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Madanmohan Thakur (मैत्रेय)
डमरु के स्वर प्रवल नाद से
Nojoto Hindi (नोजोटो हिंदी)
हरिओम पंवार की कलम से प्रस्तुत है- किसी राजा या रानी के डमरु नही हैं हम दरबारों की नर्तकी के घुन्घरू नही हैं हम सत्ताधीशों की तुला के बट्टे
Bhuwnesh Joshi
शून्य से अनंत तक पालनकर्ता तू है काल भी कांपते हैं लोक तीनों जब डमरु पर देता ताल तू चंद्रमा विराजे मस्तक पर सिंघो की ओढ़े छाल भी महादेव मेरे शंकर है काल तू महाकाल तू शून्य से अनंत तक पालनकर्ता तू है काल भी कांपते हैं लोक तीनों जब डमरु पर देता ताल तू चंद्रमा विराजे मस्तक पर सिंघो की ओढ़े छाल भी महादेव मेर
Ram babu Ray
खुशी से नाचता कौन यहाँ ये बात जानता कौन यहाँ यहाँ जो तांडव होती हैं वो डमरु बजाता कौन यहाँ दास कौन हैं खास कौन हैं यहाँ राजा रंक फकीर कौन है कौन पहचाने कौन मदारी सब ढ़ोंगी हैं या व्यापारी मिठी बातों में करते धोखाधड़ी एक दूजे में फिर भी हैं यारी..!! ©Ram babu Ray खुशी से नाचता कौन यहाँ ये बात जानता कौन यहाँ यहाँ जो तांडव होती हैं वो डमरु बजाता कौन यहाँ दास कौन हैं खास कौन हैं यहाँ राजा रंक फकीर कौन
निखिल कुमार अंजान
वो ऊँ है निराकार है हर ज्योत मे है समाहित त्रिलोकी नाथ है देवों का देव महादेव कहलात है वह शिव शंकर भोले नाथ है है एक ऐसी ध्वनी जो चलती सदैव साथ है हिमालय की गुफाओं मे रहने वाला वो विश्व गुरु एंव परम पिता कहलात है सच्चा योगी भूत पिशाचों का नाथ है जटाओं मे माँ गंगा विराज है यह वही निलकंठ बाबा है जिन्होंने समुद्र मंथन से निकले विष को पीकर सृष्टि को बचात है गले मे रहता इनके शेष नाग है भस्म लगा देह पर अपनी गहरी साधना मे डूब जात है एक हाथ माला कमंडल दूजे मे डमरु रहत है तीसरा नेत्र जब इनका खुलत है रुष्ट हो जब इनका डमरु बजत है क्रोध से भरे बाबा करते जब तांडव फिर पूरा ब्रह्मांड है इनसे कांपत आदि शक्ति के है स्वामी गणपति एंव कार्तिकेय दो पुत्र है ज्ञानी नंदी इनके प्रमुख गण के रुप मे जाने जाते कालों के काल माहकाल कहलाते बाबा भोले जिस पर प्रसन्न हो जाते वह जीवन की दुविधा से तर जाते चलो बाबा को प्रसन्न है करते भोले मेरे मन मे है बसते महाशिवरात्रि बना बाबा की कृपा पाते शिव शंकर के गुणगान है गाते................. 💟💟💟👏👏👏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 #जयभोलेकी.......... #अंजान...... वो ऊँ है निराकार है हर ज्योत मे है समाहित त्रिलोकी नाथ है देवों का देव महादेव कहलात है वह शिव शंकर भोले नाथ है है एक ऐसी ध्वनी जो चलती सदैव
राम राम
