Nojoto: Largest Storytelling Platform

New घर द्वार Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about घर द्वार from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, घर द्वार.

    PopularLatestVideo
7b14831f9a6792450108ce05f871b308

RAHUL VERMA

दिल का कितना साफ और अच्छा होता है मकान…
जब वह बूढ़ा होने लगता है ,उनकी दीवारों पर पपड़ियां उतरने लगती है ,उनमे सिलन पड़ने लगती है बरसो पुताई नही होती फिर भी मकान कोई शिकायत नही करती…और उस छोटे से घर के हर कमरे की अपनी कहानी होती है…! घर द्वार

घर द्वार

0 Love

288beb921fd35bb6a5e4d34d2fd20cbe

cldeewana

#jaishreekrishna घर द्वार खुशहाल रहता है

#jaishreekrishna घर द्वार खुशहाल रहता है #ਸਸਪੈਂਸ

81 Views

0b94d085fce355a10a979fb434f6d2b4

@thewriterVDS

"जॉन एलिया"

बे-क़रारी सी बे-क़रारी है 
वस्ल है और फ़िराक़ तारी है 

जो गुज़ारी न जा सकी हमसे 
हमने वो ज़िंदगी गुज़ारी है 

निघरे क्या हुए कि लोगों पर 
अपना साया भी अब तो भारी है 

बिन तुम्हारे कभी नहीं आई 
क्या मेरी नींद भी तुम्हारी है 

आप में कैसे आऊँ मैं तुझ बिन 
साँस जो चल रही है आरी है 

उस से कहियो कि दिल की गलियों में 
रात दिन तेरी इंतिज़ारी है

हिज्र हो या विसाल हो कुछ हो 
हम हैं और उस की यादगारी है 

इक महक सम्त-ए-दिल से आई थी 
मैं ये समझा तिरी सवारी है 

हादसों का हिसाब है अपना 
वर्ना हर आन सब की बारी है 

ख़ुश रहे तू कि ज़िंदगी अपनी 
उम्र भर की उमीद-वारी है

"जॉन एलिया"

©@thewriterVDS वस्ल - मिलन
फिराक तारी - जुदाई/वियोग
निघरे - घर द्वार रहित
हिज्र - जुदाई/वियोग
विसाल - मिलन
सम्त - दिशा, ओर, तरफ़, रास्ता
तिरी - घोड़ी
#Book

वस्ल - मिलन फिराक तारी - जुदाई/वियोग निघरे - घर द्वार रहित हिज्र - जुदाई/वियोग विसाल - मिलन सम्त - दिशा, ओर, तरफ़, रास्ता तिरी - घोड़ी Book #ghazal #poem #जॉनएलिया #BookLife

2,193 Views

93427a22f37cd2530930049a4f625c01

Lalji Prjapati

बेटा चला परदेस तो मां के आंखों में आंसू आ जाते हैं बेटा बोला मां आपका चरणों का सौगंध मैं लौट कर जल्द से जल्द आऊंगा

©Lalji Prjapati मां की कहानी बेटा का प्यार छोड़ दिया अपना दूसरा बनाया घर द्वार

#LastNight

मां की कहानी बेटा का प्यार छोड़ दिया अपना दूसरा बनाया घर द्वार #LastNight #प्रेरक

2 Love

2f34cb1928484453eb7cb6d7388168f5

Dr Vassundhara Rai

इतराती कूरूप राजनीति उतर गरी बाज़ार में
नेता कहे रुपया दो कर लो सरकार में 
उल्लु सीधा होने तक  पहुंचे हर घर द्वार में 
कुर्सी के चक्कर में नेता छोड़ गये मझधार में

Dr Vassundhara Rai इतराती कूरूप राजनीति उतर गरी बाज़ार में
नेता कहे रुपया दो कर लो सरकार में 
उल्लु सीधा होने तक  पहुंचे हर घर द्वार में 
कुर्सी के चक्कर में न

इतराती कूरूप राजनीति उतर गरी बाज़ार में नेता कहे रुपया दो कर लो सरकार में उल्लु सीधा होने तक पहुंचे हर घर द्वार में कुर्सी के चक्कर में न

