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Madanmohan Thakur (मैत्रेय)

डमरु के स्वर प्रवल नाद से #nojotophoto #संगीत

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 डमरु के स्वर प्रवल नाद से

Nojoto Hindi (नोजोटो हिंदी)

हरिओम पंवार की कलम से प्रस्तुत है- किसी राजा या रानी के डमरु नही हैं हम दरबारों की नर्तकी के घुन्घरू नही हैं हम सत्ताधीशों की तुला के बट्टे #Kalamse #HariomPanwar

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 हरिओम पंवार की कलम से प्रस्तुत है- 
किसी राजा या रानी के डमरु नही हैं हम
दरबारों की नर्तकी के घुन्घरू नही हैं हम
सत्ताधीशों की तुला के बट्टे

Bhuwnesh Joshi

शून्य से अनंत तक पालनकर्ता तू है काल भी कांपते हैं लोक तीनों जब डमरु पर देता ताल तू चंद्रमा विराजे मस्तक पर सिंघो की ओढ़े छाल भी महादेव मेर #yqbaba #yqdidi #yqdada #yqbhaijan #yqhindi #शिव #भुवनेश

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शून्य से अनंत तक
पालनकर्ता तू है काल भी
कांपते हैं लोक तीनों
जब डमरु पर देता ताल तू

चंद्रमा विराजे मस्तक पर
सिंघो की ओढ़े छाल भी
महादेव मेरे शंकर
है काल तू महाकाल तू शून्य से अनंत तक
पालनकर्ता तू है काल भी
कांपते हैं लोक तीनों
जब डमरु पर देता ताल तू

चंद्रमा विराजे मस्तक पर
सिंघो की ओढ़े छाल भी
महादेव मेर

Ram babu Ray

खुशी से नाचता कौन यहाँ ये बात जानता कौन यहाँ यहाँ जो तांडव होती हैं वो डमरु बजाता कौन यहाँ दास कौन हैं खास कौन हैं यहाँ राजा रंक फकीर कौन #जानकारी

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खुशी से नाचता कौन यहाँ
ये बात जानता कौन यहाँ

यहाँ जो तांडव होती हैं
वो डमरु बजाता कौन यहाँ

दास कौन हैं खास कौन हैं
यहाँ राजा रंक फकीर कौन है

कौन पहचाने कौन मदारी
सब ढ़ोंगी हैं  या  व्यापारी

मिठी बातों में करते धोखाधड़ी
एक दूजे में फिर भी हैं यारी..!!

©Ram babu Ray खुशी से नाचता कौन यहाँ
ये बात जानता कौन यहाँ

यहाँ जो तांडव होती हैं
वो डमरु बजाता कौन यहाँ

दास कौन हैं खास कौन हैं
यहाँ राजा रंक फकीर कौन

निखिल कुमार अंजान

वो ऊँ है निराकार है हर ज्योत मे है समाहित त्रिलोकी नाथ है देवों का देव महादेव कहलात है वह शिव शंकर भोले नाथ है है एक ऐसी ध्वनी जो चलती सदैव #हिंदीकविता #अंजान #मेरीडायरी #जयभोलेकी

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वो ऊँ है 
निराकार है
हर ज्योत मे है समाहित
त्रिलोकी नाथ है
देवों का देव महादेव कहलात है
वह शिव शंकर भोले नाथ है
है एक ऐसी ध्वनी जो चलती सदैव साथ है
हिमालय की गुफाओं मे रहने वाला
वो विश्व गुरु एंव परम पिता कहलात है
सच्चा योगी भूत पिशाचों का नाथ है
जटाओं मे माँ गंगा विराज है
यह वही निलकंठ बाबा है 
जिन्होंने समुद्र मंथन से निकले
विष को पीकर सृष्टि को बचात है
गले मे रहता इनके शेष नाग है
भस्म लगा देह पर अपनी 
गहरी साधना मे डूब जात है
एक हाथ माला कमंडल 
दूजे मे डमरु रहत है
तीसरा नेत्र जब इनका खुलत है
रुष्ट हो जब इनका डमरु बजत है
क्रोध से भरे बाबा करते जब तांडव
फिर पूरा ब्रह्मांड है इनसे कांपत
आदि शक्ति के है स्वामी
गणपति एंव कार्तिकेय दो पुत्र है ज्ञानी
नंदी इनके प्रमुख गण के रुप मे जाने जाते
कालों के काल माहकाल कहलाते
बाबा भोले जिस पर प्रसन्न हो जाते
वह जीवन की दुविधा से तर जाते
चलो बाबा को प्रसन्न है करते
भोले मेरे मन मे है बसते
महाशिवरात्रि बना बाबा की कृपा पाते
शिव शंकर के गुणगान है गाते.................
💟💟💟👏👏👏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
#जयभोलेकी..........
#अंजान...... वो ऊँ है 
निराकार है
हर ज्योत मे है समाहित
त्रिलोकी नाथ है
देवों का देव महादेव कहलात है
वह शिव शंकर भोले नाथ है
है एक ऐसी ध्वनी जो चलती सदैव

राम राम

जय शिव शंभू डमरु बजा कर पूरी दुनिया संसार को देखा करते हैं भगवान भोलेनाथ व्हाट्सएप नहीं चलाते हैं भोलेनाथ भगवान मोबाइल पर दिल से देखो सावन #Doctors

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जय माता दी
 राम जय श्री सीताराम
 सत्य विजय तिवारी करता है शायरी

किसी को हमने कहा मैंने अपना बरसों पहले
अब किसी अपने ने ही दिल तोड़ा है
याद करके अभी भी दिल के जज्बात रोक नहीं पाया
हूं
दिल के हर दर्द को छलक ने दिया अपने आंखों से मैंने तब जाकर मुस्कुराया हूं


