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Mann Joshi
बेचैनियों के समंदर में हिचकोले खाती यादों की लहर जान ही ले जाता है दूरियों में बसा खामोशियों का ये शहर न आये वो न लौटेंगे कभी ख्वाबों के उजड़े इस अंजुमन में जाने क्यों तन्हा खोया है फ़िक्र से इसक़दर भरी महफ़िल में बेचैनियों का समंदर
Priya Prasad
कहो? कहां समेटू अपनी बेचैनियों को जो इस प्रहर निहारता है, शांत होते हैं सभी और अंखियन तुम्हें पुकारता है सो चुके होंगे तुम कहीं अब मेरी पलकें ये कैसी राह निहारता है लौट जाती है रात्रि यूं ही फिर एक नई आस क्यों इस दिल को भाता है लौट आओ तुम ये कहां लब्ज कह पाता है फिर ये दूरियों को क्यो हदय सहेज लाता है Priya prasad ✍️ ©Priya Prasad #safarnama मेरी बेचैनियों का
Dr.ShiviGolu
खामोशियां चुपचाप बोल गई कानो में जिंदगी बेचैनियों का नाम है... .#Gudiya खामोशियां चुपचाप बोल गई कानो में जिंदगी बेचैनियों का नाम है... .
gudiya
सूकून नहीं साँसों को कुछ बेचैनियों का डेरा लगा है फिलहाल यहाँ ! ©gudiya सूकून नहीं साँसों को कुछ बेचैनियों का डेरा लगा है फिलहाल यहाँ ! #together #nojotoquote #Nojoto #nojotohindi Internet Jockey
Anamika
सूकूंन की तलाश में, दूढंती रही इधर उधर मिली वो कहीं नहीं ,मिली वो मेरे ही भीतर मृगतृष्णा में भटकती फिरी, चंचलता टिकी नहीं खुशियों की कस्तूरी , मिली वो मेरे ही भीतर प्रतिपल बेचैनियां पलती रही, रतजगे बढ़ते रहे, खिलखिलाहट वो अधूरी, मिली वो मेरे ही भीतर #बैचेनी #खामोशियां #कस्तूरीमृगतृष्णा #मन भटकता है चारों ओर #बेचैनियों का है उठता शोर #व्यस्त जीवन में अपने लिए समय नहीं #तूलिका पर मेरी शाय
सुसि ग़ाफ़िल
मैं हर वक्त तेरे साथ हूं मिरी ज़ान ख़ुदा के सज़दे से कच्चे रस्ते तक तुम जिक्र किया करो बेचैनियों का मैं साथ हूं ना जख्मों से म़रहम़ तक मैं हर वक्त तेरे साथ हूं मिरी ज़ान ख़ुदा के सज़दे से कच्चे रस्ते तक तुम जिक्र किया करो बेचैनियों का मैं साथ हूं ना जख्मों से म़रहम़ तक
Mithilesh Rai
तुम मुझको देखकर भी ठहरते नहीं हो। तुम मेरे सामने कभी रहते नहीं हो। बेचैनियों का शोर है ख़्यालों में मगर- तुम अपनी जुबां से कभी कहते नहीं हो।
Mithilesh Rai
तुम मुझको देखकर भी ठहरते नहीं हो। तुम मेरे सामने कभी रहते नहीं हो। बेचैनियों का शोर है ख़्यालों में मगर- तुम अपनी जुबां से कभी कहते नहीं हो। मुक्तककार- #मिथिलेश_राय तुम मुझको देखकर भी ठहरते नहीं हो। तुम मेरे सामने कभी रहते नहीं हो। बेचैनियों का शोर है ख़्यालों में मगर- तुम अपनी जुबां से कभी कहते नहीं हो।