Find the Latest Status about पक्षी अनेकवचन from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, पक्षी अनेकवचन.
Vrishali G
White तुझ्या अवती भवती माझ्या मनाचा ग पक्षी . कसे सांगू कीती सांगू दिन रात त्याला साक्षी .❤ ©Vrishali G #पक्षी
Vikas Sahni
White आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ भी रही है वह। होकर नाराज़ नभ देख रही है और मैं उसकी आँखों में देखते-देखते दस बजे सजे पुस्तक-पन्नों के शब्दाें को फेसबुक; व्हाट्सएप; इंस्टाग्रामादि पर सजा रहा हूँ, "प्रसन्न बच्चों की आवाज़ें सर्वत्र गूँज रही हैं; सभी के लिए यह दिवा मेहमान है, पतंगों से सजा आसमान है, जिसकी ओर कविता का भी ध्यान है और उसकी ओर मेरा ध्यान है। लाल-पीली; हरी-नीली-पतंगें युद्ध-खेल खेल रही हैं अनंत आसमानी पानी और बादलों के बगीचे में मैंने देखा उन्हें कविता की आँखों से भरी पड़ी प्रत्येक छत है, प्रत्येक पतंग प्रतिस्पर्धा में रत है, कई किन्हीं इशारों पर नाच रही हैं, कई मुक्ति पाने-जाने के लिए छटपटा रहीं हैं, पिन्नी वाली फटी फटफटा रही हैं, कई मुक्त हुए जा रही हैं पश्चिम से पूर्व की ओर मस्ती में ठुमका लगाते हुए जा रही हैं अपने लक्ष्य की ओर तो कई कैदी बने रो रही हैं पक्के धागे के पिंजरे में, जिस प्रकार पक्षी (पतंग) अपने अंग-अंग को पटकते हैं पिजरे में बड़ी बेरहमी से फिर कविता की आँखों की नमी से पूछा मैंने कि क्या हुआ इससे आगे, क्या टूट गये वे सारे धागे? कविता ने कहा, "टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी पतंगों के धागे, टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी भिन्न-भिन्न रंगों के धागे। है आवश्यक अभी कि काश टूट जाते बुराई के धागे!!" . ...✍️विकास साहनी ©Vikas Sahni #पतंगों_के_प्रति आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ
#पतंगों_के_प्रति आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ
read moreRAVAN
वृद्ध पक्षी उड़ नहीं सकते और उनके लिए कोई वृद्धाश्रम नहीं हैं। इसलिए छोटे-छोटे बच्चे पक्षी उन्हें खाना खिला रहे हैं। एक महान संदेश..प्रकृति #मोटिवेशनल
read moreRakesh frnds4ever
White शौक है कि शोक कहीं कभी जो इक शौक (+) हुआ करता था, बड़े ही नाजों/जतनों और हर्षो-उल्लास से पला था जो,,, कोमल, मृदुल, भावुक, सुंदर और हर्षपूर्ण प्रकृति की सभी कृतियों; धरती अंबर नदी पहाड़ घाटी झरने नालों _-- पेड़ पौधे पशु पक्षी फल फूल और जीवों की तरह,,, करुणामय ह्रदय का प्यारा दिन की नींदे रातों के सपने भोर का आनंद गोधूली का प्रसंग सुबहो का आलस्य शामों की ताजगी और दोपहर की आवारा गर्दी/ मटरगस्ति का सहारा,,,, मुझे प्यार करने वाला, मुझसे बतियाने वाला मुझमें स्फूर्ति भरने वाला मुझसे मस्ती करने वाला ,, उन दिनों उसने मुझमें पंख लगा दिए थे,,,,,, ,,,,,,,,,,,,,,,,,1,,,,,,,,,,,,,,,, ©Rakesh frnds4ever #शौक है कि #शोक #कहीं कभी जो इक शौक (+) हुआ करता था, बड़े ही #नाजों /जतनों और हर्षो-उल्लास से पला था जो,,, कोमल, मृदुल, भावुक, सुंदर