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Manjeet Singh Thakral
संघर्ष ही जिनका जीवन है, जिन्होंने अपना पूरा जीवन जनसेवा में अर्पित कर दिया ऐसी शख्शियत मेधा पाटकर जी के जन्मदिन पर बधाई और हार्दिक शुभकामना
Writer_Sonu
गाव छोडब नही, जंगल छोडब नही, माय माटी छोडब नही लडाय छोडब नही। बाँध बनाए, गाँव डुबोए, कारखाना बनाए , जंगल काटे, खदान खोदे , सेंक्चुरी बनाए, जल जंगल जमीन छोडी हमिन कहा कहा जाए, विकास के भगवान बता हम कैसे जान बचाए॥ जमुना सुखी, नर्मदा सुखी, सुखी सुवर्णरेखा, गंगा बनी गन्दी नाली, कृष्णा काली रेखा, तुम पियोगे पेप्सी कोला, बिस्लरी का पानी, हम कैसे अपना प्यास बुझाए, पीकर कचरा पानी? ॥ पुरखे थे क्या मूरख जो वे जंगल को बचाए, धरती रखी हरी भरी नदी मधु बहाए, तेरी हवसमें जल गई धरती, लुट गई हरियाली, मचली मर गई, पंछी उड गई जाने किस दिशाए ॥ मंत्री बने कम्पनी के दलाल हम से जमीन छीनी, उनको बचाने लेकर आए साथ में पल्टनी हो… अफसर बने है राजा ठेकेदार बने धनी, गाँव हमारी बन गई है उनकी कोलोनी ॥ बिरसा पुकारे एकजुट होवो छोडो ये खामोशी, मछवारे आवो, दलित आवो, आवो आदिवासी, हो खेत खालीहान से जागो नगाडा बजाओ, लडाई छोडी चारा नही सुनो देस वासी ॥ हे गाणं ऐकून लगेच उल्का महाजन, मेधा पाटकर, पारोमिता गोस्वामी आठवल्या… Share this: ©Writer_KAVISONU #नोजोटो #नई #Ma गाव छोडब नही, जंगल छोडब नही,#sam # माय माटी छोडब नही लडाय छोडब नही। बाँध बनाए, गाँव डुबोए, कारखाना बनाए , जंगल काटे, खदान
Naresh Chandra
कृपया अनुशीर्षक मे जरूर पढिये 🙏🙏🙏 ©Naresh Chandra देश हितों की रक्षा करना सभी हिंदुस्तानियों का धर्म है, इसलिए इस पोस्ट को समझने के लिए 🙏 ग्रुप के नियम से हटकर🙏 प्रेषित कर रहा हूँ। ⬇️⬇️⬇️⬇️⬇
shiv shankar
#OpenPoetry किसान खड़ा बादल की तरफ निहार रहा है और बादल से अरदास कर रहा है कि मेरे धरती रूपी आंगन में आओ और वर्षा करो धरती सूखी है पेॾ़ काटकर मनुष्य अपना स्वार्थ पूरा कर रहा है बंजर हो गई है धरती, तुम दयालु हो, कृपालु हो ओ मेधा रे मेधा तुम जल्दी आओ मेरे आंगन में ओ मेधा रे मेधा जल्दी आ मेरे आंगन में
Vikas Sharma Shivaaya'
शिव मंत्र-ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा। मो मन मानिक ले गयो चीते चोर नंदनंद ! अब बेमन मै क्या करू परि फेर के फंद !! इस दोहे में रसखान जी कहते है कि भगवान श्रीकृष्ण ने उनके मन के माणिक्य रत्न को चुरा लिया है ! अब बिना मन के वह क्या करे ? वे तो भाग्य के फंदे के फेरे में पड़ गए है ! अब तो बिना समर्पण कोई उपाय नहीं रह गया है ! अर्थार्त जब उनका मन ही उसके प्रियतम श्रीकृष्ण के पास है तो वे पूरी तरह से उसके प्रति समर्पित हो चुके है ! 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' शिव मंत्र-ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा। मो मन मानिक ले गयो चीते चोर नंदनंद ! अब बेमन मै क्या करू परि फेर के फंद !
