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Mamta kumari
जय मां कालरात्रि जब रक्तबीज का उपद्रव्य हुआ भारी । तब देवताओं ने मिल मां से अर्जी लगाई । मां कोशकी ,कालरात्रि बन आई। रक्तबीज का संघार कर, देवताओं को संकट से उबारी। तब सभी देवदाओ ने मिल मां की स्ततुति गाई। जय मां कालरात्रि। ©Mamta kumari #navratriजय मां कालरात्रि।
Suresh Kumar
मंत्र : ॐ देवी कालरात्र्यै नमः॥ प्रार्थना एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥ वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा। वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥ स्तुति या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ ©Suresh Kumar #मां कालरात्रि #happyNavratri
Mamta kumari
जब रक्तबीज का उपद्रव्य हुआ भारी । तब देवताओं ने मिल मां से अर्जी लगाई । मां कोशकी ,कालरात्रि बन आई। रक्तबीज का संघार कर, देवताओं को संकट से उबारी। तब सभी देवदाओ ने मिल, मां की स्ततुति गाई। जय मां कालरात्रि। ©Mamta kumari #navratriजय मां कालरात्रि।
Azaad Pooran Singh Rajawat
🙏दैत्य, दानव , दुष्टों का दमन करती🙏 मां कालरात्रि हमारी🙏 मां के स्मरण मात्र से🙏 भूत, प्रेत सब भाग जाते🙏 भय मुक्त करती भक्तों को मां 🙏 गृह कष्ट सब शांत हो जाते🙏 कृपा करती हम पर जब 🙏 मां कालरात्रि हमारी🙏 🙏 आप सभी को सातवें नवरात्रि की आजाद❤️ शुभकामनाएं🙏🙏 ©Azaad Pooran Singh Rajawat #navratri #मां कालरात्रि को नमन#
@nil J@in R@J
#जय मां शैलपुत्री🚩 मां शैलपुत्री - पहले नवरात्र की व्रत कथा एक बार प्रजापति दक्ष ने एक बहुत बड़ा यज्ञ किया। इसमें उन्होंने सारे देवताओं को अपना-अपना यज्ञ-भाग प्राप्त करने के लिए निमंत्रित किया, किन्तु शंकरजी को उन्होंने इस यज्ञ में निमंत्रित नहीं किया। सती ने जब सुना कि उनके पिता एक अत्यंत विशाल यज्ञ का अनुष्ठान कर रहे हैं, तब वहाँ जाने के लिए उनका मन विकल हो उठा। अपनी यह इच्छा उन्होंने शंकरजी को बताई। सारी बातों पर विचार करने के बाद उन्होंने कहा- प्रजापति दक्ष किसी कारणवश हमसे रुष्ट हैं। अपने यज्ञ में उन्होंने सारे देवताओं को निमंत्रित किया है। उनके यज्ञ-भाग भी उन्हें समर्पित किए हैं, किन्तु हमें जान-बूझकर नहीं बुलाया है। कोई सूचना तक नहीं भेजी है। ऐसी स्थिति में तुम्हारा वहाँ जाना किसी प्रकार भी श्रेयस्कर नहीं होगा।' शंकरजी के इस उपदेश से सती का प्रबोध नहीं हुआ। पिता का यज्ञ देखने, वहाँ जाकर माता और बहनों से मिलने की उनकी व्यग्रता किसी प्रकार भी कम न हो सकी। उनका प्रबल आग्रह देखकर भगवान शंकरजी ने उन्हें वहाँ जाने की अनुमति दे दी। सती ने पिता के घर पहुँचकर देखा कि कोई भी उनसे आदर और प्रेम के साथ बातचीत नहीं कर रहा है। सारे लोग मुँह फेरे हुए हैं। केवल उनकी माता ने स्नेह से उन्हें गले लगाया। बहनों की बातों में व्यंग्य और उपहास के भाव भरे हुए थे। परिजनों के इस व्यवहार से उनके मन को बहुत क्लेश पहुँचा। उन्होंने यह भी देखा कि वहाँ चतुर्दिक भगवान शंकरजी के प्रति तिरस्कार का भाव भरा हुआ है। दक्ष ने उनके प्रति कुछ अपमानजनक वचन भी कहे। यह सब देखकर सती का हृदय क्षोभ, ग्लानि और क्रोध से संतप्त हो उठा। उन्होंने सोचा भगवान शंकरजी की बात न मान, यहाँ आकर मैंने बहुत बड़ी गलती की है। वे अपने पति भगवान शंकर के इस अपमान को सह न सकीं। उन्होंने अपने उस रूप को तत्क्षण वहीं योगाग्नि द्वारा जलाकर भस्म कर दिया। वज्रपात के समान इस दारुण-दुःखद घटना को सुनकर शंकरजी ने क्रुद्ध होअपने गणों को भेजकर दक्ष के उस यज्ञ का पूर्णतः विध्वंस करा दिया। सती ने योगाग्नि द्वारा अपने शरीर को भस्म कर अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया। इस बार वे 'शैलपुत्री' नाम से विख्यात हुर्ईं। पार्वती, हैमवती भी उन्हीं के नाम हैं। उपनिषद् की एक कथा के अनुसार इन्हीं ने हैमवती स्वरूप से देवताओं का गर्व-भंजन किया था #NojotoQuote जय माता दी मां शैलपुत्री प्रथम व्रत की कथा
Vivek prajapati
🌹🌹Hello friends 🌹🌹 कैसे हैं, आप सब लोग अच्छे ही होंगे खुशमिजाज जिंदगी जीवन व्यतीत कर रहे होंगे। आप सब लोग अपने घरों में। चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन दुर्गा मां के कालरात्रि रूप की पूजा की जाती है। मां दुर्गाजी का सप्तम् स्वरूप मां कालरात्रि देवी का है । दुर्गा मां की पूजा का सातवां दिन भी नवरात्रि के दिनों में बहुत महत्त्वपूर्ण होता है। सदैव शुभ फल देने के कारण इनको शुभंकरी भी कहा जाता है। कहा जाता है कि मां कालरात्रि की पूजा करने से काल का नाश होता है। मां के इस स्वरूप को वीरता और साहस का प्रतीक माना जाता है। ऐसी मान्यता है, कि मां कालरात्रि की कृपा से भक्त हमेशा भयमुक्त रहता है, उसे अग्नि, जल, शत्रु आदि किसी का भी भय नहीं होता। जानिए नवरात्रि के तीसरे दिन की पूजा विधि, व्रत कथा, आरती, मंत्र, मुहूर्त… धन्यवाद आप सभी का। 🌹🌹🌹विवेक🌹🌹🌹 #चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन दुर्गा मां के कालरात्रि