जय माता दी राम जय श्री सीताराम सत्य विजय तिवारी करता है शायरी किसी को हमने कहा मैंने अपना बरसों पहले अब किसी अपने ने ही दिल तोड़ा है याद करके अभी भी दिल के जज्बात रोक नहीं पाया हूं दिल के हर दर्द को छलक ने दिया अपने आंखों से मैंने तब जाकर मुस्कुराया हूं किसी को अपना मत कहना अब हम अपने दिल को बहुत देर के बाद समझ आया हूं छलक गए आंखों से आंसू बनकर वह हर जज्बात तब जाकर मुस्कुराया मतलबी से मिलकर दिल ने एहसास किया अजनबी दुनिया कोई नहीं है अपना मिले हैं महादेव के चरणों में सारे संसार का सुख दिल ने यह हमारे अनुभव किया जय महादेव माता पार्वती की जय ॐ नमः शिवाय ईलू शायर ©राम राम जय शिव शंभू डमरु बजा कर पूरी दुनिया संसार को देखा करते हैं भगवान भोलेनाथ व्हाट्सएप नहीं चलाते हैं भोलेनाथ भगवान मोबाइल पर दिल से देखो सावन
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
जु़बाँ मीठी बगल खंज़र गले में सर्प डाले हैं । सुना है यार हमने भी यही वो डमरु वाले हैं ।।१ नज़र अब कुछ इधर डालें लगा दो अर्ज़ मेरी भी। सुना अक़्सर उसी दर से सभी पाते निवाले हैं ।।२ यही हमको निकालेंगे कभी बेटे बडे़ होकर । अभी जिनके लिए हमने यहाँ छोडे़ निवाले हैं ।।३ नहीं रोने दिया जिनको पिया खुद आँख का पानी । दिखाते आँख अब वो है कि हम उनके हवाले हैं ।।४ किया है प्यार कितना मैं यहाँ तुम आज यह देखो । ग़मों की आग में जलकर किया खुद को हवाले है ।।५ यहाँ तुमसे भला सुंदर बताओ और क्या जग में । जहाँ अब नाम से तेरे सदा सजते शिवाले हैं ।।६ डगर अपनी चला चल तू न कर परवाह मंजिल की । किया जिसने यहाँ शब है वही करता उजाले हैं । ७ सुनो उनके निवाले हैं हमारे हाथ की रोटी । कभी हमको मिलें रोटी तुम्हारे जो हवाले हैं ।।८ नहीं भाता उन्हें बर्गर नहीं भाता उन्हें पिज्जा । घरों में रोटियों के जिनके पड़ जाते लाले हैं ।।९ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR जु़बाँ मीठी बगल खंज़र गले में सर्प डाले हैं । सुना है यार हमने भी यही वो डमरु वाले हैं ।।१ नज़र अब कुछ इधर डालें लगा
B Pawar
शिव स्तुति 27/05/2018 🌐www.whosmi.wordpress.com 👇यहां नीचे पूरा पढें। शीतल ,जल , गंग की धारा हरगिरि पे उसका जैकारा ॐ ॐ गूँजे ओंकारा हरगिरि पे उसका जैकारा
Shrikant Agrahari
यदि महेश्वर सूत्र न होता,, यदि महर्षि पाणिनि न होते ,, तो व्याकरण का मूल न होता। शब्दों का कोई समूह न होता।। लिपि के माध्यम से भावनाओ को व्यक्त करने की हमारी,सामर्थ्यता न होती। अक्षर का मेल न होता,भाषाओ का खेल न होता। ©श्रीकान्त अग्रहरि Caption me bhi padhe माहेश्वर सूत्र (संस्कृत: शिवसूत्राणि या महेश्वर सूत्राणि) को संस्कृत व्याकरण का आधार माना जाता है। पाणिनि ने संस्कृत भाषा के तत्कालीन स्वरूप
Shrikant Agrahari
हिंदी काव्य कोश संगठन का, सहृदय कोटि कोटि आभार🙏🙏 माहेश्वर सूत्र (संस्कृत: शिवसूत्राणि या महेश्वर सूत्राणि) को संस्कृत व्याकरण का आधार माना जाता है। पाणिनि ने संस्कृत भाषा के तत्कालीन स्वरूप