Nojoto: Largest Storytelling Platform

New रानेह जलप्रपात Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about रानेह जलप्रपात from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, रानेह जलप्रपात.

Related Stories

    PopularLatestVideo

Nandkishor Saini

भीमलत जलप्रपात #nojotovideo

read more
mute video

manoj kumar jha"Manu"

सहस्रधारा जलप्रपात देहरादून

read more
 ❤️❤️❤️❤️❤️❤️
आप सभी का 
        घुमक्कड़ पथिक 
             का सहयोग 
करने के लिए 
           हृदय से धन्यवाद।
       ❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️ सहस्रधारा जलप्रपात
देहरादून

Arjun Singh

mute video

bhishma pratap singh

#जलप्रवाह#हिन्दी कविताभीष्म प्रताप सिंहकाव्य संकलनसस्पेंस एन थ्रिलर #FourWords#अक्टूबर Creator

read more
इस तरंगिणी का जल प्रवाह, हम दोनों को ही प्यारा था।
एक अद्भुत सा आकर्षण था, नदियों से प्रेम हमारा था।।
हम दोनों भाई-बहन नदी में, तैरने में पारंगत थे।
केवल हम दो ही नहीं अपितु, गाँव के भी अनेकों साथी थे।।
बड़ी सुखद सी थी "जिन्दगी", सब मिलकर बहुत नहाते थे।
जब बात होती थी नहाने की, नहीं "इन्तजार" कर पाते थे।।
एक मूक सा था "इकरार" सभी का, दूर दूर तक बहते थे।
अपने ही गाँव के सब बच्चे, हम बड़े प्यार में रहते थे।।
पर एक दिन इस जल प्रवाह में ही , बह कर के चला गया भाई।
सारे जीवन की प्रीत गयी, बस आस कि आएगा भाई।।
नेति।
धन्यवाद।

©bhishma pratap singh #जलप्रवाह#हिन्दी कविता#भीष्म प्रताप सिंह#काव्य संकलन#सस्पेंस एन थ्रिलर  #FourWords#अक्टूबर Creator

Jyotish Jha

खामोश रहना भी एक कला होती है... ... जिंदगी में जब बहुत ज्यादा हार का सामना करना पड़े ऐसी स्थिति मे खामोश रहना ही उचित है क्योंकि बहुत सारे स #Shakespeare #YourQuoteAndMine #Drjyotish #Jyotishjha

read more
न जाने कितने सवालों की आबरू रखे है ये खमोशी जनाब ! खामोश रहना भी एक कला होती है... ... जिंदगी में जब बहुत ज्यादा हार का सामना करना पड़े ऐसी स्थिति मे खामोश रहना ही उचित है क्योंकि बहुत सारे स

Abhimanyu Kamlesh Rana

पहली बरसात की महक सी थी वो मुलाकात करीब आया एक अज्ञात बहुत करीब उसकी सांसों की ध्वनि कानों में जो गई मैं मृगतृष्णा में खो गई उसकी बाहों में #कविता #raindrops

read more
पहली बरसात की महक सी
थी वो मुलाकात
करीब आया एक अज्ञात
बहुत करीब
उसकी सांसों की ध्वनि कानों में जो गई
मैं मृगतृष्णा में खो गई
उसकी बाहों में आत्मसमर्पण कर दिया ऐसे
बीज धरती में करता है जैसे
फिर खिल उठने की चाह में
पर बेपरवाह वो रेत 
बह निकली जलप्रवाह में
कहीं और
किसी और बीज की उम्मीद जगाने
फिर वही किस्सा दोहराने
सावन के मौसम में ना जाने
क्या है ऐसा
उन आंखों का भूरा रंग
दिखा हरा जैसा ।।।।
      - अभिमन्यु "कमलेश" राणा ।।।। पहली बरसात की महक सी
थी वो मुलाकात
करीब आया एक अज्ञात
बहुत करीब
उसकी सांसों की ध्वनि कानों में जो गई
मैं मृगतृष्णा में खो गई
उसकी बाहों में

Sunita D Prasad

#समरसता एक आँसू एक सिसकी एक क्रंदन और एक क्षोभ बस.... फिर खो देगी धरा #yqbaba #yqdidi #yqpowrimo

read more
#समरसता

एक आँसू
एक सिसकी
एक क्रंदन
और एक क्षोभ
बस....
फिर खो देगी धरा 
अपनी समरसता..!

तब..
अतिरेक क्षार के बोझ से
उफनने लगेंगे समुद्र..!
आँखों की रिक्तता से तर जाएगा आसमान..।
विषाद/अवसाद से ढक जाएँगे पहाड़-जंगल..।

पर ऐसा होगा नहीं..!!!!!

