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Parasram Arora
रामलीला का खेल बिना राम बिना रावण चलेगा कैसे. लीला चलेगी नही देर तक और न इंच भर भी आगे खिसक पाएगी दर्शक दीरघा में बैठी जनता पहले ही उठ जायेगी क्योंकि सीता अभी तक चुराई नही गई और रावण भी अब तक मंच पर पंहुचा नही हैं युद्ध की घड़ी भी टली जा रही हैं धनुरधारी राम अभी भी मंच पर मौन साधे बैठे हैँ और कोई लीला अब तक वहा घटी नही हैं ©Parasram Arora रामलीला.....
Rupa Jha
राम की लीला राम ही जाने कैसे कैसे खेल रचाता और जाने लीला राम को क्यों उसके मन को है लुभाता ©Rupa Jha #रामलीला
Sunita
पुरुषोत्तम कोउश्लेश्वर हूं मैं परम भक्त कपेशर भी मै... विवश नार सीता हूं मैं पुत्र वियोगी पिता भी मै.... घर का भेदी विभीषण हूं मैं भ्राता निष्ट लखन भी मैं.... लपटो में जलती लंका हूं मैं अवध के मन की शंका भी मैं अहिल्या सी अटल शिला हूं मैं हर पल घटित रामलीला भी मैं ©Sunita रामलीला
Arora PR
कलयुग की रामलीला मे रावन्न जरूरत से ज्यादा. सशक्त है और राम के इन दिनों. उपवास चल रहे है ©Arora PR i रामलीला
Sopiya_Uday
अर्ज़ किया है कि... FACEBOOK पे ना कीजिये तुम पिया मिलन की आस! चैट करोगे तुलसी से निकलेगा तुलसीदास!! #तुलसीदास!!
Vikas Sharma Shivaaya'
सावन महीने के शुक्लपक्ष की सप्तमी तिथि को तुलसीदास जी जन्म हुआ था। तुलसीदास जी के बचपन का नाम रामबोला था। इनका विवाह रत्नावली नाम की अति सुंदर कन्या से हुआ, विवाह के बाद रामबोला गृहस्थ जीवन और पत्नी के प्रेम में ऐसे डूबे की उन्हें दुनिया-जहान और लोक मर्यादा का होश ही नहीं रहा। एक बार इनकी पत्नी मायके आईं तो कुछ समय बाद ही यह बेचैन हो उठे और पत्नी से मिलने चल पड़े,रास्ते में तेज बरसात होने लगी फिर भी इनके कदम नहीं रुके और लगातार चलते हुए नदी तट पर पहुंच गए। सामने उफनती हुई नदी थी लेकिन मिलन की ऐसी दीवानगी छाई हुई थी कि नदी में बहकर आती लाश को पकड़कर नदी पार कर गए, देर रात जब पत्नी के घर पहुंचे तो सभी लोग सो चुके थे- घर का दरवाजा भी बंद हो चुका था। तुलसी जी को समझ नहीं आ रहा था कि कैसे पत्नी के कक्ष तक पहुंचा जाए,तभी सामने खिड़की से लटकती रस्सी जानकर सांप का पूंछ पकड़ लिया और इसी के सहारे पत्नी के कक्ष तक पहुंच गए। पत्नी ने जब रामबोला को विक्षिप्त हालात में अपने पास आया देखा तो अनादर करते हुए कहा कि- ‘अस्थि चर्म मय देह यह,ता सों ऐसी प्रीति नेकु जो होती राम से, तो काहे भव-भीत।।’ यानी इस हाड मांस की देह से इतना प्रेम, अगर इतना प्रेम राम से होता तो जीवन सुधर जाता,’ पत्नी का इतना कहना था कि रामबोला का अंतर्मन जग उठा और वह एक पल भी वहां रुके बिना राम की तलाश में चल दिए और राम से ऐसी प्रीत लगी कि जहां भी रामकथा होती है वहां राम के साथ तुलसीदास जी का भी नाम लिया जाता है। 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' तुलसीदास