6 Love

a70ed049b35438766cd6d0b61cf40db9

HINDI SAHITYA SAGAR

तेरे भरोसे ही हमने छोड़ दिया घर-द्वार।
बेसुध, बेकल, बेतहाशा हो गयी हूँ लाचार।
होली बीती, बीती दीवाली, बीता हर त्योहार।
प्रियतम मेरे तब आये, जब छोड़ रही संसार।

©HINDI SAHITYA SAGAR
  #Chhuan 
तेरे भरोसे ही हमने छोड़ दिया घर-द्वार।
बेसुध, बेकल, बेतहाशा हो गयी हूँ लाचार।
होली बीती, बीती दीवाली, बीता हर त्योहार।
प्रियतम मेरे

#Chhuan तेरे भरोसे ही हमने छोड़ दिया घर-द्वार। बेसुध, बेकल, बेतहाशा हो गयी हूँ लाचार। होली बीती, बीती दीवाली, बीता हर त्योहार। प्रियतम मेरे #Hindi #poem #शायरी #hindi_poetry #hindi_shayari #hindisahityasagar #poetshailendra

232 Views

a70ed049b35438766cd6d0b61cf40db9

HINDI SAHITYA SAGAR

तेरी ख़ुशी में हँसू , रोये तो रोऊँ मैं,
तेरे लिए ही हमदम,घर-द्वार छोडूं मैं,
कहता हूँ दिल से डूबा तेरे प्यार में,
तेरे जैसा कोई नहीं इस संसार में..

©HINDI SAHITYA SAGAR
  #Youme 
तेरी ख़ुशी में हँसू , रोये तो रोऊँ मैं,
तेरे लिए ही हमदम,घर-द्वार छोडूं मैं,
कहता हूँ दिल से डूबा तेरे प्यार में,
तेरे जैसा कोई नहीं

#Youme तेरी ख़ुशी में हँसू , रोये तो रोऊँ मैं, तेरे लिए ही हमदम,घर-द्वार छोडूं मैं, कहता हूँ दिल से डूबा तेरे प्यार में, तेरे जैसा कोई नहीं #Hindi #poem #शायरी #Khushi #hindi_poetry #hindisahityasagar

329 Views

a698afa11ab61b0357dc9c391e228c53

Pranshul Gupta

फूलो से सुशोभित हो जाये जहां सारा दीपो से जगमगाये ये संसार प्रार्थना करता मै सद मन से माँ लक्ष्मी सरस्वती सगं आये गणेश जी आपके घर द्वार

फूलो से सुशोभित हो जाये जहां सारा दीपो से जगमगाये ये संसार प्रार्थना करता मै सद मन से माँ लक्ष्मी सरस्वती सगं आये गणेश जी आपके घर द्वार

undefined Views

52c30b752d8f881e4ae15a0e473d8dd2

Deepika Ameta

बेटी मुस्कुराता महक बिखेरता अनोखा  फूल हैं...
बेटी सभीकी ज़िन्दगी की हर स्थिती में अनुकुल हैं....
घर द्वार की रौनक ओर सुकुन देती अद्भूत चहक हैं...
बिन बेटी के जीवन की कल्पनाएँ  मात्र इंसानी भूल हैं ...

दीपिका आमेटा  तिवारी....

©Deepika Ameta
  #बेटी मुस्कुराता महक बिखेरता अनोखा  फूल हैं...
बेटी सभीकी ज़िन्दगी की हर स्थिती में अनुकुल हैं....
घर द्वार की रौनक ओर सुकुन देती अद्भूत चहक

#बेटी मुस्कुराता महक बिखेरता अनोखा फूल हैं... बेटी सभीकी ज़िन्दगी की हर स्थिती में अनुकुल हैं.... घर द्वार की रौनक ओर सुकुन देती अद्भूत चहक #कविता

