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Poonam Aggarwal'मीता'
होली एक त्योंहार है रंगबिरंगे रंगो का त्योहार होली पे बिखरे रंग गुलाल पिया संग खेलूँगी होली रंगके चुनरी सतरंगी। #NojotoQuote #होली रंगों का त्योहार
DR. LAVKESH GANDHI
भारतीय सनातन परंपरा के गौरवशाली पर्व रंग और हर्षोल्लास के पर्व होली की आपको एवं आपके पूरे परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं... यह रंगों का त्यौहार आपके जीवन में खुशियों के रंग से भर दे... ©DR. LAVKESH GANDHI #happyholi होली # रंगों का त्योहार होली #
Anurag Mishra
कौन कहता है कि होली रंगोंं से खेली जाती है, हमने तो उन सूर वीरों को देखा है कि उन्होंने खूनो से होली खेला है! ©Anurag Mishra #हैप्पी होली#सूर वीर #रंगों का त्योहार#
Manju Tomar
हे कान्हा सबके जीवन में खुशियों का रंग भर देना खुद भी खुश रहना और औरों को भी खुश रखना ढेर सारी शुभकामनाएं 🎉 nojoto family मनु 🖊️🌿 ©Manju Tomar #Holi #nojotashayari रंगों का त्योहार #manjutomar🥰 #25march
RAJESH LUNA 'NAVODAYAN'
'त्यौहार' भी बड़ी अजीब दास्ताँ है.! यही है जो 'गुजर जाने वाले अपनों की याद' दिलाता है..!! Dr. Rajesh luna #drrajeshluna #त्योहार #त्यौहार
Makvana k
गुलाल का रंग गुब्बारों की मार सूरज की किरणे खुशियों की बहार चांद की चांदनी अपनों का प्यार मुबारक हो आपको रंगों का त्योहार। ©Makvana k 🤗मुबारक हो आपको रंगों का #त्योहार। #hindishayari #fastival #holifestival
usFAUJI
भारद्वाज
होली रंगों का त्योहार ही नहीं, अच्छाई पर सच्चाई की जीत का त्योहार है। होली अपनों को माफ़ कर रंग लगा गले मिलने का त्योहार है।। ©भारद्वाज #होली रंगों का त्योहार ही नहीं, अच्छाई पर सच्चाई की जीत का त्योहार है। होली अपनों को माफ़ कर रंग लगा गले मिलने का त्योहार है।।
Anwar babu
आओ दीप जलायें खुशियां है दिवाली की मस्ती माहौल में छाया है, पर यह जो हमने घर में अपने बत्ती चाइनीस लगाया है और खुद अपनी ज्योतिमय दिए की ज्वाला से अनभिज्ञ होकर, कितने दिवाली कर जेब खाली चीन को प्रचुर बनाया है पर वह जो दिया था मिट्टी का उस मिट्टी की सौंधी खुशबू, सोंधी खुशबू का था बहार; और हम सब देख रहे हैं कि, यह कुम्हारों के हाथों से भी, अब छीन लिया रोजगार कर दो बहिष्कार इस लाइट को अब सब, मैं करता हूं गुहार; बहुत सुहावन लगता था वह दीपों का त्योहार बहुत सुहावन लगता था वह दीपों का त्योहार/ जगमग जगमग उस दिए की दृश्य बहुत ही प्यारी थी, नंगे पांव नन्हे बच्चों की होठों पर किलकारी थी; वो दिन बहुत ही मनमोहक था खुशियां थी अपार; बहुत सुहावन लगता था वह दीपों का त्योहार, बहुत सुहावन लगता था वह दीपों का त्योहार/ अब तो हम मिट्टी से बने ना घी के दिएजलाते हैं, ना ही अमावस्या की रात आंखों में काजल लगवाते हैं; भूल गए सब रीति रिवाज संस्कृति और परंपरा को, आधुनिकता की चाहत में महक ना पाए वसुंधरा को; ना जाने अब फिर वह कब होगा दौर सकार, बहुत सुहावन लगता था वह दीपों का त्यौहार; बहुत सुहावन लगता था वह दीपों का त्योहार/ दीपों का त्योहार.....