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Govind Pandram

#PoetInYou #क़ाफ़िया - तुकांत शब्द जो रदीफ़ के पहले लिखा जाता हैं। #रदीफ़ - क़ाफ़िया के बाद आने वाला शब्द जो अंत तक परिवर्तित नहीं होता। #अश'आर - #मतला #मक़्ता

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हम तुम  मैं बनूँ 'क़ाफ़िया' तुम 'रदीफ़' बनो,
दोनों मिलकर एक 'अशआर' हो जाये।
तुम बनो 'मतला' मैं बनूँ 'मक़्ता'
क्या पता हम दोनों में 'प्यार' हो जाये।

©Govind Pandram #PoetInYou
#क़ाफ़िया - तुकांत शब्द जो रदीफ़ के पहले लिखा जाता हैं।
#रदीफ़ - क़ाफ़िया के बाद आने वाला शब्द जो अंत तक परिवर्तित नहीं होता।
#अश'आर -

Mahima Jain

मुझे खुद भी बहुत अच्छे से ग़ज़ल लिखना नहीं आता क्योंकि ये साहित्य की सबसे कठिन विधाओं में से एक है। पर फिर भी मेरी एक कोशिश है इसके नियम आप #gazal #yqdidi #YQBhaiJaan #yqsahitya #ग़ज़ल_ए_माही #गज़ल_कैसे_लिखें #howtowriteagazal

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ग़ज़ल कैसे लिखें??


// पढ़िए अनुशीर्षक में // मुझे खुद भी बहुत अच्छे से ग़ज़ल लिखना नहीं आता क्योंकि ये साहित्य की सबसे कठिन विधाओं में से एक है। पर फिर भी मेरी एक कोशिश है इसके नियम आप

मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *

कागज तो होता बस बेजान सा ,
जान तो उसमें शब्द डालते हैं ,

शब्दों के लिखते ही , बिखर जाती हैं एक खुशबू ,
यादों की , वादों की , अहसासों की ,

पढते ही शब्द सब कुछ चलचित्र सा चलने लगता हैं ,
आँखों के सामने एक अहसास सा ,

शब्दों से बनती जाती रचनाएं ,
हर एक के मन की उथल - पुथल की ,

वो बातें जो हम कहने मे होते हैं असर्मथ ,
पुर जाती हैं माला सी वो शब्दों के जरिए ,

भावों को वय्क्त करते शब्द ,
कोरे कागज पर रंग बिखरते शब्द ।

©Ankur Raaz #शब्दो #की #शक्ति

#शब्द

Anand Dadhich

Alone Quotes In Hindi 'एकांत'

एकांत..जीवंत है,
एकांत..ज्वलंत है,
एकांत..अत्यंत है,
एकांत..अनंत है,
एकांत...कंत है,
एकांत..सही पंथ है,
एकांत..ही अंत है।

एकांत..सुशांत है,
एकांत...कांत है,
कुछ क्षण एकांत के,
तुम्हें, सुखांत देंगे।

©Anand Dadhich #एकांत #सुखांत #kaviananddadhich #poetananddadhich #eveningvibes #hindipoetry #quotesaboutlife

विनय शुक्ल 'अक्षत'

अतुकांत कविता

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यूं ही आ जाती हो ,
बिन बताए अचनाक ।
खैर तुम्हारा क्या 
कसूर । 
कसूर तो मेरा है 
जो कर देता हूं , 
तुम्हारा जिक्र 
किसी से भी 
बेवजह ।
इतना सब कहकर भी ,
बहते आंसू सहकर भी 
नहीं चाहता मैं कि  
तुम  चली जाओ ।
मैं तो चाहता हूं तुम बसा 
लो एक घर ,मेरे दिल में ।
धड़कनो को साक्षी मानकर 
मेरे जज्बातों के ले  
सात फेरे ।
हो जाओ मेरे ,
ये सूरज ,चन्दा ,तारे 
सभी तो आएंगे 
हमें आशीष देने ।
कब से --
पलकें बिछाकर 
बैठा हूं मैं 
,तुम आओगे न !

विनय शुक्ल  'अक्षत' अतुकांत कविता

Gunjan Agarwal

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