27 Views

e1693d3ec3c96e91f55d4c974ae6d15f

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मनहरण घनाक्षरी :-

बहू के वह रूप में , 
खड़ी जो वह धूप में ,
काहे नहीं आप उसे ,
 बेटी अब मानते ।

घर द्वार छोड़ आयी , 
राह सभी मोड़ आयी ,
क्या उसका बलिदान , 
आप नहीं जानते ।

आँचल फैलाये है जो  , 
शीश ये झुकाए है जो  ,
घर की है अब लक्ष्मी , 
नहीं पहचानते ।

बेटियाँ बचाओ  सब , 
बेटियाँ पढ़ाओ सब ,
क्यों न यही आखिर में , 
आप लोग  ठानते ।।

०९/१२/२०२३      -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी :-

बहू के वह रूप में , 
खड़ी जो वह धूप में ,
काहे नहीं आप उसे ,
 बेटी अब मानते ।

घर द्वार छोड़ आयी ,

मनहरण घनाक्षरी :- बहू के वह रूप में , खड़ी जो वह धूप में , काहे नहीं आप उसे , बेटी अब मानते । घर द्वार छोड़ आयी , #कविता

15 Love

a70ed049b35438766cd6d0b61cf40db9

HINDI SAHITYA SAGAR

तेरी ख़ुशी में हँसू , रोये तो रोऊँ मैं,
तेरे लिए ही हमदम,घर-द्वार छोडूं मैं,
कहता हूँ दिल से डूबा तेरे प्यार में,
तेरे जैसा कोई नहीं इस संसार में..

©HINDI SAHITYA SAGAR
  #mohabbat 
तेरी ख़ुशी में हँसू , रोये तो रोऊँ मैं,
तेरे लिए ही हमदम,घर-द्वार छोडूं मैं,
कहता हूँ दिल से डूबा तेरे प्यार में,
तेरे जैसा कोई नह

#mohabbat तेरी ख़ुशी में हँसू , रोये तो रोऊँ मैं, तेरे लिए ही हमदम,घर-द्वार छोडूं मैं, कहता हूँ दिल से डूबा तेरे प्यार में, तेरे जैसा कोई नह #Hindi #hindi_poetry #लव #hindi_shayari #hindisahityasagar

129 Views

e8394e3da644cb85dd4f63a7e5f12e0e

Sahendra Bhaiya Goarhkpur

सीडीएस बिपिन रावत की शहादत पर हंसने वाले हर देशद्रोही को सजा मिलनी चाहिए साथ में उसका घर द्वार बिकना चाहिए बाबा योगी जी के स्टाइल में भारत स

सीडीएस बिपिन रावत की शहादत पर हंसने वाले हर देशद्रोही को सजा मिलनी चाहिए साथ में उसका घर द्वार बिकना चाहिए बाबा योगी जी के स्टाइल में भारत स #विचार

27 Views

a70ed049b35438766cd6d0b61cf40db9

HINDI SAHITYA SAGAR

चुप थे तेरे भरोसे ही हमने छोड़ दिया घर-द्वार।
बेसुध, बेकल, बेतहाशा हो गयी हूँ लाचार।
होली बीती, बीती दीवाली, बीता हर त्योहार।
प्रियतम मेरे आ जाओ अब रहती हूँ बीमार।

©HINDI SAHITYA SAGAR
  #PoetInYou  #SAD  #अकेलापन 
तेरे भरोसे ही हमने छोड़ दिया घर-द्वार।
बेसुध, बेकल, बेतहाशा हो गयी हूँ लाचार।
होली बीती, बीती दीवाली, बीता हर त्य

#PoetInYou #SAD #अकेलापन तेरे भरोसे ही हमने छोड़ दिया घर-द्वार। बेसुध, बेकल, बेतहाशा हो गयी हूँ लाचार। होली बीती, बीती दीवाली, बीता हर त्य #Hindi #poem #alone #शायरी #hindi_poetry #hindi_shayari #poetshailendra

466 Views

e1693d3ec3c96e91f55d4c974ae6d15f

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

जीवन की बगिया लुटी , छोड़ गये जो आप ।
बिना आपके ज़िंदगी ,  जैसे हो  अभिशाप ।।

सूना-सूना  अब  मुझे , लगता  है  घर-द्वार ।
बिना आपके अब मुझे , करें न कोई  प्यार ।।