Vibhor VashishthaVs
Meri Diary #Vs❤❤ प्रत्येक भारतीय के प्रेरणास्रोत युगप्रवर्तक,वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु, भारतीय अध्यात्म व संस्कृति के आलोक से विश्व मानस को आलोकित करने वाले युवा संन्यासी, भारतीय मेधा के अतुल्य हस्ताक्षर, युवाओं के प्रेरणास्रोत स्वामी विवेकानंद जी ने पूरे विश्व को भारतीय संस्कृति के मूल्यों से पल्लवित किया व अपने प्रेरक विचारों से युवाओं में राष्ट्र निर्माण हेतु नई चेतना जागृत की। ऐसे महामानव स्वामी विवेकानंद जी को उनकी जयंती पर कोटि-कोटि नमन...। 🙏🏵🙏🏵🙏🏵🙏🏵🙏🏵🙏🏵🙏 सभी देशवासियों को 'राष्ट्रीय युवा दिवस' की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं। ✍️Vibhor vashishtha vs Meri Diary #Vs❤❤ प्रत्येक भारतीय के प्रेरणास्रोत युगप्रवर्तक,वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु, भारतीय अध्यात्म व संस्कृति
PARBHASH KMUAR
अर्थात ये परम चेतना हैं। सरस्वती के रूप में ये हमारी बुद्धि, प्रज्ञा तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका हैं। हममें जो आचार और मेधा है उसका आधार भगवती सरस्वती ही हैं। इनकी समृद्धि और स्वरूप का वैभव अद्भुत है। पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण ने सरस्वती से ख़ुश होकर उन्हें वरदान दिया था कि वसंत पंचमी के दिन तुम्हारी भी आराधना की जाएगी और यूँ भारत के कई हिस्सों में वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की भी पूजा होने लगी जो कि आज तक जारी है। पतंगबाज़ी का वसंत से कोई सीधा संबंध नहीं है। लेकिन पतंग उड़ाने का रिवाज़ हज़ारों साल पहले चीन में शुरू हुआ और फिर कोरिया और जापान के रास्ते होता हुआ भारत पहुँचा। ©PARBHASH KMUAR अर्थात ये परम चेतना हैं। सरस्वती के रूप में ये हमारी बुद्धि, प्रज्ञा तथा मनोवृत्तियों की संरक्षिका हैं। हममें जो आचार और मेधा है उसका आधार भ
Abhay Bhadouriya
भगवती देवी महामाया कि कथा ( अनुशीर्षक में पढ़ें ) दुर्गा सप्तसती के प्रथम अध्याय में महर्षि मेधा ने राजा सुरथ और वैश्य समाधि को भगवती देवी योगमाया की कथा और उनके प्रभाव से मधु कैतभ के वध
Chanchal Jaiswal
ना जाने कितनी शालाएँ ना जाने कितने सभागार जाग्रत वाणी थी तूर्य हुई हुई कभी तूणीर बाण हुआ कभी गाण्डीव प्रखर पाञ्चजन्य का नाद शिखर। पुलकित मेधा सौरभ भर-भर फड़कता शौर्य साहसी भुजदल। केशर सा जगमग भाल भानु उत्तुंग हिमालय सा सीना हरियाला हृदय भावभीना कण्ठ-कण्ठ जयघोष विपुल स्पंदन-स्पंदन राष्ट्रवन्दन। गौरवशाली इतिहास प्रवर प्रेरित होते जनगण सुनकर नन्हें-नन्हें से बाल नवल विकसेगा इनमें भारत कल। (शेष कविता caption में...) ना जाने कितनी शालाएँ ना जाने कितने सभागार जाग्रत वाणी वो तूर्य हुई हुई कभी तूणीर बाण हुआ कभी गाण्डीव प्रखर पाञ्चजन्य का नाद शिखर। पुलकित मे