रुवीकरण करते हैं | कोई लैपटॉप मुफ्त में बांटने की बात करता है , कोई ऋण माफ़ करने की बात करता है , कुल मिलाकर जीतने के लिए कुछ भी किया जा सकता है | बहुत कम लोग हैं जो देश के बारे में सोच रहे हैं , अधिकांश जनता भी चाहती है सरकार उनसे टैक्स न ले पर उनको सुविधाएं जरूर दे | जितने भी दल ये बादे कर रहे हैं उसका सारा भार देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा लेकिन उनको तो सिर्फ जीत चाहिए | राहत की बात यह है कि शिक्षा के प्रसार से भारत में जो नई पीढ़ी आ रही है वो देशहित को सर्वोपरि मानती है | आने वाले दस वर्षों में तस्वीर पूरी तरह से बदलने वाली है किन्तु मौजूदा समय में उन गिने चुने लोगों को हमारी दरकार है | आओ स्वार्थहित और संकीर्ण विचारधाराओं से ऊपर उठकर राष्ट्रहित में अपना योगदान दें | देश हित
Kalpana Srivastava
अगर तुम कहते हो कि लोग तुमसे खुश नहीं रहते ,वो हर वक्त तुम्हें तुम्हारी कमियां गिनाते हैं या चार बातें सुनाते हैं.... तो विचार करो इस बात पर कि तुम लोगों वो चीजें नहीं दे पा रहे जो तुमसे उन्हें चाहिए । बेचारगी, लाचारगी, और मजबूरियों का हवाला देकर लोगों से दूर होकर तुम खुद के आस्तित्व को भी नष्ट कर रहे हो । तुम्हें ईश्वर ने दूसरों के हित के लिए धरती पर भेजा है ना कि सिर्फ अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए..... तनिक विचार कीजिएगा..... ©kalpana srivastava #हित #Dark
Shravan Goud
अपेक्षा किसी से मत रखो हां किसी की जरूरत बनो। इससे आपको चाहने वालों की तादाद बढ जाएगी और काम काज में तरक्की होगी। दुसरो के हित में अपना हित छुपा है।
NIKHIL OJHA
#OpenPoetry कद्र करलो आज़ादी की ,न जाने कितनी जाने हमने गवाई है, आज़ादी के हवनकुंड में आहुति रत्नों की चढाई है, भूल रहा है नवयौवन आज़ादी की कीमत को,भूल रहा है उन वीरोके देशप्रेम और हिम्मत को, जिस देश की आज़ादी की खातिर जिन्होंने प्राण न्यौछावर कर डाला, खोल कर गुलामी की जंजीरों को देश हवाले कर डाला, शायद ये सोचा होगा वीरो ने मेरा देश सुनहरा होगा, वो न जानते थे कुछ सालों के बाद यह खुदग्रजी का कोहरा होगा, जिनके मुह में राम बगल छुरी सर पर स्वार्थ का सेहरा होगा, जहाँ देशप्रेम दिखावै का,तो देशहित तो क्या होगा, अपने जेब गर्म करना हर एक का मकसद होगा, उपरोक्त देशसेवा का औजार केवल राजनीति का होगा, जहाँ हर नेता हरपल अपने दांव पेश दिखायेगा, जनता जनार्दन के कानो न जाने क्या मंतर फूकेंगा, फिर पांच साल तक पेर पसार फोगट का माल ठुसेगा जनता की कमजोरी हर पार्टी की ताकत होगी, वो चिनगारी भड़का देंगे फिर हिंसा की ज्वाला होगी, जनता के सपने पूरे होंगे बस नेताओं के वादों में, देश भी उन्नत होगा बस जनता के ख्वाबों में, अगर यूँही चलता रहा तोह हम फिर आज़ादी को तरसेंगे, अगर न समझे खुदग्रजो की सियासत तो नफरत के अंगारे बरसेंगे, अब देश का नव युवा पर्याप्त जागरूक है बस जिम्मेदारियों का अहसास दिलाना होगा वो करगये तन वतन तुम्हे सोप कर स्वतंत्र राहे तुम्हे तो सिर्फ उन राहो पर चलना होगा तुम्हे सिर्फ बरकरार रखनी है ये राहे स्वतंत्रता की #OpenPoetry राष्ट्र हित