                  महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मे रे पूज्य बाबा जी , मेरे जीवन आदर्श !
स्वर्गीय राम लखन सिंह ,

जीवन की बगिया लुटी , छोड़ गये जो आप ।
बिना आपके ज़िंदगी ,  जैसे हो  अभिशाप ।।

मे रे पूज्य बाबा जी , मेरे जीवन आदर्श ! स्वर्गीय राम लखन सिंह , जीवन की बगिया लुटी , छोड़ गये जो आप । बिना आपके ज़िंदगी , जैसे हो अभिशाप ।। #कविता

10 Love

e1693d3ec3c96e91f55d4c974ae6d15f

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कृपा करे जगदीश अब , माँग रहा वरदान ।
गुरुवर का मेरे सदा , गिरधर रखना ध्यान ।।

वैवाहिक शुभकामना , करो आप स्वीकार ।
दोहा छन्द सृजन किए , ले आया उपहार ।।

सुखी रहें गुरुदेव जी , विनय सुनें रघुनाथ ।
साथ बनाये ये रखें , रहे हाथ में हाथ ।।

मंगल उनके काज हो , मंगल मय घर द्वार ।
खुशियाँ आँगन में रहें , बरसे प्रेम अपार ।।

शुभ दिन की शुम कामना , दे सुंदर संदेश ।
काज सभी उत्तम रहें , कह दें आज गणेश ।।

प्रेम डाल खिलते रहें , सदा सुगंधित फूल ।
कभी भूल से भी नहीं , आएं पथ में शूल ।।

१८/०४/२०२३   -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कृपा करे जगदीश अब , माँग रहा वरदान ।
गुरुवर का मेरे सदा , गिरधर रखना ध्यान ।।

वैवाहिक शुभकामना , करो आप स्वीकार ।
दोहा छन्द सृजन किए , ले आ

कृपा करे जगदीश अब , माँग रहा वरदान । गुरुवर का मेरे सदा , गिरधर रखना ध्यान ।। वैवाहिक शुभकामना , करो आप स्वीकार । दोहा छन्द सृजन किए , ले आ #कविता

14 Love

c6d7c7ba145bb2b770f3944853cccf0a

Ravi Sharma

आप हैं तो परिवार है ,
आप इसका आधार हैं 
आप तो मेरी दुनिया है
आप ही इसके शाहकार हैं।।

आप हैं तो परिवार है...

आप ही निकेतन, 
आप संसार हैं 
आप से सारी खुशियां
आप से ये घर-द्वार है।

आप हैं तो परिवार है...

©Ravi Sharma
  #boat आप हैं तो परिवार है ,
आप इसका आधार हैं 
आप तो मेरी दुनिया है
आप ही इसके शाहकार हैं।।

आप हैं तो परिवार है...

आप ही निकेतन,

#boat आप हैं तो परिवार है , आप इसका आधार हैं आप तो मेरी दुनिया है आप ही इसके शाहकार हैं।। आप हैं तो परिवार है... आप ही निकेतन, #शायरी

661 Views

e1693d3ec3c96e91f55d4c974ae6d15f

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कट जायेंगे दिन सभी , चले आप हम साथ ।
छूट न पाये बस कभी , इन हाथों से हाथ ।।
तुमको पाकर ही यहां, निकला जीवन अर्थ ।
अब तो लगता है हमें , तुम बिन जीवन व्यर्थ ।।
संग तुम्हारे हो नहीं ,खुशियों का अब अंत ।
तुमको पाकर आज जो , खुशियाँ मिली अनंत ।।
कभी-कभी मन में उठे , मेरे अब संताप ।
जाने कब किसको यहाँ , करना पड़े विलाप ।।
दिन जीवन के चार है , छोड़ो ये घर द्वार ।
हम तुम दोनों से यहां , कोई करें न प्यार ।।
आओ अपनी प्रीति की , अलग करे पहचान ।
हम तुम दोनों संग में , करे प्राण बलिदान ।।
१५/०३/२०२४     -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कट जायेंगे दिन सभी , चले आप हम साथ ।
छूट न पाये बस कभी , इन हाथों से हाथ ।।
तुमको पाकर ही यहां, निकला जीवन अर्थ ।
अब तो लगता है हमें , तुम ब