एक आस
एक विश्वास
और एक मुस्कान से..
बना रहेगा.. संतुलन..।
नाभि पर अपनी, साध लेगी धरा..
गहरे से गहरा, खारे से खारा समुद्र..।
अनघ किलकारियों से फूट पड़ेंगे
जलप्रपात और नदियाँ..!
तितलियों के रंगों और पक्षियों की चहचहाहट से
भर जाएगी, 
आसमान की रिक्तता..।
हल के एक प्रहार से..
कोंपलों के स्फुटन से..
चटक जाएगा
पहाड़ों-जंगलों को घेरता 
गहरे से गहरा संताप..।

हर क्षोभ, हर विषाद 
और हर अवसाद पर 
भारी है..
एक मुस्कान
एक सृजन और
एक उम्मीद..!!

--सुनीता डी प्रसाद💐💐 #समरसता

एक आँसू
एक सिसकी
एक क्रंदन
और एक क्षोभ
बस....
फिर खो देगी धरा

राजेश कुशवाहा 'राज'

------!! गजल / कोहरा !!----- धुँधला धुँधला शहर लग रहा, सर्द हवा झकझोर रही है। उजले उजले से पर्दों पर, श्यामल परछाई पुकार रही है।। कदम तले #शायरी #findyourself #कुशवाहाजी

read more
------!! गजल / कोहरा !!-----

धुँधला धुँधला शहर लग रहा, सर्द हवा झकझोर रही है।
उजले उजले से पर्दों पर, श्यामल परछाई पुकार रही है।।

कदम तले है चुपके से आती, नरमी सुर्ख सुर्ख रातो में।
ज्यों आँचल में माँ की ममता, वो हाथों को फेर रही है।।

अब  आवाजें हैं आती जाती, किसी और का पता नही।
पिघली पिघली बर्फें उड़कर, चँहुदिशि रंगत घोर रही है।।

क्या आगे क्या पीछे देखें, है चारों ओर लहरों का साया।
कुछ भागें कुछ पास बुलाएं, कुछ चित्रों को उकेर रही है।।

छूता हूँ नाजुक हाथों से, फिर भी उनको न छू पाता हूँ।
पर ये अंगों को छू करके, मन तृष्णा को बिखेर रही है।।

क्या है राज इन उड़ते मोती का, राज नही पहचान रहा।
जलप्रपात के दुग्धधार से, प्रकृति स्वयं को बुहार रही है।।

©राजेश कुशवाहा ------!! गजल / कोहरा !!-----

धुँधला धुँधला शहर लग रहा, सर्द हवा झकझोर रही है।
उजले उजले से पर्दों पर, श्यामल परछाई पुकार रही है।।

कदम तले

Vijay Tyagi

मित्रो के बार बार poke करने पर आज कुछ लिख ही दिया है... मुझे याद करने के लिए "सीमा शकुनि जी, पुखराज जी और कल्पनामोहन भगवती दीदी का हृदय से आ #yqbaba #yqdidi #yqhindi #मौन #yqquotes #yqlove #निशब्द #yqbhaijann

read more
"निःशब्दता"

कृपया पूरी कविता
 अनुशीर्षक में पढ़े..
🙏🙏🙏 मित्रो के बार बार poke करने पर आज कुछ लिख ही दिया है... मुझे याद करने के लिए "सीमा शकुनि जी, पुखराज जी और कल्पनामोहन भगवती दीदी का हृदय से आ

shalini jha

रिस रिस घावों से गुज़रती रही है ज़िन्दगी आक्रोश में पलती पिघलती रही है ज़िन्दगी समय संदर्भ पर उफनती मौन उबाल नयनों से बूंद बूंद ढ़लकती रह #Poetry #writing

read more
रिस रिस घावों से 
गुज़रती रही है ज़िन्दगी 
आक्रोश में पलती  
पिघलती रही है ज़िन्दगी
समय संदर्भ पर 
उफनती मौन उबाल 
नयनों से बूंद बूंद 
ढ़लकती रही है ज़िन्दगी 
क्या मिला क्या न मिला 
किसका करे मलाल 
हाल से बेहाल में 
बदलती  रही है ज़िन्दगी 
नाव पर सवार 
नदी की बहती धार 
स्नेह संग भीगती 
पलटती रही है ज़िन्दगी 
उमंग संग झूमती 
झुलसती प्रेम प्रपात 
खोज़ में भरपूर की 
भटकती रही है ज़िन्दगी 
रीत प्रीत से छली
पहने काजल कोर 
मेघ को पुकारती  
सुलगती रही है ज़िन्दगी

©shalini jha रिस रिस घावों से 
गुज़रती रही है ज़िन्दगी 
आक्रोश में पलती  
पिघलती रही है ज़िन्दगी
समय संदर्भ पर 
उफनती मौन उबाल 
नयनों से बूंद बूंद 
ढ़लकती रह
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile