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Manmanth Das
दिल में तमाम हसरतें हैं, जिद है ख्वाहिशें हैं। अभी कहाँ जी है जिन्दगी कुछ ख्वाब हैं, अधूरे हैं। मासूमियत है, चाहत है, उम्मीदों के घरौंदे थोङे हैं। लहरों से डर कर हमने ख्वाब देखने कहाँ छोङे हैं । यूँ तो तमाम रात स्याह है, इंतज़ार है, अंधेरे हैं । मगर ये भी बीत जानी है, जिन्दगी है, कई सबेरे हैं। दिल में तमाम हसरतें हैं, जिद है ख्वाहिशें हैं। अभी कहाँ जी है समूची जिन्दगी है, अधूरे हैं। ✍मन्मंथ #मन्मंथ #newday
Manmanth Das
श्यामल रंग प्रीत का जा में सभैं समाए कारो ऐसों का कियो तैं गोरी रीझों जाए। साँवरे ते उजरों मिटै कारों लियो अपनाए राधा श्याम दीवानी भई अपनों श्यामा नाम बताए। ✍मन्मंथ #श्यामा #कविता #मन्मंथ
Manmanth Das
जिन्दगी में तमाम हसरतें हैं जिद है, ख्वाहिशें हैं । अभी कहाँ हमने जी है समूची जिन्दगी है, अधूरे हैं। मासूमियत है, चाहत है, उम्मीद के घरौंदे थोङे हैं। लहरों से डर कर हमने ख्वाब देखने कहाँ छोङे हैं। यूँ तो तमाम रात स्याह है, इंतज़ार है अंधेरे हैं। फिर भी ये बीत जानी है, जिन्दगी है, सवेरे हैं। ✍मन्मंथ #शायरी #मन्मंथ #raindrops
somnath gawade
हुशार राजकारणी/अधिकारी काम होण्यासारखे असेल तरच 'रस' घेऊन एखाद्याची 'शिफारस'करतात. 😂🤣 #रस
Penman
ना जाने तेरे प्यार में ऐसा क्या रस है, जो मुझे मधुमस्त कर देता है। ©Tarun RAJPUt #रस
Manmanth Das
मैं किसके पीछे चलूँ कि कैसा हौसला हो, ऐ वतन अगर नौजवां हो तो ऐसा नौजवां हो। दे मुझे भी वो कोख कि फिर बसंती फिजा हो, अगर कोई नशा हो तो सरफरोशी का नशा हो। आज वतन मांगती है फिर वही जवानी , डर कर दुश्मन जिससे थर थर काँपता हो। दे ऐसी जवानी वही जोश वही जज्बा हो, आजादी महबूबा हो और मौत मजा हो। मै जिसके पीछे चलूँ वो ऐसा रहनुमा हो, फरमान ए कुर्बानी जिसने हँसकर चूमा हो। ✍मन्मंथ #शायरी #मन्मंथ #भगतसिंह #bhagatsingh
Manmanth Das
ओस से भींगीं नम हुई नई हरी दूब, कोमल फसलें व नव यौवन लिए मंद मुसकाते हुए, कुछ पुष्प लताएँ कोंपलों को समेटे नए हरे पत्ते और कलियाँ सकुचाते हुए , कल्लोलित खग वृंद मधुर प्रस्फुटित स्वर में गुनगुनाते हुए, अलसी रही झूम प्रिय के स्वागत में अपने हृदय के समस्त भाव बिछाते हुए, वसुंधरा धर रही नित बसंती परिधान ऋतुराज की राह में पलकें बिछाते हुए, आम्र कुंज से मधु चुराकर मादक कोकिल चिहुँक रही जाने कब से अपने प्रिय को बुलाते हुए, और उतारकर चादरें धुंध की बसुधा देखो झुरमुट से झांक रही मानो देखा है उसने पीले सरसों के पीछे से बसंत को आते हुए। मन्मंथ् ✍ ©Manmanth Das #बसंत #कविता #रचना #मन्मंथ
Manmanth Das
मैं हर रोज़ गाङ दिया जाता हूँ अपने कोशिशों के किनारों पर किसी के उम्मीदों के दीवारों पर बूढी आखों के दम तोड़ते सपनों में सवाल पूछते रिश्तेदारो अपनों में मैं कब कहाँ किसी से रूठा हूँ खिलौने के जैसा जरूर टूटा हूँ बेरुखी से ही मार दिया जाता हूँ मैं हर रोज़ गाङ दिया जाता हूँ मेरे इम्तिहानो की कोई इंतेहा हो मैं सवालों में छोड़ दिया जाता हूँ साहब मैं बस एक बेरोजगार हूँ मैं हर रोज़ गाङ दिया जाता हूँ। ✍मन्मंथ #बेरोजगार #मन्मंथ #Isolated