कट जायेंगे दिन सभी , चले आप हम साथ । छूट न पाये बस कभी , इन हाथों से हाथ ।। तुमको पाकर ही यहां, निकला जीवन अर्थ । अब तो लगता है हमें , तुम ब #कविता

14 Love

9a47453ea76563aa132a1ca409a642c8

Sanket Bharti

बाद विचित्र ये संसार है
Poem इन कैप्शन



 चुन रहा है घर किसी का,
जिसका छत बिना परिवर्तन है।
खाई गहरी है गरीब अमीर की,
बड़ा विचित्र ये संसार है।

कंबल बेच कर कोई,
ठण्ड से मर रहा।
दकए ब

चुन रहा है घर किसी का, जिसका छत बिना परिवर्तन है। खाई गहरी है गरीब अमीर की, बड़ा विचित्र ये संसार है। कंबल बेच कर कोई, ठण्ड से मर रहा। दकए ब

0 Love

e1693d3ec3c96e91f55d4c974ae6d15f

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#KisanDiwas  हल  जोंठ  कस्सी  अब,
मेरे  ही  खिलौने    सब,
 खेत  खलिहान  देख,
यही     मेरे     मेले    है ।।

मेरी  दुनिया  को  देख,
करे   सभी   मतभेद ,
 समझो इंसान  उसे ,
उर से क्यूँ खेले है ।

सबको मैं देता  अन्न,
होता जग  है  प्रसन्न ,
फिर इस दुनिया में ,
किसान अकेले   है ।

हम  साथी  मिट्टी यार,
इसी का  है  घर  द्वार,
देखे  कोई   हीन  भाव, 
पाले  क्यूँ  झमेले   है ।

                 महेन्द्र सिंह चौहान

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR *हल  जोंठ  कस्सी  अब,*
*मेरे  ही  खिलौने    सब,*
 *खेत  खलिहान  देख,*
*यही     मेरे     मेले    है ।।*

*मेरी  दुनिया  को  देख,*
*करे   सभी

*हल जोंठ कस्सी अब,* *मेरे ही खिलौने सब,* *खेत खलिहान देख,* *यही मेरे मेले है ।।* *मेरी दुनिया को देख,* *करे सभी #कविता #kisan_diwas #Kisandiwas

7 Love

84932db63a90fd95bc0caa93f8b4a6d2

Seema Katoch

देख कर अपनी
धन की पोटली आज,हुआ कुछ गुमान....
बैठ गई अकड़ के करने सबका हिसाब 
पर....
पर कैसे चुकाऊं ??
उन सांसों का ऋण,जो ले रही हूं
मैं हर पल, हर दिन ,
क्या दूं उस हवा को,जो निर्बाध दे रही
मुझे मेरा जीवन.....
और कैसे चुकाऊं ??
उस प्रसव पीड़ा का कर्ज
जिससे फूटा हर अंकुर
सजता मेरी थाली में,
क्या दूं उस धरा को
जिससे  मेरे जीवन में
है हर पल मुस्कान.....
क्या मोल चुकाऊं ??
सूरज की उष्णता का
जो बिना देर किए,
हर रोज आता 
मेरे घर द्वार....
पानी की शीतलता की
क्या लगाऊं कीमत ??
तुम अगर बता सको 
तो मुझे भी देना सुझाव....
कैसे चुकाऊं ??
इनका एहसान जो
बिना एहसास दिलाए
बस दे रहे मुझे
हर दिन लगातार  ।।
 देख कर अपनी
धन की पोटली आज,
हुआ कुछ गुमान....
बैठ गई अकड़ के
करने सबका हिसाब 
पर....
पर कैसे चुकाऊं ??
उन सांसों का ऋण

