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Abhishek Tiwariz
चांद नहीं उस से भी ज्यादा कुछ खूबसरत हो तो तुम्हे कह दें, कहो तो इस जहां में नाम ए वफ़ा तुम को दे दें, शाहजहां जो होता मैं अगर, तो सल्तनत से कहता कि तख़्त-ए-ताऊस तुम्हें दे दें Abhishekism 💕 तख़्त-ए-ताऊस @Nojotoapp #rdv19 @abhishekism #abhimantra #poem #poet #quote #poeticatma @poeticatma @nojoto #RDV19
Neophyte
हर आवाज़ को वो दबाना चाहते है कुछ तो है जो छिपाना चाहते है आवाम के लाशो की जरूरत है उन्हें उसी से शाह-ए-तख्त बनाना चाहते है जहाँ भी लगा हो इस मुल्क में आग वो घी का फर्ज़ निभाना चाहते है क्या ख़ूब तमाशा है हम उनके लिए हम लड़ रहे और वो लड़ाना चाहते है -(क्षत्रियंकेश) शाह-ए-तख्त!
NC
गुरूर किस बात का ,चले गए शहंशाह ,छोड़ कर अपने तख्त ए ताऊस ।। takht-e-jehangir at agra fort #nojotophotography#agrafort
शुभी
बेवफ़ाई का मिरे दामन को दाग ना दे, तासीर-ए-इश्क़ तिरा सुनाने आ रहा हूँ. सफ़र-ए-शौक़ ये ना-तमाम सा है, हमसफ़र मिरा तुझे बनाने आ रहा हूँ. बेअदबी का लहजा सब निगाहों में है, जहां से तिरी शोखी छुपाने आ रहा हूँ. अब इस जान में तिरी और जान ना रही, कातिल मैं तुझे मिरा बनाने आ रहा हूँ. बाराँ-rain परी-रू - angel like जिगर-ए-लख़्त-लख़्त- shredded heart मिज़्गान-ए-यार- eyelashes of beloved तासीर-ए-इश्क़- effect of love सफ़र-ए-
Shashi Bhushan Mishra
रखो दिल पर सख़्त पहरा, लगे ना आघात गहरा, बीतने दो रात निर्जन, दिन भी निकलेगा सुनहरा, मन की गतिविधियाँ विचारो, मन बड़ा नादान ठहरा, लोभ-लालच मित्र इसके, चमन भी बन जाए सहरा, कामनाएँ करे पोषित, स्वार्थवश मापदण्ड दोहरा, अहम का होता उपासक, वक़्त के चौसर का मोहरा, अधोगति को त्याग 'गुंजन', भजो मन हरि का ककहरा, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #सख़्त पहरा#
impure poet
शुरवात में तो कंकड़ भी नही हिला था .... अब तख्ता पलट करना है शून्य से एक का सफर तय करना है । तख्त #शून्य
Devanand Jadhav
•पाऊस नि पाऊस• काय हो पाऊस होता तो यंदा त्यानं बळी राजाचा केला वांदा तो बसला होता डोळे लावून पण हा आला अक्कड घेऊन कुठे तो सर्वदूर बरसला तर कुठे कुठे काय रुसला कुणा देऊन गेला समाधान तर कुणाचं केलं घमासान पुढच्या फेरीत खुशीत आला सर्वदूर तो बरसून गेला बळीराजा तर हर्षून गेला नवी स्वप्ने रंगवत बसला अन् परतीचा पाऊस आला इथे तिथे तो चौखूर पडला कुठे पडला तो ढग फोडून कुठे बळीचे हृदय फाडून मात्र हाहाकार करून गेला काय तो यंदा पाऊस पडला ©•साहेबराव मुळे• बागवान नगर, शिरूर. ©Devanand Jadhav पाऊस नि पाऊस...!!!