किसी को अपना मत कहना अब हम अपने दिल को बहुत देर के बाद समझ आया हूं छलक गए आंखों से आंसू बनकर वह हर जज्बात तब जाकर मुस्कुराया


मतलबी से मिलकर दिल ने एहसास किया
अजनबी दुनिया कोई नहीं है अपना मिले हैं महादेव के चरणों में सारे संसार का सुख दिल
 ने यह हमारे अनुभव किया जय महादेव माता पार्वती की जय ॐ नमः शिवाय ईलू शायर

©राम राम जय शिव शंभू
डमरु बजा कर
पूरी दुनिया संसार को

देखा करते हैं
भगवान भोलेनाथ
व्हाट्सएप नहीं चलाते हैं भोलेनाथ भगवान मोबाइल पर
दिल से देखो सावन

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

जु़बाँ मीठी बगल खंज़र गले में सर्प डाले हैं । सुना है यार हमने भी यही वो डमरु वाले हैं ।।१ नज़र अब कुछ इधर डालें लगा #SunSet #शायरी

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जु़बाँ  मीठी  बगल  खंज़र  गले   में   सर्प   डाले  हैं ।
सुना  है  यार  हमने  भी  यही  वो  डमरु  वाले  हैं ।।१

नज़र अब  कुछ  इधर डालें  लगा  दो अर्ज़  मेरी भी।
सुना अक़्सर  उसी दर  से  सभी  पाते  निवाले  हैं ।।२

यही    हमको    निकालेंगे   कभी   बेटे  बडे़  होकर ।
अभी  जिनके  लिए  हमने  यहाँ  छोडे़  निवाले  हैं ।।३

नहीं रोने दिया  जिनको पिया  खुद आँख का पानी ।
दिखाते आँख अब  वो है कि हम  उनके हवाले हैं ।।४

किया है प्यार  कितना  मैं यहाँ तुम आज यह देखो ।
ग़मों की आग  में जलकर किया खुद को हवाले है ।।५

यहाँ तुमसे  भला  सुंदर  बताओ और क्या जग में ।
जहाँ  अब  नाम  से  तेरे  सदा  सजते  शिवाले  हैं ।।६

डगर अपनी चला चल तू न कर परवाह मंजिल की ।
किया  जिसने  यहाँ  शब  है वही  करता उजाले हैं । ७

सुनो  उनके   निवाले  हैं   हमारे  हाथ  की  रोटी ।
कभी  हमको   मिलें   रोटी  तुम्हारे  जो  हवाले हैं ।।८

नहीं  भाता  उन्हें  बर्गर  नहीं  भाता  उन्हें   पिज्जा ।
घरों  में  रोटियों   के  जिनके  पड़  जाते  लाले  हैं ।।९

                        महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR जु़बाँ  मीठी  बगल  खंज़र  गले   में   सर्प   डाले  हैं ।
सुना  है  यार  हमने  भी  यही  वो  डमरु  वाले  हैं ।।१

नज़र अब  कुछ  इधर डालें  लगा

B Pawar

👇यहां नीचे पूरा पढें। शीतल ,जल , गंग की धारा हरगिरि पे उसका जैकारा ॐ ॐ गूँजे ओंकारा हरगिरि पे उसका जैकारा #Shiva #yqhindi #yqquotes #शिव #omnamahshivay #भोलेनाथ #शिवशंभू #कैलाशपति

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शिव स्तुति

27/05/2018
🌐www.whosmi.wordpress.com
 👇यहां नीचे पूरा पढें।

शीतल ,जल , गंग की धारा
हरगिरि पे उसका जैकारा

ॐ ॐ गूँजे ओंकारा
हरगिरि पे उसका जैकारा

Shrikant Agrahari

माहेश्वर सूत्र (संस्कृत: शिवसूत्राणि या महेश्वर सूत्राणि) को संस्कृत व्याकरण का आधार माना जाता है। पाणिनि ने संस्कृत भाषा के तत्कालीन स्वरूप #yqbaba #yqdidi #yqmotivation #hkkhindipoetry #yqinspiration #श्रीsnsa

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यदि महेश्वर सूत्र न होता,,
यदि महर्षि पाणिनि न होते ,,
तो व्याकरण का मूल न होता।
शब्दों का कोई समूह न होता।।
लिपि के माध्यम से भावनाओ को 
व्यक्त करने की हमारी,सामर्थ्यता न होती।
अक्षर का मेल न होता,भाषाओ का खेल न होता।

    ©श्रीकान्त अग्रहरि
 Caption me bhi padhe माहेश्वर सूत्र (संस्कृत: शिवसूत्राणि या महेश्वर सूत्राणि) को संस्कृत व्याकरण का आधार माना जाता है। पाणिनि ने संस्कृत भाषा के तत्कालीन स्वरूप

Shrikant Agrahari

माहेश्वर सूत्र (संस्कृत: शिवसूत्राणि या महेश्वर सूत्राणि) को संस्कृत व्याकरण का आधार माना जाता है। पाणिनि ने संस्कृत भाषा के तत्कालीन स्वरूप #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #hkkhindipoetry #श्रीsnsa

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हिंदी काव्य कोश संगठन का,
सहृदय कोटि कोटि आभार🙏🙏 माहेश्वर सूत्र (संस्कृत: शिवसूत्राणि या महेश्वर सूत्राणि) को संस्कृत व्याकरण का आधार माना जाता है। पाणिनि ने संस्कृत भाषा के तत्कालीन स्वरूप
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