देख कर अपनी धन की पोटली आज, हुआ कुछ गुमान.... बैठ गई अकड़ के करने सबका हिसाब पर.... पर कैसे चुकाऊं ?? उन सांसों का ऋण #yqbaba #yqdidi

0 Love

e1693d3ec3c96e91f55d4c974ae6d15f

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल:-
कैसे गले लगे हो गद्दार की तरह से ।
दिल से जरा लगो तो दिलदार की तरह से ।।१

हमसे नही छुपाओ बातें कभी जिया की ।
खुलकर कहो मिरी जाँ हकदार की तरह से ।।२

उड़ती हुई सुनी है हमने यही खबर कल ।
चर्चा हुआ तुम्हारा कचनार की तरह से ।।३

घर द्वार चाहिए तो आना कभी नगर में ।
सब कुछ तुम्हें मिलेगा परिवार की तरह से ।।४

जीवन यहाँ हमीं ने अपना सुनो डुबाया ।
अब दोष दे किसे हम पतवार की तरह से ।।५

पहली दफा मिली थी उनसे सुनों नज़र यह ।
जिस पर किया भरोसा गंवार की तरह से ।।६

छल कर चले गये हैं रिश्ते सभी प्रखर को ।
अच्छा प्रयोग है ये व्यापार की तरह से ।।७

०७/०७/२०२३     -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल:-
कैसे गले लगे हो गद्दार की तरह से ।
दिल से जरा लगो तो दिलदार की तरह से ।।१

हमसे नही छुपाओ बातें कभी जिया की ।
खुलकर कहो मिरी जाँ हकदार

ग़ज़ल:- कैसे गले लगे हो गद्दार की तरह से । दिल से जरा लगो तो दिलदार की तरह से ।।१ हमसे नही छुपाओ बातें कभी जिया की । खुलकर कहो मिरी जाँ हकदार #शायरी

12 Love

5da66cbf310ea71d266a7b10620011b5

Shivam Mishra

मुझे काट भी दोगे तो क्या मिलेगा 
धतूरा तो सदा कड़वा ही लगेगा 

मेरा विष तो सदा बस इसी काम आयेगा 
बड़े से बड़ा विष मुझसे उतर जायेगा 

दर्द तो यही है ज़िसका उतारा था कभी विष मैने कभी 
उसी ने कहा हर दफा काँटा है उखाड़ फेंको इसके रहने मेरा घर द्वार बिगड़ जायेगा 

बड़े से बड़ा विष मुझसे उतर जायेगा 

©शिवम मिश्र मुझे काट भी दोगे तो क्या मिलेगा 
धतूरा तो सदा कड़वा ही लगेगा 

मेरा विष तो सदा बस इसी काम आयेगा 
बड़े से बड़ा विष मुझसे उतर जायेगा 

दर्द तो यह

मुझे काट भी दोगे तो क्या मिलेगा धतूरा तो सदा कड़वा ही लगेगा मेरा विष तो सदा बस इसी काम आयेगा बड़े से बड़ा विष मुझसे उतर जायेगा दर्द तो यह

13 Love

ac223a202077f1210a6d53e3bdd499f3

#maxicandragon

ghar quotes in hindi दिन हो चाहे रात हो मेरी
वो दृश्य  दिखाई देता है 
पार करुँ जब देहरी अपनी
वो द्वार दिखाई देता है 
सुनसान पडा दिखता खंडहर सा 
बस पंछी कोलाहल करते हैं 
क्यों नहीं आता अब कोई
क्या पूर्व कर्मो से डरते हैं 
किया भी होगा ,कोई कपट तो 
तुम स्वामी हो सब धरने के 
कुकर्म करेंगे, तय तुम्हारा 
मिले, नर्क तुम्हें मरने पे 
आओ छोडो छाडो, सालों
बंद पडे घर द्वार है 
तुम अधिकारी तुम ही भक्षक
तुम्हारा ही अधिकार है 
लूट खसूट बेच दो सारे
साजो सामान बेकार है 
यादों कि कुछ फटी पुरानी 
अंदर मेरी दो चार हैं 
वो लेकर मैं जब जाऊंगा
फिर वापस फिर न आऊंगा
अंतिम तिथि मैं देख रहा हूँ 
फिर दूर कहीं जाना है 

बंद पडे घर द्वार है कबसे
वो द्वार दिखाई देता है ..... .  

#घर_द्वार
#sadharanmanushya

©#maxicandragon दिन हो चाहे रात हो मेरी
वो दृश्य  दिखाई देता है 
पार करुँ जब देहरी अपनी
वो द्वार दिखाई देता है 
सुनसान पडा दिखता खंडहर सा 
बस पंछी कोलाहल कर

दिन हो चाहे रात हो मेरी वो दृश्य दिखाई देता है पार करुँ जब देहरी अपनी वो द्वार दिखाई देता है सुनसान पडा दिखता खंडहर सा बस पंछी कोलाहल कर #Memories #darkness #ghar #Sadharanmanushya #घर_द्वार #ghardwar

10 Love

66f97ee7ddc3443b73a6e964eb55b416

Bharat Bhushan pathak

अंतस क्यों यह भाव जगा अब जीव चराचर क्रंदन काहे।
मानुष जंगल काट रहा सब छोड़ रहे कुटिया अनचाहे।।
सूख रहे सब ताल नदी जल संभव ना अब है मनचाहे ।
नाश रहे घर-द्वार सभी अब जाय जहाँ खग-वृंदन चाहे।।

दंभ दिखावन को अपना सब मार रहे जल पावन आशा।
दानव लालच घेर रहा जल संकट कारण घोर निराशा।।

©Bharat Bhushan pathak
  अंतस क्यों यह भाव जगा अब जीव चराचर क्रंदन काहे।
मानुष जंगल काट रहा सब छोड़ रहे कुटिया अनचाहे।।
सूख रहे सब ताल नदी जल संभव ना अब है मनचाहे ।

अंतस क्यों यह भाव जगा अब जीव चराचर क्रंदन काहे। मानुष जंगल काट रहा सब छोड़ रहे कुटिया अनचाहे।। सूख रहे सब ताल नदी जल संभव ना अब है मनचाहे । #कविता #nojotopoetry #nojotohindi #nojotoquotes #deforestation #nojotoDilSe #andaazebayaan #nojotohindi2020 #nojotopoetry2021 #मत्तगयंदसवैयाछंद #chhandgyaan

627 Views

8aeff290676734e1a4e1c93704a0719c

Kulbhushan Arora

Amma ka
Birthday week



Ek प्रार्थना🙏🏼🙏🏼 दिल को...
कागज़ की कश्ती बना कर,
मन से शुद्ध भावनाएं भर कर,
भेज दी कश्ती तेरे घर द्वार,
इसमें लदा है हम सबका प्यार,
सब कर रहे हैं तेरी प्रती

दिल को... कागज़ की कश्ती बना कर, मन से शुद्ध भावनाएं भर कर, भेज दी कश्ती तेरे घर द्वार, इसमें लदा है हम सबका प्यार, सब कर रहे हैं तेरी प्रती #yqdidi #yqquotes #yqकुलभूषण #yqअम्मा

0 Love

e1693d3ec3c96e91f55d4c974ae6d15f

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

आओ भोलेनाथ जी , घर नंदी के साथ ।
मिलकर अब सेवा करे , देखो दोनो हाथ ।।

हर हर गंगे जप चले , नभ तक हो आवाज ।
हे त्रिपुरारी आपका , पूर्ण जगत पे राज ।।

आयी है शिवरात्रि ये , भक्त करे यशगान ।
शिवशंभू ये देख कर , देते हैं वरदान ।।

गौरी-शंकर आज तो , छोड़ दिए कैलास ।
देख रहे करके भ्रमण , भक्तो के आवास ।।

आयी माँ गौरी यहाँ , होकर सिंह सवार ।
देख रही हैं भक्त का , वह अपने घर द्वार ।।

०८/०२/२०२४    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR आओ भोलेनाथ जी , घर नंदी के साथ ।
मिलकर अब सेवा करे , देखो दोनो हाथ ।।

हर हर गंगे जप चले , नभ तक हो आवाज ।
हे त्रिपुरारी आपका , पूर्ण जगत पे

आओ भोलेनाथ जी , घर नंदी के साथ । मिलकर अब सेवा करे , देखो दोनो हाथ ।। हर हर गंगे जप चले , नभ तक हो आवाज । हे त्रिपुरारी आपका , पूर्ण जगत पे #कविता

10 Love

01dd7f4b33be4c499170710d8e037264

Pnkj Dixit

🌷 प्रेम डगर है बड़ी कठिन🌷

जंगल-जंगल  बस्ती- बस्ती 
ढूंढे  मोहे  रे  सजनिया
कोई उसको जा के कह दे  
मोहे ना खबरिया 
वो तो है  काबुल की बुलबुल  
मेरी प्यारी - सी सजनियाँ
पांव में उसके छाले पड़ गए   
हाथों में लग गई कंटियाँ
कोई तो उसको जा के कह दे    
मेरे हृदय मन की बतियाँ
मैं तो ठहरा  बैरागी  
घर-द्वार    नहीं   है    मेरा 
साँझ यहाँ हुई है तो   
कहीं ओर हुआ सवेरा 
कोई तो उसको जा के कह दे
मोहे न खबरिया ..
प्रेम-पुजारन बन गई है वो 
कहीं जोगन ना बन जाए
कहे प्रेममय होकर बैरागी कमल मनवा
उस प्यारी को  कोई तो समझाओ 
प्रेम-डगर है बड़ी कठिन  
उस पर तुम ना आओ जाओ 
मिला है उसको जो ये जीवन 
प्रभु-भक्ति में लगाओ 
समझ जाओ तुम भी ओ  प्यारों  
इस जीवन से तर जाओ 
प्रेम डगर है बड़ी कठिन 
कोई उसको तो समझाओ ..…

१४/०७/२०१८
🌷👰💓💝
...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' 🌷 प्रेम डगर है बड़ी कठिन🌷

जंगल-जंगल  बस्ती- बस्ती 
ढूंढे  मोहे  रे  सजनिया
कोई उसको जा के कह दे  
मोहे ना खबरिया 
वो तो है  काबुल की बुलबुल

🌷 प्रेम डगर है बड़ी कठिन🌷 जंगल-जंगल बस्ती- बस्ती ढूंढे मोहे रे सजनिया कोई उसको जा के कह दे मोहे ना खबरिया वो तो है काबुल की बुलबुल

9 Love

e1693d3ec3c96e91f55d4c974ae6d15f

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

विधा      -    कुण्डलिया
विषय    -    किसान
आते ही वैशाख सुन , भर जाते भण्ड़ार ।
खुशी किसानों के यहाँ , होती है दिन चार ।।
होती है दिन चार , झूम कर नाचें गाएं ।
जैसे हो त्यौहार , आज वह खुशी मनाएं ।।
जाकर वह दरबार , ईश को शीश झुकाते ।
होती खुशी अपार , आप जो घर भी आते ।।

 ए सी कूलर की हवा , से है तुमको नेह ।
जाकर देख किसान को , बहे पसीना देह ।।
बहे पसीना देह , और आँसूँ पी जाते ।
किस मिट्टी से ईश , छवि उनकी हैं बनाते ।।
मिट्टी के घर द्वार  , फसल है उनकी के सी ।
देख वहाँ हालत , भूल जा कूलर  सी ।।

१४/०४/२०२३     -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR विधा      -    कुण्डलिया
विषय    -    किसान

आते ही वैशाख सुन , भर जाते भण्ड़ार ।
खुशी किसानों के यहाँ , होती है दिन चार ।।
होती है दिन चार ,

विधा - कुण्डलिया विषय - किसान आते ही वैशाख सुन , भर जाते भण्ड़ार । खुशी किसानों के यहाँ , होती है दिन चार ।। होती है दिन चार , #कविता

14 Love

loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile